जैसलमेर। हमने पोखरण में १६ साल पहले न्यूकलियर टेस्ट किया था, लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई आज भी इस इलाके की रेत चुराने की फिराक में है। ११ मई १९९८ को भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे। ये टेस्ट राजस्थान के पोखरण इलाके में हुए थे। आईएसआई उस जगह की रेत चाहती है। आज भी उस इलाके में पाकिस्तानी जासूस भेजे जा रहे हैं, ताकि वे रेत का सैंपल ला सकें।पोखरण का वह इलाका जहां टेस्ट किए गए थे, वहां भारत की तरफ से कड़ी निगरानी रखी जा रही है। ३.५ किलोमीटर लंबी एक सड़क है, जहां हर वक्त कड़ी सुरक्षा तैनात रहती है। इस सड़क से गुजरने के लिए चार गेट पार करने होते हैं, जिन पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।भारत के इन परीक्षणों की भनक आईएसआई और अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए को भी नहीं लगी थी। तब के सीआईए अध्यक्ष जॉर्ज टेनेंट को आज भी अफसोस है कि उन्हें इन धमाकों की भनक नहीं लगी। सूत्र बताते हैं कि आईएसआई ने अपने जासूसों और एजेंटों को सिर्फ इस मकसद से उतार रखा है कि इस इलाके की रेत चुरा सकें।
पाक एजेंसी इस रेत की जांच करके यह जानना चाहती है कि टेस्टिंग किस तरह की गई। सूत्रों के मुताबिक, बीएसएफ जवान इस इलाके की सुरक्षा करते हैं और उनकी मुस्तैदी की ही बदौलत आईएसआई का मंसूबा कामयाब नहीं हो पाया है।रक्षा प्रवक्ता एसडी गोस्वामी कहते हैं कि सैन्य जमीन की रक्षा स्थानीय सैन्य अधिकारियों की जिम्मेदारी है, कहां कितनी सुरक्षा रखनी है यह जगह-जगह पर निर्भर करता है।
पाक एजेंसी इस रेत की जांच करके यह जानना चाहती है कि टेस्टिंग किस तरह की गई। सूत्रों के मुताबिक, बीएसएफ जवान इस इलाके की सुरक्षा करते हैं और उनकी मुस्तैदी की ही बदौलत आईएसआई का मंसूबा कामयाब नहीं हो पाया है।रक्षा प्रवक्ता एसडी गोस्वामी कहते हैं कि सैन्य जमीन की रक्षा स्थानीय सैन्य अधिकारियों की जिम्मेदारी है, कहां कितनी सुरक्षा रखनी है यह जगह-जगह पर निर्भर करता है।
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