नई दिल्ली
अणुव्रत साहित्यकार सम्मेलन -- अणुव्रत के छोटे- छोटे व्रतों को जीवन में उतारने का संकल्प लेवें
- केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री
जयपुर,
9 जुलाई। केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है
कि गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर हमें अपने देश के संत- महात्माओं की महान
परम्पराओं का स्मरण करते हुए आचार्य तुलसी द्वारा प्रतिपादित अणुव्रत के
छोटे- छोटे व्रत को जीवन मे अंगीकार करने का संकल्प लेना चाहिए, चूंकि
वर्तमान परिपेक्ष्य में सम्पूर्ण विश्व में इसकी प्रासंगिकता है।
श्री
मेघवाल रविवार को नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन हाॅल में अणुव्रत
महासमिति द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अणुव्रत साहित्यकार सम्मेलन में मुख्य
अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
सम्मेलन की
अध्यक्षता भारतीय भाषा सम्मेलन और भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष डाॅ.
वेदप्रताप वैदिक ने की। नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन डाॅ. बलदेव भी शर्मा
समारोह के विशिष्ठ अतिथि थे।
श्री मेघवाल ने कहा
कि उनके जीवन और व्यक्तित्व निर्माण में अणुव्रत के शाश्वत सिद्धान्तों का
अहम स्थान रहा। आचार्य तुलसी ने 1945 में द्वितीय विश्व महायुद्ध के दौरान
प्रयोग में लिए गए परमाणु बम से जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में हुए
भारी तबाही से आहत होकर राजस्थान से अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया था जो
कि आज सारे विश्व में अहिंसा, शांति और नैतिकता में आस्था रखने वाले
मानवतावादी लोगांे द्वारा आत्मसात किया जा रहा है।
श्री
मेघवाल ने बताया कि बचपन से ही वे आचार्य तुलसी के उपदेशों से प्रभावित
रहे हैं और अणुव्रती बन कर उन्हें जीवन आचरण में उतारते आये हैं। उन्होंने
अणुव्रत आंदोलन को आगे ले जाने में आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के
योगदान की अनेकों संस्मरणों के उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान में आचार्य
महाश्रमण अणुव्रत की महान परम्पराओं का भलीभांति निर्वहन कर रहे हैं।
श्री
मेघवाल ने समारोह में भाव विभोर होकर आचार्यश्री की स्मृति में एक भजन
सुनाया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि सत्यमेव
जयते और अहिंसा परमोधर्मः तथा संत महात्माओं द्वारा बताए मार्ग पर चल कर ही
हम पुनः विश्व गुरु का सम्मान हासिल कर सकते हैं।
इस
मौके पर श्री मेघवाल ने जानी मानी साहित्यकार और अणुव्रत साहित्यकार
सम्मेलन की सुत्रधार डाॅ. कुसुम लुनिया द्वारा शाकाहार पर लिखी पुस्तक के
अंग्रेजी संस्कार का लोकार्पण किया। प्रभात प्रकाशन के श्री प्रभात कुमार
ने पुस्तक की प्रति अतिथियों को भेंट की।
इस मौके
पर श्री मेघवाल और अन्य अतिथियांे को राजस्थानी पत्रिका माणक के श्री
राजेन्द्र व्यास और श्री आशीष मेहता ने तेरापंथ अंक की प्रति भेंट की। साथ
ही अणुव्रत पर बनाई गई एक डाॅक्यूमेंट्री फिल्म का शुभारम्भ भी किया गया।
समारोह
में अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि अणुव्रत
सारे व्रतों का महाव्रत और संस्कारों का महासंस्कार है। सारी मानवता के लिए
यह व्रत जरूरी है। साहित्यकारों को इसके प्रचार प्रसार के लिए आगे आना
होगा। आज अणुव्रत को नए आयाम देने में सभी को मिल कर जुटाना होगा।
उन्होंने
कहा कि आज शाकाहार, नशाबंदी, स्वदेशी भाषा पर अमल करने और 16 देशों को
मिला कर एक वृहत आर्यावर्त महासंघ बनाने की जरूरत है। विश्व शाकाहार
सम्मेलन का आयोजन भी किया जाना चाहिए।
श्री वैदिक
ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने अपने महाप्रणाय से पहले विश्व
निशस्त्रीकरण की योजना पर गहन चर्चा की थी। वे चाहते थे कि पूरी दुनियां
हिंसा से मुक्त हो और घातक हथियारों की अनावश्यक होड़ समाप्त हो। इसके लिए
दुनिया के सभी धर्मों के साधु संतों को इस आंदोलन का नेतृत्व करने और
दुनियां को शांति का मार्ग दिखाने के लिए आगे आना होगा, चूंकि
विश्वशस्त्रीकरण का काम राजनयिक स्तर पर होने में एकमत नहीं होने के साथ ही
अनेक बाधाएं और दुविधाएं हंै।
समारोह में
अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष एडवोकेट श्री सुरेंद्र जैन, अणुव्रत प्रवक्ता
डाॅ. महेंद्र कर्णावट और महामंत्री श्री अरुण संचेती ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. कुसुम लुनिया ने किया। संयोजक श्री बाबूलाल
दुग्गड़ भी मौजूद थे।
इस मौके पर अतिथियों का शाॅल ओढ़ा कर सम्मान किया गया।

No comments:
Post a Comment