सफलता की कहानी
न्याय पहुँच रहा ग्रामीणों के घर-द्वार
हाथों-हाथ समाधान से राहत पा रहे ग्राम्यजन
जयपुर, 13 जुलाई। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की मंशा के अनुरूप
प्रदेश में संचालित राजस्व लोक अदालत अभियान-न्याय आपके द्वार आशातीत सफलता
प्राप्त कर रहा है।
ग्रामीणों की समस्याओं के
हाथों-हाथ समाधान और ग्राम्य समस्याओं के निराकरण के लिए संचालित यह
बहुद्देश्यीय कल्याणकारी अभियान ग्रामीणों को खासा सुकून दे रहा है।
इस अभियान में निस्तारित हो रहे कार्यों और बरसों से चल रहे मामलों के एक
ही दिन में एक ही छत के नीचे सहजतापूर्वक निपटारे से राहत का जो सुकून
प्राप्त हो रहा है, उसी का परिणाम है कि ग्राम्यांचलों में सरकार की मुक्त
कण्ठ से जय-जयकार हो रही है। ग्रामीणों के लिए यह अभियान सचमुच न्याय को
उनके द्वार तक ले आया है।
इस अभियान ने राजसमन्द
जिले में उल्लेखीय सफलता पायी है। जिले में अभियान के अन्तर्गत अपूर्व और
ऎतिहासिक उपलब्धियों ने लोक कल्याण का नया इतिहास रच दिया है।
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी अधिकारियों एवं कार्मिकों की मेहनत
और समर्पण का ही नतीजा है कि शिविर ग्रामीणों के लिए राज और राजे के वरदान
के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। इन शिविरों में कई ऎसे पुराने
मामलों का निस्तारण हुआ है जिनके समाधान के लिए ग्रामीण बरसों से परेशान
थे।
सही रिश्ता हुआ दर्ज
हाल ही राजसमन्द पंचायत समिति अन्तर्गत साकरोदा में आयोजित राजस्व लोक
अदालत-न्याय आपके द्वार शिविर में एक ऎसा मामला सामने आया जिसमें मेवाड़
सैटलमेंट सन् 1948 में माणी पुत्री घासी राम ब्राह्मण श्रीमाली निवासी
पुनावली के नाम पर खुदकाश्त की ग्राम पुनावाली में एक बीघा कृषि भूमि खाते
में रही।
सैटलमेंट के दौरान संबत 2023 में गलती
से माणी और घासीराम के पिता पुत्री के रिश्ते को पति पत्नी के रूप में
परिर्वतित कर दिया। माणी बाई अपने पिता की अकेली संतान थी। उसकी ससुराल
तासोल में होकर बाल विधवा होकर अपने पीहर पुनावली में निवास करती हुईं 10
फरवरी 2006 को स्वर्ग सिधार गई।
वर्तमान
जमाबंदी में माणी बाई बेवा घासीराम नाम ही चलता रहा। इनके परिवारजन माणी
बाई के नामान्तरकरण के लिए वर्षों से भटक रहे थे। भटकते-भटकते मार्च 2017
में वारिसों ने राजसमन्द एसडीओ न्यायालय में दावा भी किया।
यह मामला न्याय आपके द्वार में साकरोदा में लगे शिविर में उपखण्ड अधिकारी
श्री राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल के समक्ष आया। उन्होंने गंभीरतापूर्वक पूरे
मामले को सुना व तथ्यों का अवलोकन किया।
शिविर
के दौरान मजमे आम में तथ्यों की ताईद होने पर मुकदमे का निस्तारण करते हुए
धारा 88 राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 एवं हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम
की धारा 15 एवं 8 के तहत पिता-पुत्री के संबंध को सुधारते हुए माणी के
विधिक वारिसान के नाम नामान्तरकरण दर्ज करने के आदेश जारी किये गए।
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