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Monday, December 1, 2014

भक्ति से बड़ा कोई मार्ग नहीं - प्रेम बाईसा

जसोल- स्थानीय श्रीयादे मन्दिर के पास, अरिहन्त नगर में समस्त ग्रामवासियों की ओर से आयोजित भागवत कथा के चैथे दिन कथा की शुरूआत भागवत आरती के साथ हुई। कथा में महात्मा के विधुर के प्रसंग में बताया कि कौरवों के साथ रहकर भी विधुर जी ने भगवान का ध्यान कर करते रहे और भगवान को भी विधुर के महल में जाना पड़ा । कथावाचन के दौरान बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने कलयुग में गौ के साथ हो रही दुर्दशा का वर्णन किया जिसमें बताया कि कामधेनु रूप में गौ को माता का रूप दिया है ऋर्षि -मुनियों ने इसे सर्वदा पूजा है आज के कलयुग में गौमाता के साथ विविध प्रकार के अन्याय हो रहे है लोग गौमाता को माता कहने से कतराते है उन्होने कहा कि भक्ति से बड़ा कोई मार्ग नहीं है, भक्ति के दो रूप है सकाम भक्ति व निष्काम भक्ति , निष्काम भक्ति से बड़ी कोई भक्ति नहीं है मनुष्य भगवान की निष्काम भक्ति की ओर आगे बढे। वैदिक रूप से भगवान के 24 अवतार है जिसमें मुख्यतः दो ही अवतार है रामावतार व कृष्णावतार। उन्होनें कहा कि कलयुग मनुष्य के मस्तिष्क को परिवर्तन कर देता है धर्माचार्य राजा परिक्षित भी कलयुग के प्रभाव से शिकार करने चला जाता है।
कलयुग हर जगह नहीं है।जिस स्थान पर मांस, मदिरा, झुठ, कपट, अनाचार, वैश्यावृति है वहाँ कलयुग है। भक्त ध्रुव में अल्प आयु में राज-पाट का मोह त्यागकर भगवान की भक्ति की जिसने उसको आज अमर बना दिया। कथा के दौरान सांवतराज सोनी, पारसमल गहलोत, मुल्तानमल गहलोत, विक्रमसिंह राठौड़, खुशवन्त दवे, संजय पालीवाल, नरेन्द्र वैष्णव, माधाराम सोलंकी, सहित ग्रामीणजन उपस्थित थे।
प्रभात फेरी निकाली गई- कथा स्थल से प्रातःकाल प्रभात फेरी निकाली गई जो भक्तों द्वारा भजनों पर नाचते -गाते हुए अम्बेडकर सर्किल, रणछोड़राय मन्दिर, मालाणी महादेव मन्दिर होते हुए बस स्टेण्ड से होकर कथा स्थल पर समाप्त हुई जिस दौरान महिलाओं व पुरूषों में भारी उत्साह देखा गया। 

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