भगाराम पंवार (9887119003)
बालोतरा। औद्योगिक नगरी की तमाम उम्मीदें अब नए सभापति और पार्षदों से जुड़ गई है। समस्याएं जस की तस है,लेकिन निराकरण करने वाले बदल गए हैं। पहले ही दिन से इन तमाम समस्याओं के समाधान के लिए तैयार रहने और पांच साल तक कार्य करने की दरकार है। वह भी तब जब प्रदेश में सरकार विपक्षी दल की है और शहर के विधायक भी। अभी तक प्रतिपक्ष में बैठने वाले रतन खत्री अब सभापति बन गए है और शहर को उनसे काफी उम्मीदें है। शहर के साथ जिले का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बालोतरा में है और उद्यमियों को भी इनसे बड़ी आस है कि मैट्रो सिटी की तर्ज पर बालोतरा का भी औद्योगिक क्षेत्र बनें और उनकी हर समस्याओं को निपटारा समय पर हो।
शहर की बदहाल सडक़ें
शहर में सडक़ों की हालत दयनीय है। प्रभावशालियों के इलाके में सीसी रोड बन गई है और जिनकी नहीं चली वे डामरीकरण को भी तरस रहे हैं। भेदभाव की इस राजनीति से परे अब शहर में सडक़ विस्तार योजना के लिए मास्टर प्लान बनाकर कार्य करने की जरूरत है।
अव्यवस्थित यातायात प्रणाली
शहर की यातायात व्यवस्था का तो राम मालिक है। यातायात पुलिस के पास भल ही यह दायित्व हो, लेकिन बिगाड़ा नगर परिषद की अव्यवस्था ने है। शहर के जिसको जहां जचा अपनी दुकानदारी चला रहा है और नगर परिषद इसे चलताऊ नजरिए से लेती रही है। शहर इसके मकडज़ाल में उलझा हुआ है।
बदहाल सफाई व्यवस्था
शहर में सफाई इंतजाम का भी बुरा हाल है। आधुनिक संसाधन के नाम पर नगर परिषद के पास मामूली सामान है। मैन पॉवर की कमी भी है। करीब तीन किलोमीटर की परिधि और संकरी गलियों में बसे शहर की गली-गली में सफाई तभी संभव है जब प्रतिदिन इस मैन पॉवर का समुचित उपयोग पूरी योजना के साथ हो और पार्षद इसकी मॉनिटरिंग करें।
पानी निकासी का हो स्थाई समाधान
सीवरेज का कार्य अभी भी अधूरा है। शहर में बरसाती पानी की निकासी तो है ही नहीं इसके अलावा नालियों से बहने वाला पानी भी सडक़ों पर फैला रहता है। पानी निकासी की समुचित व्यवस्था के लिए बजट के साथ योजना जरूरी है।
मास्टर प्लान बनाकर हो विकास
शहर का विकास नगर परिषद के हिसाब से नहीं बल्कि मनमर्जी से हो रहा है। प्रभावशाली लोगों ने अपने हिसाब से शहर में अतिक्रमण कर लिए है। अतिक्रमण से मुक्त शहर करने के लिए इतनी दबंगता की जरूरत है कि इसके पीछे चल रही राजनीति नतमस्तक हो जाए लेकिन यह कदम अभी तक किसी ने नहीं उठाया है।
अतिक्रमण मुक्त हो औद्योगिक नगरी
शहर अतिक्रमण के जाल में फंस गया है। जमीनों के पट्टे, दुकान के पाटे और खाली भूखण्ड पर अतिक्रमण की शिकायतों के बोरे भर गए है। नगर परिषद का इसमें महत्वपूर्ण दायित्व है। शहर के मास्टर प्लान के लिए भी यह स्थितियां आड़े आ रही है। इसके लिए स्वच्छ और स्वस्थ व्यवस्था की दरकार है।
सरकारी जमीनों का हो संरक्षण
नगर परिषद की सरकारी जमीन का संरक्षण भी एक बड़ा सवाल है। शहर और आसपास में इस जमीन को चिन्हित करने के अलावा भविष्य का पूरा प्लान बनाया जाए। इसमें आने वाले 25 वर्ष का विजन शामिल करने की दरकार है।
नगर परिषद की कार्य प्रणाली सुधरें
नगर परिषद की कार्य व्यवस्था शहर के हर आम आदमी से जुड़ी है। यहां आने वाले आम नागरिक को काम और काम से पहले संतोषजनक जवाब मिले इसकी जवाबदारी जरूरी है। इसके लिए प्रशासनिक कार्य कुशलता की नए बोर्ड से बड़ी उम्मीद रहेगी।
शहर के पार्क बने जन्नत
शहर में कहने को पांच पार्क है, लेकिन ये केवल कहने जैसे ही है। शहर के लोग पार्क की बजाय रेलवे स्टेशन पर घूमते ज्यादा नजर आते है। एक लाख की आबादी के शहर में एक भी ढंग का पार्क नहीं होना विचारने योग्य है।
चौराहों को सौंदर्यीकरण की आस हो पूरी
शहर में चौराहों का सौंदर्यकरण और विकास पर राशि खर्च हुई है, लेकिन नजर नहीं आती है। अतिक्रमण होने से ये दब गई है। शहर का एक भी ऎसा स्थल नहीं है, जिसे देखकर चलने वाले के कदम ठहर जाए। ये चौराहे शहर के सौंदर्यकरण का प्रतीक होते है, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रह रहा है कि दुर्दशा के शिकार हो रहे है।
टैक्सी स्टैण्ड और बस स्टैण्ड की हो समुचित व्यवस्था
निजी टैक्सियों के लिए एक व्यवस्थित स्टैण्ड का इंतजाम करने के अलावा बस स्टैण्ड का भी समुचित विकास जरूरी है। केन्द्रीय बस स्टैण्ड में बसों का ठहराव हो, जोधपुर रोड पर अस्थाई बस स्टैण्ड को सही जगह मिले, छतरियों का मोर्चा बस स्टैण्ड पर व्यवस्थाएं, समदड़ी रोड पर खड़ी होने वाली बसों के लिए उचित स्थान पर ध्यान देने की जरूरत है।
सब्जी मण्डी में अव्यवस्थाएं हावीं
शहर में नया बस स्टैण्ड के पास बनी व्यवस्थित सब्जी मण्डी बनी है, लेकिन वहां अव्यस्थाएं हावी है। पुराना बस स्टैण्ड के पास सडक़ पर सब्जी मण्डी चल रही है। इसके अलावा शहर में जहां देखो वहां पर इस तरह की स्थिति साफ नजर आती है।
बेसहारा पशु बने शहर की रफ्तार में बाधक
शहर के लोग सर्वाधिक इस समस्या से ग्रसित है। मुख्य बाजार से लेकर तंग गलियों में बेसहारा पशु डोलते नजर आते है। इनको शहर से बाहर ले जाने और गोशाला में संरक्षण देने की दरकार है। इसके लिए एक पूरी टीम प्रतिदिन कार्य करें तो काम बने।
पेयजल की हो समुचित व्यवस्था
शहर में पेयजल की व्यवस्था अति ज्वलनशील है लोग पानी के तरस रहे है। शहर में कच्ची बस्तियों में पानी की पाईप लाईन तक नहीं बिछी हुई है। कुछ रसूखदार लोगों की कॉलोनीयोंं व गलियों में एक घर है और वहा पर पानी की पाईप लाईनें तक बिछा दी गई है। और जहां पर गरीब लोगों के आशियानें है वहां पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है उन गलियों में लोग पानी के लिए तरस रहे है पानी तो दूर पाईप लाईन तक नहंी बिछी हुई है।
बालोतरा। औद्योगिक नगरी की तमाम उम्मीदें अब नए सभापति और पार्षदों से जुड़ गई है। समस्याएं जस की तस है,लेकिन निराकरण करने वाले बदल गए हैं। पहले ही दिन से इन तमाम समस्याओं के समाधान के लिए तैयार रहने और पांच साल तक कार्य करने की दरकार है। वह भी तब जब प्रदेश में सरकार विपक्षी दल की है और शहर के विधायक भी। अभी तक प्रतिपक्ष में बैठने वाले रतन खत्री अब सभापति बन गए है और शहर को उनसे काफी उम्मीदें है। शहर के साथ जिले का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बालोतरा में है और उद्यमियों को भी इनसे बड़ी आस है कि मैट्रो सिटी की तर्ज पर बालोतरा का भी औद्योगिक क्षेत्र बनें और उनकी हर समस्याओं को निपटारा समय पर हो।
शहर की बदहाल सडक़ें
शहर में सडक़ों की हालत दयनीय है। प्रभावशालियों के इलाके में सीसी रोड बन गई है और जिनकी नहीं चली वे डामरीकरण को भी तरस रहे हैं। भेदभाव की इस राजनीति से परे अब शहर में सडक़ विस्तार योजना के लिए मास्टर प्लान बनाकर कार्य करने की जरूरत है।
अव्यवस्थित यातायात प्रणाली
शहर की यातायात व्यवस्था का तो राम मालिक है। यातायात पुलिस के पास भल ही यह दायित्व हो, लेकिन बिगाड़ा नगर परिषद की अव्यवस्था ने है। शहर के जिसको जहां जचा अपनी दुकानदारी चला रहा है और नगर परिषद इसे चलताऊ नजरिए से लेती रही है। शहर इसके मकडज़ाल में उलझा हुआ है।
बदहाल सफाई व्यवस्था
शहर में सफाई इंतजाम का भी बुरा हाल है। आधुनिक संसाधन के नाम पर नगर परिषद के पास मामूली सामान है। मैन पॉवर की कमी भी है। करीब तीन किलोमीटर की परिधि और संकरी गलियों में बसे शहर की गली-गली में सफाई तभी संभव है जब प्रतिदिन इस मैन पॉवर का समुचित उपयोग पूरी योजना के साथ हो और पार्षद इसकी मॉनिटरिंग करें।
पानी निकासी का हो स्थाई समाधान
सीवरेज का कार्य अभी भी अधूरा है। शहर में बरसाती पानी की निकासी तो है ही नहीं इसके अलावा नालियों से बहने वाला पानी भी सडक़ों पर फैला रहता है। पानी निकासी की समुचित व्यवस्था के लिए बजट के साथ योजना जरूरी है।
मास्टर प्लान बनाकर हो विकास
शहर का विकास नगर परिषद के हिसाब से नहीं बल्कि मनमर्जी से हो रहा है। प्रभावशाली लोगों ने अपने हिसाब से शहर में अतिक्रमण कर लिए है। अतिक्रमण से मुक्त शहर करने के लिए इतनी दबंगता की जरूरत है कि इसके पीछे चल रही राजनीति नतमस्तक हो जाए लेकिन यह कदम अभी तक किसी ने नहीं उठाया है।
अतिक्रमण मुक्त हो औद्योगिक नगरी
शहर अतिक्रमण के जाल में फंस गया है। जमीनों के पट्टे, दुकान के पाटे और खाली भूखण्ड पर अतिक्रमण की शिकायतों के बोरे भर गए है। नगर परिषद का इसमें महत्वपूर्ण दायित्व है। शहर के मास्टर प्लान के लिए भी यह स्थितियां आड़े आ रही है। इसके लिए स्वच्छ और स्वस्थ व्यवस्था की दरकार है।
सरकारी जमीनों का हो संरक्षण
नगर परिषद की सरकारी जमीन का संरक्षण भी एक बड़ा सवाल है। शहर और आसपास में इस जमीन को चिन्हित करने के अलावा भविष्य का पूरा प्लान बनाया जाए। इसमें आने वाले 25 वर्ष का विजन शामिल करने की दरकार है।
नगर परिषद की कार्य प्रणाली सुधरें
नगर परिषद की कार्य व्यवस्था शहर के हर आम आदमी से जुड़ी है। यहां आने वाले आम नागरिक को काम और काम से पहले संतोषजनक जवाब मिले इसकी जवाबदारी जरूरी है। इसके लिए प्रशासनिक कार्य कुशलता की नए बोर्ड से बड़ी उम्मीद रहेगी।
शहर के पार्क बने जन्नत
शहर में कहने को पांच पार्क है, लेकिन ये केवल कहने जैसे ही है। शहर के लोग पार्क की बजाय रेलवे स्टेशन पर घूमते ज्यादा नजर आते है। एक लाख की आबादी के शहर में एक भी ढंग का पार्क नहीं होना विचारने योग्य है।
चौराहों को सौंदर्यीकरण की आस हो पूरी
शहर में चौराहों का सौंदर्यकरण और विकास पर राशि खर्च हुई है, लेकिन नजर नहीं आती है। अतिक्रमण होने से ये दब गई है। शहर का एक भी ऎसा स्थल नहीं है, जिसे देखकर चलने वाले के कदम ठहर जाए। ये चौराहे शहर के सौंदर्यकरण का प्रतीक होते है, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रह रहा है कि दुर्दशा के शिकार हो रहे है।
टैक्सी स्टैण्ड और बस स्टैण्ड की हो समुचित व्यवस्था
निजी टैक्सियों के लिए एक व्यवस्थित स्टैण्ड का इंतजाम करने के अलावा बस स्टैण्ड का भी समुचित विकास जरूरी है। केन्द्रीय बस स्टैण्ड में बसों का ठहराव हो, जोधपुर रोड पर अस्थाई बस स्टैण्ड को सही जगह मिले, छतरियों का मोर्चा बस स्टैण्ड पर व्यवस्थाएं, समदड़ी रोड पर खड़ी होने वाली बसों के लिए उचित स्थान पर ध्यान देने की जरूरत है।
सब्जी मण्डी में अव्यवस्थाएं हावीं
शहर में नया बस स्टैण्ड के पास बनी व्यवस्थित सब्जी मण्डी बनी है, लेकिन वहां अव्यस्थाएं हावी है। पुराना बस स्टैण्ड के पास सडक़ पर सब्जी मण्डी चल रही है। इसके अलावा शहर में जहां देखो वहां पर इस तरह की स्थिति साफ नजर आती है।
बेसहारा पशु बने शहर की रफ्तार में बाधक
शहर के लोग सर्वाधिक इस समस्या से ग्रसित है। मुख्य बाजार से लेकर तंग गलियों में बेसहारा पशु डोलते नजर आते है। इनको शहर से बाहर ले जाने और गोशाला में संरक्षण देने की दरकार है। इसके लिए एक पूरी टीम प्रतिदिन कार्य करें तो काम बने।
पेयजल की हो समुचित व्यवस्था
शहर में पेयजल की व्यवस्था अति ज्वलनशील है लोग पानी के तरस रहे है। शहर में कच्ची बस्तियों में पानी की पाईप लाईन तक नहीं बिछी हुई है। कुछ रसूखदार लोगों की कॉलोनीयोंं व गलियों में एक घर है और वहा पर पानी की पाईप लाईनें तक बिछा दी गई है। और जहां पर गरीब लोगों के आशियानें है वहां पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है उन गलियों में लोग पानी के लिए तरस रहे है पानी तो दूर पाईप लाईन तक नहंी बिछी हुई है।
No comments:
Post a Comment