बालोतरा। राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी ने वलसाड के पास जैनाचार्य विजयरत्न सूरीश्वर महाराज की सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु पर राज्य सरकारों को कोसा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को साधु-साध्वियों की सुरक्षा के बंदोबस्त करने चाहिए। साथ ही इस तरह लापरवाही बरतने वाले वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि चातुर्मास को लेकर जैन साधु-साध्वियां पैदल विहार कर हजारों किलोमीटर की यात्राएं करते हैं और आमजन में ज्ञान बांटते हैं। उनकी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए जैन समाज को भी लामबंद होने की जरूरत है। भंडारी स्थानीय रेस्ट हाउस में पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। भंडारी ने राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे पर उम्मीद जताई कि संघर्ष का फल जरूर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उम्मीद है। पाली सांसद पीपी चौधरी पूरा सपोर्ट कर रहे हैं, उनके हम आभारी है। भंडारी ने इस बात पर खिन्नता जताई कि शीतकालीन सत्र में प्रदेश के एक भी सांसद ने राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि राजनेताओं की ढिलाई के चलते ही दस करोड़ लोगों की मायड़ भाषा अभी तक मान्यता के लिए तरस रही है। भंडारी ने आम राजस्थानी से आह्वान किया कि वे राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए एक बड़ा अभियान छेड़ दें ताकि केंद्र सरकार तक हमारी आवाज बुलंद होकर पहुंचे और दस करोड़ राजस्थानियों की जनभाषा को मान्यता मिल सके। उन्होंने कहा कि जब हम अप्रवासी भारतीय अपनी मायड़ भाषा की मान्यता के लिए इतने बेताब हो रहे हैं और अपना पूरा प्रयास कर रहे हैं तो इस अभियान में आम राजस्थानी का पूरा सहयोग रहना बेहद जरूरी है। इस दौरान राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के बालोतरा संभाग पाटवी भीख दान चारण, डॉ. रामेश्वरी चौधरी, सालगराम परिहार, सुशील परिहार, प्रेमसिंह खोखर, मूलदान आशिया, तन सिंह जुगतावत सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उम्मीद है। पाली सांसद पीपी चौधरी पूरा सपोर्ट कर रहे हैं, उनके हम आभारी है। भंडारी ने इस बात पर खिन्नता जताई कि शीतकालीन सत्र में प्रदेश के एक भी सांसद ने राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि राजनेताओं की ढिलाई के चलते ही दस करोड़ लोगों की मायड़ भाषा अभी तक मान्यता के लिए तरस रही है। भंडारी ने आम राजस्थानी से आह्वान किया कि वे राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए एक बड़ा अभियान छेड़ दें ताकि केंद्र सरकार तक हमारी आवाज बुलंद होकर पहुंचे और दस करोड़ राजस्थानियों की जनभाषा को मान्यता मिल सके। उन्होंने कहा कि जब हम अप्रवासी भारतीय अपनी मायड़ भाषा की मान्यता के लिए इतने बेताब हो रहे हैं और अपना पूरा प्रयास कर रहे हैं तो इस अभियान में आम राजस्थानी का पूरा सहयोग रहना बेहद जरूरी है। इस दौरान राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के बालोतरा संभाग पाटवी भीख दान चारण, डॉ. रामेश्वरी चौधरी, सालगराम परिहार, सुशील परिहार, प्रेमसिंह खोखर, मूलदान आशिया, तन सिंह जुगतावत सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
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