भगाराम पंवार की एकक्लूसिव रिपोर्ट
बालोतरा। उपखण्ड क्षेत्र का सबसे बडा रैफरल अस्पताल राजकीय नाहटा चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का अंबार है। चिकित्सालय में अव्यवस्थाएं हावी है। राजकीय नाहटा चिकित्सालय में ईलाज के लिए आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है।
आवारा पशुओं व जानवरों का बना अड्डा--
राजकीय नाहटा चिकित्सालय का परिसर आवारा पशुओं व श्वानों का अड्डा बना हुआ है। चिकित्सालय के परिसर में आवारा पशु सहित श्वान दिन भर विचरण करते रहते है। वहीं दिन में ये पशु व श्वान चिकित्सालय की गैलेरीयों में घुमते है। जिससे आमजन को परेशानी होती है। ऐसा ही नजारा शुक्रवार को रात 11 बजे चिकित्सक ड्यूटी कक्ष सं. 1 में देखने को मिला जहां चिकित्सक साहब नही थे और श्वान चिकित्सक साहब की टैबल पर बैठकर आराम फरमाने लगा।
चिकित्सक रहते है नदारद--
जानकारी के अनुसार रात में चिकित्सक अपने ड्यूटी कक्ष के बजाय अन्य कमरों में आराम फरमाते है। और रात में मरीज और उनके परिजनों को चिकित्सक को ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पडती है।
अव्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था --
राजकीय नाहटा चिकित्सालय के बाहर लोग बेतरतीब ढंग से अपने वाहनों को खडा कर देते है जिसके कारण कई बार चिकित्सालय का मुख्य गेट जाम हो जाता है। जिससेे कई बार कोई दुर्घटना होने पर चिकित्सालय के मुख्य गेट पर पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पडता है।
कॉटेज वार्डों में नही आता है पानी--
उपखण्ड के सबसे बडा रैफरल अस्पताल होने के कारण शहर सहित आस पास के गा्रमीण क्षेत्रों से भी बडी संख्या मेे लोग अपने ईलाज के लिए पहुंचते है। और चिकित्सालय के आधे से ज्यादा कॉटेज वार्डों में पानी नही आता है।
शौचालयों का भी बुरा हाल--
वहीं चिकित्सालय के शौचालयों का भी बुरा हाल है। इन शौचालयों की समय समय पर सफाई नही होने से मरीजो एवं उनके परिजनों को शौच के लिए बाहर का रूख करना पडता है।
व्यवस्थाएं सुधरे तो मरीजों को मिले बेहतर सुविधाएं--
नाहटा चिकित्सालय में व्याप्त इन समस्याओं को जनप्रतिनिधि व प्रमुख चिकित्सा अधिकारी पहल कर सुधारने के प्रयास करें तो उपखण्ड क्षेत्र के लोगो को भी बेहतर चिकित्सा सुविधाए मिल पाए और उन्हें प्राइवेट अस्पतालों की शरण नही लेनी पडें।
बालोतरा। उपखण्ड क्षेत्र का सबसे बडा रैफरल अस्पताल राजकीय नाहटा चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का अंबार है। चिकित्सालय में अव्यवस्थाएं हावी है। राजकीय नाहटा चिकित्सालय में ईलाज के लिए आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है।
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डॉक्टर की टेबल पर बैठा श्वान। |
आवारा पशुओं व जानवरों का बना अड्डा--
राजकीय नाहटा चिकित्सालय का परिसर आवारा पशुओं व श्वानों का अड्डा बना हुआ है। चिकित्सालय के परिसर में आवारा पशु सहित श्वान दिन भर विचरण करते रहते है। वहीं दिन में ये पशु व श्वान चिकित्सालय की गैलेरीयों में घुमते है। जिससे आमजन को परेशानी होती है। ऐसा ही नजारा शुक्रवार को रात 11 बजे चिकित्सक ड्यूटी कक्ष सं. 1 में देखने को मिला जहां चिकित्सक साहब नही थे और श्वान चिकित्सक साहब की टैबल पर बैठकर आराम फरमाने लगा।
चिकित्सक रहते है नदारद--
जानकारी के अनुसार रात में चिकित्सक अपने ड्यूटी कक्ष के बजाय अन्य कमरों में आराम फरमाते है। और रात में मरीज और उनके परिजनों को चिकित्सक को ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पडती है।
अव्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था --
राजकीय नाहटा चिकित्सालय के बाहर लोग बेतरतीब ढंग से अपने वाहनों को खडा कर देते है जिसके कारण कई बार चिकित्सालय का मुख्य गेट जाम हो जाता है। जिससेे कई बार कोई दुर्घटना होने पर चिकित्सालय के मुख्य गेट पर पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पडता है।
कॉटेज वार्डों में नही आता है पानी--
उपखण्ड के सबसे बडा रैफरल अस्पताल होने के कारण शहर सहित आस पास के गा्रमीण क्षेत्रों से भी बडी संख्या मेे लोग अपने ईलाज के लिए पहुंचते है। और चिकित्सालय के आधे से ज्यादा कॉटेज वार्डों में पानी नही आता है।
शौचालयों का भी बुरा हाल--
वहीं चिकित्सालय के शौचालयों का भी बुरा हाल है। इन शौचालयों की समय समय पर सफाई नही होने से मरीजो एवं उनके परिजनों को शौच के लिए बाहर का रूख करना पडता है।
व्यवस्थाएं सुधरे तो मरीजों को मिले बेहतर सुविधाएं--
नाहटा चिकित्सालय में व्याप्त इन समस्याओं को जनप्रतिनिधि व प्रमुख चिकित्सा अधिकारी पहल कर सुधारने के प्रयास करें तो उपखण्ड क्षेत्र के लोगो को भी बेहतर चिकित्सा सुविधाए मिल पाए और उन्हें प्राइवेट अस्पतालों की शरण नही लेनी पडें।
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