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Friday, August 1, 2014

मुनि विमलसागर महाराज ने करवायी तीर्थंकर जन्म की अभूतपूर्व प्रस्तुति

बालोतरा।  राष्ट्रसंत आचार्य पद्मसागरसूरीश्वर महाराज के यशस्वी सान्निध्य में शुक्रवार श्रावण शुक्ल पंचमी को जैन धर्म के बावीसवें तीर्थंकर नेमिनाथ का जन्मोत्सव अत्यंत भव्यता से मनाया गया। समग्र आयोजन के कुशल स्पप्न शिल्पी मुनि विमलसागर महाराज जन्मोात्सव की अभूतपूर्व संयेजना कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार समग्र संभाग में ऐसा आयोजन पहली बार हुआ। 4000 से अधिक श्रद्धालु जन्मोत्सव मनाने सिवाना, बालोतरा, जसोल, बाड़मेर, जोधपुर, पचपदरा, बायतु, सिणधरी, समदड़ी, जालोर, पाली, उदयपुर आदि क्षेत्रों से नाकोड़ा तीर्थ पहुंचे। यहां आराधना कर रहे 1650 साधकों के साथ आगंतुकों का मेला जन्मोत्सव को अविस्मरणीय बनाया गया। हजारों लोगों ने जलाभिषेक कर पुष्पांजलि अर्पित की। सभी ने महा आरती कर नेमिनाथ तीर्थंकर  की भावपूर्ण भक्ति की। शहराईयों की सुरावली और भक्तिगीतों की मनोहारी प्रस्तुति  के साथ जन्मोत्सव जन-जन को अन्तप्र्रेरणा देता गया। भायंदर (मुम्बई) के सुप्रसिद्ध संगीतकार राकेशभाई शाह ने गीत-संगीत की संयोजना की। नाकोड़ा तीर्थ द्वारा संचालित ज्ञानशाला के 150 शिक्षकों ने जन्मोत्सव को साकार रूप दिया। भक्तिनृत्यों का भाववाही प्रस्तुतिकरण हुआ।

मुनि विमलसागर महाराज ने हृदयस्पर्शी विवेचना कर भक्त, भगवान, भक्तियोग, दुनिया दिव्य महापुरूष, सतयुग का समय, लोकजीवन, तीर्थंकरों की महश्रा, मनुष्य और भगवान के जन्मोत्सव की तुलनात्मक विवेचना आदि का सुन्दर निरूपण कर श्रद्धालु श्रोताओं को ज्ञान का अमूल्य खजाना अर्पित किया। प्रात: 8.30 बजे आरम्भ हुआ भक्तियोग का यह उत्सव मध्याह्न 2.00 बजे परिसम्पन्न हुआ। लोग बिना भोजन-पानी के भक्ति की सरिता में पावन बनते रहे।
मुनि विमलसागर महाराज ने कहा कि चैबीस तीर्थंकरों में नेमिनाथ बावीसवें तीर्थंकर थे। वे भगवान श्रीकृष्ण के चचेरे भाई थे। यादव कुल के नेमिनाथ का वैदिक शास्त्रों में अनेकों स्थान पर उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद की रिचाएं भी तीर्थंकर नेमिनाथ के गुण गाती है। पशुओं को बचाने का संकल्प लेकर वे गुजरात स्थित गिरनार पर्वत पर संन्यस्थ हुए थे। उन्होंने विवाह के मण्डप से वैरागी बनकर साधना की थी।
जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में लाखों मंत्र जाप कर श्रद्धालुओं ने चावल अभिमंत्रित किये। उन चावलों से जन्मोत्सव का समग्र पूजन-अनुष्ठान संपन्न हुआ। उश्रर फल-नैवेध की सामग्री का अर्पण हुआ। हजारों लोगों ने अक्षत-फल-नैवेध अर्पण किये।
इस अवसर पर ट्रस्ट कोषाध्यक्ष गणपतचंद पटवारी, ट्रस्टी उत्तमचन्द मेहता, महेन्द्र चौपड़ा, मदन सालेचा, रणवीर गेमावत आदि उपस्थित थे। 

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