बालोतरा। अमरचन्द हरीराम भूतड़ा परिवार द्वारा आयोजित श्री मद भागवत कथा में संत कृपाराम जी महाराज ने कहा कि मृत्यु तो आनी निश्चित है, पर मरने से पहले कुछ नेक कार्य कर लो। अच्छे कार्य किये हुए ही तुम्हारे साथ चलें। आप किसी का भला करो तो भगवान आपका अपने आप लाभ कर दे। सन्त श्री कहते हैं कि जब तक आपका शरीर ठीक है, स्वास्थ्य ठीक है, तब तक राम का नाम ले लो, यदि शरीर साथ ही नहीं दे तो कैसे भगवान का भजन करोगे। कथा परिसर में भक्तो की भारी संख्या को सम्बोधित करते हुए संत कृपाराम जी महाराज ने विदुर विदुरानी कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान भक्त की जाति पाति नही देखता, पढ़ाई लिखाई नहीं देखते, उम्र नहीं देखते। भगवान देखते हैं तो केवल भक्ति भाव देखते हैं। भगवान खुद कहते हैं कि मैं तो भाव का भूखा हूंॅ, भाव के कारण ही तो शबरी भीलणी के हाथ से झुठे बेर खाए।
भाव के कारण छप्पन भोग छोडक़र विदुरानी के हाथ से केले के छिलके खाने चले गए थे। दुर्योधन ने अनेक व्यंजन बनाए थे भगवान के लिए, पर दुर्योधन के मन में अभिमान था एवं विदुर विदुरानी के घर धन सम्पति तो नहीं पर भगवान के लिए अनन्य भाव था। रात भर जा-ते हुए भगवान को याद करते हुए रोते हुए भगवान को याद करते रहे। उसी भाव को देखते हुए भगवान ने विदुरानी के हाथ से केले के छिलके खाए थे। कर्म करो, सुकर्म करो, कोई भी कार्य करने से पहले सोचो कि मेरे द्वारा -लत कर्म तो नहीं हो रहा, जैसा कर्म करों वैसा ही फल मिले पेड़ बबुल और आम का फल प्राप्त कराना चाहोगे तो कैसे मिले बबुल का पेड़ लगाया है तो कांटे ही मिलेंगे और यदि आम का पेड़ लगाया तो मिठे मिठे फल प्राप्त होंगे। छोटे बच्चों से प्रार्थना है कि पढ़ाई में भरपुर मेहनत करो, निराशा में, या हताश होकर जीना तो जीना नहीं है, अच्छे कर्म करों तो सुख ही सुख मिलेगा और बुरे कर्म करो तो दुख ही दुख: मिलेंगे।
भाव के कारण छप्पन भोग छोडक़र विदुरानी के हाथ से केले के छिलके खाने चले गए थे। दुर्योधन ने अनेक व्यंजन बनाए थे भगवान के लिए, पर दुर्योधन के मन में अभिमान था एवं विदुर विदुरानी के घर धन सम्पति तो नहीं पर भगवान के लिए अनन्य भाव था। रात भर जा-ते हुए भगवान को याद करते हुए रोते हुए भगवान को याद करते रहे। उसी भाव को देखते हुए भगवान ने विदुरानी के हाथ से केले के छिलके खाए थे। कर्म करो, सुकर्म करो, कोई भी कार्य करने से पहले सोचो कि मेरे द्वारा -लत कर्म तो नहीं हो रहा, जैसा कर्म करों वैसा ही फल मिले पेड़ बबुल और आम का फल प्राप्त कराना चाहोगे तो कैसे मिले बबुल का पेड़ लगाया है तो कांटे ही मिलेंगे और यदि आम का पेड़ लगाया तो मिठे मिठे फल प्राप्त होंगे। छोटे बच्चों से प्रार्थना है कि पढ़ाई में भरपुर मेहनत करो, निराशा में, या हताश होकर जीना तो जीना नहीं है, अच्छे कर्म करों तो सुख ही सुख मिलेगा और बुरे कर्म करो तो दुख ही दुख: मिलेंगे।
No comments:
Post a Comment