जोधपुर।
नाबालिग लड़की के साथ यौन दुराचार करने के आरोपी आसाराम की राजस्थान हाईकोर्ट ने दूसरी बार जमानत अर्जी को खारिज कर दिया वहीं उनके सहयोगी आरोपी शिवा एवं शिल्पी की जमानत मंजूर कर ली।
न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने आसाराम की अर्जी पर तीन फरवरी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और सोमवार सुबह ही अपना निर्णय सुनाते हुए उसकी जमानत याचिका को फिर खारिज कर दिया। लेकिन शिवा एवं शिल्पी की जमानत अर्जियों को सुननेे के बाद दोनों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
न्यायालय ने कहा कि आसाराम के मामले की परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं होने तथा निचली अदालत में अभी आरोप तय होने शेष है। इसलिए आरोपी को जमानत देना न्यायोचित नहीं होगा और उसकी जमानत याचिका खारिज की जाती है। उल्लेखनीय है कि आसाराम की जमानत उच्च न्यायालय में दो बार खारिज की जा चुकी है।
जमानत पाने वाला शिवा आसाराम का मुख्य सेवादार रहा था जबकि शिल्पी छिंदवाडा गुरूकुल के छात्रावास की वार्डन रही है और ये दोनों भी इस मामले में सहआरोपी बनाए गए थे। शिवा ने पुलिस के समक्ष जबकि शिल्पी ने न्यायालय में समर्पण किया था और इनकी रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद से यहां केन्द्रीय जेल में है। इस मामले में अभी आसाराम के अलावा गुरूकुल के संचालक शरदचन्द्र एवं आसाराम का रसोईयां प्रकाश जेल में है।
नाबालिग लड़की के साथ यौन दुराचार करने के आरोपी आसाराम की राजस्थान हाईकोर्ट ने दूसरी बार जमानत अर्जी को खारिज कर दिया वहीं उनके सहयोगी आरोपी शिवा एवं शिल्पी की जमानत मंजूर कर ली।
न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने आसाराम की अर्जी पर तीन फरवरी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और सोमवार सुबह ही अपना निर्णय सुनाते हुए उसकी जमानत याचिका को फिर खारिज कर दिया। लेकिन शिवा एवं शिल्पी की जमानत अर्जियों को सुननेे के बाद दोनों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
न्यायालय ने कहा कि आसाराम के मामले की परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं होने तथा निचली अदालत में अभी आरोप तय होने शेष है। इसलिए आरोपी को जमानत देना न्यायोचित नहीं होगा और उसकी जमानत याचिका खारिज की जाती है। उल्लेखनीय है कि आसाराम की जमानत उच्च न्यायालय में दो बार खारिज की जा चुकी है।
जमानत पाने वाला शिवा आसाराम का मुख्य सेवादार रहा था जबकि शिल्पी छिंदवाडा गुरूकुल के छात्रावास की वार्डन रही है और ये दोनों भी इस मामले में सहआरोपी बनाए गए थे। शिवा ने पुलिस के समक्ष जबकि शिल्पी ने न्यायालय में समर्पण किया था और इनकी रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद से यहां केन्द्रीय जेल में है। इस मामले में अभी आसाराम के अलावा गुरूकुल के संचालक शरदचन्द्र एवं आसाराम का रसोईयां प्रकाश जेल में है।
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