नई दिल्ली: तेलंगाना सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर लोकसभा में आज भारी हंगामे के बीच ‘आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक’ चर्चा और पारित किए जाने के लिए पेश हुआ। वहीं लोकसभा सदन की कार्यवाही को टीव पर प्रसारित करने पर भी रोक लगा दी गई हैं क्योंकि इस समय संसद में तेलंगाना बिल पर वोटिंग जारी है।
सूत्रों के अनुसार सदन में ध्वनिमत पर तेलंगाना बिल को पास कर दिया गया है हालांकि इस पर अभी कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। गौरतलब है कि आज सदन की कार्यवाही हंगामे के चलते दो बार पहले भी स्थगित की गई थी। आज सुबह कार्यवाही शुरू होते ही विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा तेलंगाना के पक्ष और विरोध में जबरदस्त हंगामा और नारेबाजी की गई। उधर अनुसूचित जाति जनजातियों को प्रोन्नति में आरक्षण और तमिल मछुआरों आदि मुद्दों को लेकर विभिन्न दलों के सदस्यों ने भी भारी हंगामा किया।
इसके कारण सदन की कार्यवाही कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सुबह जैसा हंगामा बरकरार रहा और उसी के बीच अध्यक्ष मीरा कुमार ने आवश्यक दस्तावेज आदि सदन के पटल पर रखवाए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को ‘‘आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2014 ’’ विचार और पारण के लिए पेश करने को कहा। शिंदे ने विधेयक को चर्चा और पारण के लिए पेश किया लेकिन आसन के पास एकत्र विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा अलग अलग मुद्दों पर की जा रही नारेबाजी से व्यवस्था नहंी बन पायी और अध्यक्ष ने कुछ ही मिनट बाद सदन की कार्यवाही पौन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
पौन बजे कार्यवाही शुरू होने पर हंगामा जारी रहा और अध्यक्ष ने उसी के बीच गृह मंत्री से तेलंगाना विधेयक पर अपनी बात रखने को कहा। शिंदे ने विधेयक पर अपनी बात रखनी शुरू भी की लेकिन व्यवस्था नहीं बनने के चलते मीरा कुमार ने कुछ ही क्षणों में सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। आज सुबह से कार्यवाही शुरू होने पर टीआरएस के सदस्य तेलंगाना के पक्ष में और कांग्रेस तथा तेदेपा के सदस्य एकीकृत आंध्र प्रदेश की मांग को लेकर आसन के समक्ष नारे लगाते रहे।
दूसरी ओर, माकपा के सदस्य भी आंध्र प्रदेश का विभाजन नहीं किए जाने के पर्चे लिए हुए आसन के समक्ष आ गए। सपा सदस्य कुछ जातियों को अनुसूचित जाति सूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे जबकि महाराष्ट्र के एक सदस्य अनुसूचिज जाति-जनजाति उप योजना विधेयक को पारित कराने की मांग कर रहे थे। कांग्रेस के.पी.एल पुनिया सहित कई सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक की मांग को लेकर पर्चे लहरा रहे थे। द्रमुक सदस्य तमिल मछुआरों के विरूद्ध श्रीलंकाई नौसेना के उत्पीड़न के मामले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में प्रस्ताव पेश किए जाने की मांग कर रहे थे।
सूत्रों के अनुसार सदन में ध्वनिमत पर तेलंगाना बिल को पास कर दिया गया है हालांकि इस पर अभी कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। गौरतलब है कि आज सदन की कार्यवाही हंगामे के चलते दो बार पहले भी स्थगित की गई थी। आज सुबह कार्यवाही शुरू होते ही विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा तेलंगाना के पक्ष और विरोध में जबरदस्त हंगामा और नारेबाजी की गई। उधर अनुसूचित जाति जनजातियों को प्रोन्नति में आरक्षण और तमिल मछुआरों आदि मुद्दों को लेकर विभिन्न दलों के सदस्यों ने भी भारी हंगामा किया।
इसके कारण सदन की कार्यवाही कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सुबह जैसा हंगामा बरकरार रहा और उसी के बीच अध्यक्ष मीरा कुमार ने आवश्यक दस्तावेज आदि सदन के पटल पर रखवाए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को ‘‘आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2014 ’’ विचार और पारण के लिए पेश करने को कहा। शिंदे ने विधेयक को चर्चा और पारण के लिए पेश किया लेकिन आसन के पास एकत्र विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा अलग अलग मुद्दों पर की जा रही नारेबाजी से व्यवस्था नहंी बन पायी और अध्यक्ष ने कुछ ही मिनट बाद सदन की कार्यवाही पौन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
पौन बजे कार्यवाही शुरू होने पर हंगामा जारी रहा और अध्यक्ष ने उसी के बीच गृह मंत्री से तेलंगाना विधेयक पर अपनी बात रखने को कहा। शिंदे ने विधेयक पर अपनी बात रखनी शुरू भी की लेकिन व्यवस्था नहीं बनने के चलते मीरा कुमार ने कुछ ही क्षणों में सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। आज सुबह से कार्यवाही शुरू होने पर टीआरएस के सदस्य तेलंगाना के पक्ष में और कांग्रेस तथा तेदेपा के सदस्य एकीकृत आंध्र प्रदेश की मांग को लेकर आसन के समक्ष नारे लगाते रहे।
दूसरी ओर, माकपा के सदस्य भी आंध्र प्रदेश का विभाजन नहीं किए जाने के पर्चे लिए हुए आसन के समक्ष आ गए। सपा सदस्य कुछ जातियों को अनुसूचित जाति सूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे जबकि महाराष्ट्र के एक सदस्य अनुसूचिज जाति-जनजाति उप योजना विधेयक को पारित कराने की मांग कर रहे थे। कांग्रेस के.पी.एल पुनिया सहित कई सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक की मांग को लेकर पर्चे लहरा रहे थे। द्रमुक सदस्य तमिल मछुआरों के विरूद्ध श्रीलंकाई नौसेना के उत्पीड़न के मामले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में प्रस्ताव पेश किए जाने की मांग कर रहे थे।
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