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Sunday, October 1, 2017

पहले अपने गिरेबान में झांको ?

बालोतरा
बिठूजा में बड़े रसूखदार उद्यमियो ने अपनी गलतियों पर पर्दा डालने और एनजीटी की मार से बचने के लिए बिठूजा के खेतो व् लूणी नदी में रासायनिक प्रदुषण का ठीकरा अब बिना अनुमति से पेट भराई करने वाले छोटे तबके के गरीब उद्यमियो पर फोड़ा है। खुद एनजीटी के आदेशो की अवहेलना कर लंबे समय से एनओसी से अधिक मशीनरी का सञ्चालन कर खुले में रासायनिक प्रदूषित पानी डालने वाले कुछ हाथी उद्यमियो ने आज उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देकर अवैध इकाइयों को बंद करवाने की मांग की है वो सिर्फ इसलिए कि एनजीटी के डंडे से बच जाये। ज्ञापन देने वालो से एक सवाल है कि अब क्यों अवैध पर कार्यवाही की याद आई है? खुद ने पहले विकास के नाम पर ट्रस्ट की फीस लेकर अवैध को पनपाया और और अब जब खुद को जान पर बन आई तो छोटे उद्यमियो को बलि का बकरा बनाने को चल पड़े है। बड़े हाथी धन बल व् राजनेतिक संरक्षण से एनजीटी की आदेशो की धज्जिया उड़ा रहे है पर प्रदुषण नियंत्रण मंडल व् प्रसाशन को यह नजर नहीं आ रहा है क्योकि चांदी के चम्मच की रौशनी के कारन दिखना बंद हो गया है। अब बड़ी उद्यमी अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए छोटे लोगो को मरवा रहे है। बिठूजा सीईटीपी ट्रस्ट को अपने खिलाफ आवाज उठाने वालो के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करवाने की आदत सी हो गयी है। अब इन छोटे गरीब उद्यमियो के खिलाफ भी कोई मुकदमाँ करवा दे तो कोई आश्चर्य की बात नही होगी।
जब ले रहे है फीस तो कैसे हो गए अवैध-
बिठूजा में  छोटे तबके के व्यापारियो से ट्रस्ट पाइप लाइनों की साफ़ सफाई के लिए प्रतिमाह मोटी फीस ले रहा है तो ये अवैध कैसे हो गए। और यदि अवैध थे तो ट्रस्ट ने उनको बंद करवाने की बजाय पनपाया क्यों?
एनओसी के नाम पर अवैध वसूली-
बिठूजा सीईटीपी ट्रस्ट के कुछ पदाधिकारियो ने प्लांट की कनेक्टिविटी के नाम पर हर बार गरीब उद्यमियो से बड़ी रकम भी ले ली है और लेते जा रहा है तो अवैध शब्द का सवाल ही नहीं उठता है। सीईटीपी ट्रस्ट के कुछ पदाधिकारियो ने ट्रस्ट को निजी सम्पति मान लिया है लेकिन एनजीटी के समक्ष ट्रस्ट का आज तक का लेखा जोखा प्रस्तुत किया जा चूका है इसलिए एनजीटी अपने आप फैसला ले लेगी ।
पिछले 10 वर्षो से ट्रस्ट ने नहीं दी एक भी अनुमति-
बिठूजा ट्रस्ट के पदाधिकारियो ने ट्रस्ट को निजी सम्पति मानते हुए पिछले 10 वर्षो में एक भी नए उद्यमी को प्लांट से कनेक्टिविटी की अनुमति नहीं दी है। जो उद्यमी नियमानुसार ईमानदारी से कार्य करना चाहते है वे उद्यमी ट्रस्ट को फूटी आँख नहीं सुहा रहे है। बालोतरा में उद्यमी भाई भतीजा वाद से अपने मिलने वालो को ऑरेंज केटेगरी की अनुमति दे रहे तो बिठूजा में छोटे व्यापारियो को ट्रस्ट कनेक्टिविटी क्यों नहीं दे रहा है? इससे ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर संदेह उठ रहा है।
ट्रस्ट लूणी नदी की जमीन में चला रहा एचआरटीएस प्लांट,प्रसाशन नहीं कर रहा कोई कार्यवाही-
प्रसाशन ने खुद सीमांकन में पाया है कि बिठूजा सीईटीपी की और संचालित एचारटीएस प्लांट का लूणी नदी में सञ्चालन हो रहा है लेकिन ट्रस्ट के उस अतिक्रमण को हटाने का समय प्रसाशन के पास नहीं है। ऐसे में प्रसाशन की कार्य प्रणाली पर भी संदेह उठ रहा है कि कई सच व् कानून की राह को छोड़कर उपखंड प्रसाशन दबाव में टेक्सटाइल उद्यमियो की गलतियों पर कार्यवाही करने की बजाय उनका सरक्षक बन रहा है।

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