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Saturday, October 7, 2017

कुछ भी करो हम नहीं सुधरने वाले, ऐसे में एनजीटी तो बंद ही करवाएगा

गांधीपुरा के टेक्सटाइल उद्यमी एनजीटी के आदेश को समझ रहे मामूली कागज का टुकड़ा, भारी पड़ेगी लापरवाही, कल कलेक्टर ने कहा नदी में मत डालो प्रदूषित पानी, आज शाम को गांधीपुरा में लूणी नदी में मिला प्रदूषित पानी,क्या जिला कलेक्टर साब के आदेशो को भी कुछ नहीं समझते गांधीपुरा के उद्यमी ।
बालोतरा
बालोतरा में औद्योगिक इकाईयो के रासायनिक प्रदुषण  को  लूणी नदी में डालने से रोकने के लेकर  एनजीटी और लूणी नदी की सख्ती के बावजूद हालात नही सुधर रहे है। कल ही जिला कलेक्टर ने प्रदूषित पानी के निस्तारण व् एनजीटी के निर्देशो की पालना को लेकर सख्त आदेश दिए थे कि नदी में किसी भी प्रकार का प्रदुषण सहन नहीं किया जायेगा पर आदेशो का चिकने घड़ो पर क्या असर होने वाला था? गांधीपुरा क्षेत्र की कपड़ा फैक्ट्रियो का रसायनिक पानी  आज लूनी नदी में बहाया गया। प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति द्वारा प्रशासन को सुचना देने पर नायब तहसीलदार ने मौका मुआयना किया। इस दौरान गांधीपुरा में बड़ी तादाद में रासायनिक प्रदूषित पानी भरा मिला। गौरतलब है की 5 दिन पहले ही एनजीटी ने रसायनिक पानी के निस्तारण में लापरवाही बरतने पर बालोतरा व् जसोल सीईटीपी पर 1.5 करोड़ का जुर्माना लगाया था  और नियमो की पालना को लेकर हिदायत दी।
जब जिला कलेक्टर का आज तक का क्लोज़र आदेश था तो नदी में कैसे आया पानी-
कल जिला कलेक्टर ने बैठक में आज तक के लिए क्लोज़र बढ़ाया था तो आज कैसे नदी में प्रदूषित पानी आया। इसका मतलब यही लगाया जा सकता है कि कलेक्टर साहब ने भले तो इकाइयां बंद रखने के आदेश जारी किये हो लेकिन गांधीपुरा व् बिठूजा की एक भी इकाई बंद नहीं थी सभी में निर्बाध रूप से काम जारी था।
गांधीपुरा व् बिठूजा की लापरवाही बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग पर पड़ेगी भारी-
उपखंड में बालोतरा रिको औद्योगिक क्षेत्र, बिठूजा व् गांधीपुरा सहित अन्य क्षेत्रो में टेक्सटाइल इकाइयों का सञ्चालन हो रहा है। बाकि स्थानों पर प्रदुषण के हालातो की रोकथाम में प्रयास किये जा रहे है पर गांधीपुरा व् बिठूजा तो एनजीटी के आदेशो को मामूली कागज का टुकड़ा समझ रहे है। पाइप लाइन टूटी होने के आड़ में नदी में प्रदूषित पानी बहा रहे है। अगर बिठूजा ट्रस्ट की मंशा इकाइयों का पानी प्लांट में लेने की इच्छा होती तो पाइप लाइन को ठीक करने की आड़ में नदी में प्रदूषित पानी नहीं बहाते बल्कि टैंकर से इकाइयो का पानी सीईटीपी प्लांट में ले जाते।
उद्योग भी जरुरी पर नदी की बर्बाद की कीमत पर नहीं-
देश के विकास के लिए उद्योग जरुरी है पर पर्यावरण के हरण की शर्त पर उद्योग मंजूर नहीं है। टेक्सटाइल उद्योग के सञ्चालन के लिए भी नियम है उनका यहाँ पालन नहीं हो रहा है। हालांकि जल्द ही देश में ऐसा प्रावधान आ सकता है कि जिन क्षेत्रो में पानी कम है वहा पानी आधारित उद्योगों के सञ्चालन की अनुमति ही नहीं मिलेगी।
खुद प्लांट फोड़कर नदी में डालते है पानी इल्जाम दे देते है मीडिया पर-
बिठूजा ट्रस्ट के पदाधिकारी इतने निचले स्तर तक गिर गए है कि खुद एचारटीएस प्लांट को तोड़कर नदी में पानी डालते है और इसका इल्जाम  उनकी कारस्तानी को कैमरे में कैद करने आने वाले पत्रकारो पर डाल देते है। पर ट्रस्ट इस बात को नहीं भूले कि झूठ के केवल चार पैर होते है। आखिर दूध का दूध और पानी का पानी होना तय है। बिठूजा के टेक्सटाइल उद्योगों को बंद करवाया जाना ही उचित है।

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