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Saturday, January 7, 2017

लक्षकार समाज ने की विषेष वर्ग में शामिल करने की मांग

लक्षकार समाज ने की विषेष वर्ग में शामिल करने की मांग
लाखिणी योजना शुरू करवाने की भी मांग
बालोतरा
आज लखारा समाज बालोतरा के द्वारा अखिल भारतीय हिन्दु लखारा महासभा जयपुर के अध्यक्ष श्रवण कुमार बलुन्दा प्रदेषाध्यक्ष के आदेष की पालना में क्षेत्रिय विधायक, पचपदरा एवं राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी को बालोतरा विकास कमेटी के अध्यक्षमहेन्द्र कुमार लखारा व पचपदरा विधानसभा क्षेत्र पचपदरा के लखारा समाज के गणमान्य जोगाराम लालचन्द, ओमप्रकाष स्वरूपकुमारकानाराम जगदीष हरीराम मदन राणाराम भीखाराम हेमराज आदि लोगो के द्वारा ज्ञापन सौपा गया, जिसमे लखारा समाज को अति पिछड़ी, अति अल्पसंख्यक एंव धुमन्तु जाति जो हिन्दु लखेरा/लखारा/लक्ष्कार के नाम से जानी जाती है उसे विषेष पिछड़ी वर्ग;ैण्ठण्ब्द्ध में सम्मिलित कराने के लिए लखारा समाज के द्वारा मांग रखी गई, ज्ञापन में बताया गया की हमारी लखारा जाति गाँव-गाँव, ढाणी-ढाणी घुमकर व चुड़ी का व्यवसाय कर जीवन यापन करने वाले हिन्दू लखारा जाति हर दुष्टि कोण से अत्यन्त पिछड़ी, अल्पसंख्यक व धुमन्तु जाति है। ज्ञापन में  लखारा जाति को विषेष पिछड़ी वर्ग ;ैण्ठण्ब्द्ध में सम्मिलित करने की मांग की है। कि लखारा/लक्ष्कार आदि के नाम से जाने वाले इस अत्यन्तम पिछड़े व धुमन्तु जाति को विषेष पिछडा वर्ग ;गुर्जर, राईका, काल बैलिया ैण्ठण्ब्द्ध में सम्मिलित करके उनके समकक्ष सुविधा प्रदान की जावें। सम्पुर्ण हिन्दुस्तान में यही (लखेरा/लखारा) एक मात्र समाज है जिसकी महिलाएॅ स्वंय व्यापार करती है अपने नाम से सम्पूर्ण क्रय विक्रय कर गृहस्थी व्यापार चलाती हैं उन्हे आर्थिक सरंक्षण दिलाया जावें।
      ज्ञापन में बताया कि इन महिलाओं की सषक्तिकरण हेतु आप आगामी बजट में हिन्दु लखेरा लक्षकार महिलाएॅ के लिए ‘लाखीणी‘ नाम से योजना चलाकर हिन्दु लखारा/लखेरा (लक्षकार) जाति की महिलाओ को विषेष आर्थिक सहायता प्रदान करावें।  सरकार द्धारा विभिन्न बोर्ड व आयोग में हिन्दु लखारा के व्यक्तियों को प्रतिनिधि के रूप में नामित कर उचित सम्मान दिया जाये।
3ण्    इस लाख कला को सरंक्षण देने हेतु राज्य स्तर पर ‘‘लाख कला बोर्ड‘‘ का घटन कर उसकी बागडोर किसी लखेरा/लखारा समाज सेवी को सौपकर सेवा का अवसर प्रदान करावें।
4ण्    आज भी किसी अन्य समाज की शादी होने के तुरन्त बाद दुल्हन को लखेरा के यहां ले जाकर या पर्दा प्रथा हो तो लखेरा को अपने यहां आमंत्रित कर उसके हाथों से लाख की चूड़ी पहनकर उससे अमर सुहाग का आर्षीवाद लेना जो ‘‘लाखीणी‘‘ करना कहलाता है। यह परिपाटी सनातन से चली आ रही है। इस प्रकार सौहार्द, श्रंृगार व सुहाग की प्रतीक बनी चुड़ियाँनिष्चित की लखारा समाज की ओर से भारती नारी को आदिकाल से अनुपम भंेट है।
5ण्    जनसंख्या की दृष्टि से अति अल्पसंख्यक (सम्पूर्ण राजस्थान मे बामुष्किल 5 लाख) है। गांवों में तो दो चार परिवार होते है। जबकि कई गांवो तथा शहरो में तो एक भी परिवार नही होता है।ष्
6ण्    घुमन्तु जीवन शैली, आर्थिक मजबुरियों तथा सामाजिक जागृति क अभाव ने इस समाज को षिक्षा विहीन बना दिया है, यद्यपि वर्तमान में अधिकांष बालक-बालिकाए पढ रहे है, परन्तु आर्थिक मजबूरियों के चलते उच्च षिक्षा तक नहीं पहुंच पाते है। स्नातक, स्नातकोतर, उच्च एवं तकनीकी षिक्षा का आंकडा भी नगण्य है। अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल होने के बावजूदअनेक बड़ी प्रभावषाली व उच्च षिक्षित जातियों द्वारा ही उसका पूरा लाभ उठा लिया जाता है तथा लखेरा समाज मुह ताकता रह जाते है। राजकीय श्रेणी मे उच्च पद भी नगण्य है, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी मे भागीदारी न के बराबर है इस प्रकार की सामाजिक विषमता सभ्य एवं कल्याणकारी राज्य में चिन्तनीय विषय है।


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