पचपदरा के नमक उद्योग पर टेक्सटाइल प्रदुषण के कहर की आशंका
बालोतरा
निकटवर्ती पचपदरा कस्बे में रियासत काल से संचालित हो रहे नमक निर्माण के उद्योग पर बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाले रासायनिक प्रदुषण की मार पड़ने वाली है। पहले से ही पचपदरा में नमक उद्योग मरणासन्न स्थिति में है ऊपर से नमक उद्योग के कैचमेंट क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग को दी जा रही 1264 बीघा जमीन के फेसले ने लवण निर्माताओ की नींद उड़ा दी है। हाल ही में राज्य सरकार ने बालोतरा वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट को पचपदरा साल्ट सेलाइन क्षेत्र में 34.32 वर्ग मील में खेड़ ग्राम पंचायत के खसरा नम्बर 657/1274 व् 852/10 में से कुल 1264 बीघा भूमि देने का निर्णय लिया है। इस भूमि का आवंटन के निर्णय के विरोध में श्री आशापुरा नमक उत्पादक क्षेत्र विकास समिति पचपदरा ने उद्योग विभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर भूमि आवंटन पर आपत्ति जताई है। साथ ही खेड़ व् तिलवाड़ा के सरपंचो व् ग्रामीणों ने भी उद्योग विभाग को इस भूमि के आवंटन के निर्णय पर लिखित में आपत्ति जताई है। आशापूरा नमक उत्पादक क्षेत्र विकास कमिटी ने उद्योग आयुक्त को दिए पत्र में बताया कि नमक क्षेत्र पचपदरा में स्तिथ नमक की खानो से नमक उत्पादकों के घर की रोजी रोटी चलती है। पचपदरासाल्ट के रिजर्व एरिया में करीब 32 मील जमीन में नमक उत्पादन का कैचमेंट एरिया है। इस कैचमेंट एरिया में से 1264 बीघा जमीन को बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग के दे दिए जाने से इस भूमि में टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाला घातक हानिकारक रासायनिक प्रदूषित पानी भर दिया जायेगा। ट्रस्ट को दी जाने वालीप्रस्तावित भूमि के अंदर से होकर बरसाती पानी नमक की खानो में जाता है और उसी बरसाती पानी के वैष्वीकरण से नमक बनता है। इस भूमि को बालोतरा वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट को देने से ट्रस्ट इस भूमि पर रासायनिक प्रदूषित पानी भरेगा जिससे नमक की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ेगा। नमक विकास समिति ने बताया कि पूर्व में ट्रस्ट को जसोल में पौधरोपण के लिए 400 बीघा जमीन दी थी जिस पर ट्रस्ट ने पोधे लगाने की बजाय उस जमीन में रासायनिक प्रदूषित पानी डाल कास्तकारों से ली गयी उस 400 बीघा भूमि को प्रदूषित पानी का तालाब बना दिया है। समिति ने पत्र में यह भी बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में राजस्थान सरकार बनाम चम्पालाल के एक फैसले में उक्त नमक क्षेत्र को संरक्षित भी घोषित किया गया है और नमक क्षेत्र की सम्पूर्ण 34.32 वर्ग मील भूमि को केवल नमक उत्पादन क्षेत्र के विकास व् विस्तार के लिए ही अभिनिर्धारित किया है जिसके चलते जमीन किसी को नहीं दी जा सकती है। समिति ने उक्त 1264 बीघा भूमि का आंवटन ट्रस्ट को नहीं करने की मांग की है।
प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति ने भी दर्ज करवाई आपत्ति-
प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति ने जयपुर में उद्योग विभाग के आयुक्त से मुलाकात कर इस भूमि को ट्रस्ट को देने पर आपत्ति दर्ज करवाई है। आयुक्त को सोपे पत्र में खेड़, तिलवाड़ा ग्रामं पंचायतो के ग्रामीणों ने भी जन हित में उक्त भूमि टेक्सटाइल उद्योग को नहीं देने की मांग की है।
बालोतरा
निकटवर्ती पचपदरा कस्बे में रियासत काल से संचालित हो रहे नमक निर्माण के उद्योग पर बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाले रासायनिक प्रदुषण की मार पड़ने वाली है। पहले से ही पचपदरा में नमक उद्योग मरणासन्न स्थिति में है ऊपर से नमक उद्योग के कैचमेंट क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग को दी जा रही 1264 बीघा जमीन के फेसले ने लवण निर्माताओ की नींद उड़ा दी है। हाल ही में राज्य सरकार ने बालोतरा वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट को पचपदरा साल्ट सेलाइन क्षेत्र में 34.32 वर्ग मील में खेड़ ग्राम पंचायत के खसरा नम्बर 657/1274 व् 852/10 में से कुल 1264 बीघा भूमि देने का निर्णय लिया है। इस भूमि का आवंटन के निर्णय के विरोध में श्री आशापुरा नमक उत्पादक क्षेत्र विकास समिति पचपदरा ने उद्योग विभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर भूमि आवंटन पर आपत्ति जताई है। साथ ही खेड़ व् तिलवाड़ा के सरपंचो व् ग्रामीणों ने भी उद्योग विभाग को इस भूमि के आवंटन के निर्णय पर लिखित में आपत्ति जताई है। आशापूरा नमक उत्पादक क्षेत्र विकास कमिटी ने उद्योग आयुक्त को दिए पत्र में बताया कि नमक क्षेत्र पचपदरा में स्तिथ नमक की खानो से नमक उत्पादकों के घर की रोजी रोटी चलती है। पचपदरासाल्ट के रिजर्व एरिया में करीब 32 मील जमीन में नमक उत्पादन का कैचमेंट एरिया है। इस कैचमेंट एरिया में से 1264 बीघा जमीन को बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग के दे दिए जाने से इस भूमि में टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाला घातक हानिकारक रासायनिक प्रदूषित पानी भर दिया जायेगा। ट्रस्ट को दी जाने वालीप्रस्तावित भूमि के अंदर से होकर बरसाती पानी नमक की खानो में जाता है और उसी बरसाती पानी के वैष्वीकरण से नमक बनता है। इस भूमि को बालोतरा वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट को देने से ट्रस्ट इस भूमि पर रासायनिक प्रदूषित पानी भरेगा जिससे नमक की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ेगा। नमक विकास समिति ने बताया कि पूर्व में ट्रस्ट को जसोल में पौधरोपण के लिए 400 बीघा जमीन दी थी जिस पर ट्रस्ट ने पोधे लगाने की बजाय उस जमीन में रासायनिक प्रदूषित पानी डाल कास्तकारों से ली गयी उस 400 बीघा भूमि को प्रदूषित पानी का तालाब बना दिया है। समिति ने पत्र में यह भी बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में राजस्थान सरकार बनाम चम्पालाल के एक फैसले में उक्त नमक क्षेत्र को संरक्षित भी घोषित किया गया है और नमक क्षेत्र की सम्पूर्ण 34.32 वर्ग मील भूमि को केवल नमक उत्पादन क्षेत्र के विकास व् विस्तार के लिए ही अभिनिर्धारित किया है जिसके चलते जमीन किसी को नहीं दी जा सकती है। समिति ने उक्त 1264 बीघा भूमि का आंवटन ट्रस्ट को नहीं करने की मांग की है।
प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति ने भी दर्ज करवाई आपत्ति-
प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति ने जयपुर में उद्योग विभाग के आयुक्त से मुलाकात कर इस भूमि को ट्रस्ट को देने पर आपत्ति दर्ज करवाई है। आयुक्त को सोपे पत्र में खेड़, तिलवाड़ा ग्रामं पंचायतो के ग्रामीणों ने भी जन हित में उक्त भूमि टेक्सटाइल उद्योग को नहीं देने की मांग की है।
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