कोयला बनाने के लिए हरे दरख्तो पर चल रही कुल्हाड़ी
> बालोतरा
पर्यावरण संरक्षण को लेकर राज्य सरकार कितने ही दावे करे, लेकिन पुलिस और वन विभाग की उदासीनता के चलते यहां पर सभी दावे खोखले साबित हो रहे है सिणधरी निकटवर्ती निकलने वाली लुनी नदी मे खुडाला ,जालीखड़ा में हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है! हालांकि क्षेत्र में वृक्षों की रक्षा के लिए बाकायदा वन विभाग की टीमें व पुलिस थाना सब कुछ है, मगर पेड़ों के तस्कर नियमों को ताककर पुलिस और वन विभाग की नाक के नीचे हरे वृक्षों को काटकर गीली लड़की को काट कर सुखाया जाता है और कोयला बना कर मोटी रकम मे बेच रहे हे! गौर करें तो क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई का यह सिलसिला पिछले लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इन तस्करों ने इस कारोबार को इतना बढ़ा दिया है कि संबंधित विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग पाती। लकड़ी तस्कर ज्यादातर बबूल के वृक्ष काटकर इस धंधे से जुड़े व्यापारियों को बेच देते हैं। दलाल उन्हें व्यपारीयो को को डेढ़े भावों में बेच देते हैं। तथा पेड़-पोधे की प्रजाति विलुप्त होती जा रही हे यह पर्यावरण के लिए खतरे की घटी हे क्योंकी चारो और पेड़-पोधो की कटाई चल रही हे ग्रामीण क्षेत्रो में खास कर बबुल की कटाई चलती रहती हे यदि समय रहते वन विभाग नही चेता तो बबुल वृक्ष विलुप्त हो जायेंगे।
>
> पर्यावरण को भारी नुकसान
> ग्रामीण क्षेत्रो में अगर इस तरह हरे-भरे वृक्ष कटते रहेंगे तो ओजोन परत से आने वाली पराबैगनी किरणों का बड़ा नुकसान भुगतना पड़ेगा आज कम बारिश तथा ज्यादा अकाल पड़ने से पेड़-पोधो की हरियाली समाप्त हो जायगी
> बालोतरा
पर्यावरण संरक्षण को लेकर राज्य सरकार कितने ही दावे करे, लेकिन पुलिस और वन विभाग की उदासीनता के चलते यहां पर सभी दावे खोखले साबित हो रहे है सिणधरी निकटवर्ती निकलने वाली लुनी नदी मे खुडाला ,जालीखड़ा में हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है! हालांकि क्षेत्र में वृक्षों की रक्षा के लिए बाकायदा वन विभाग की टीमें व पुलिस थाना सब कुछ है, मगर पेड़ों के तस्कर नियमों को ताककर पुलिस और वन विभाग की नाक के नीचे हरे वृक्षों को काटकर गीली लड़की को काट कर सुखाया जाता है और कोयला बना कर मोटी रकम मे बेच रहे हे! गौर करें तो क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई का यह सिलसिला पिछले लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इन तस्करों ने इस कारोबार को इतना बढ़ा दिया है कि संबंधित विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग पाती। लकड़ी तस्कर ज्यादातर बबूल के वृक्ष काटकर इस धंधे से जुड़े व्यापारियों को बेच देते हैं। दलाल उन्हें व्यपारीयो को को डेढ़े भावों में बेच देते हैं। तथा पेड़-पोधे की प्रजाति विलुप्त होती जा रही हे यह पर्यावरण के लिए खतरे की घटी हे क्योंकी चारो और पेड़-पोधो की कटाई चल रही हे ग्रामीण क्षेत्रो में खास कर बबुल की कटाई चलती रहती हे यदि समय रहते वन विभाग नही चेता तो बबुल वृक्ष विलुप्त हो जायेंगे।
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> पर्यावरण को भारी नुकसान
> ग्रामीण क्षेत्रो में अगर इस तरह हरे-भरे वृक्ष कटते रहेंगे तो ओजोन परत से आने वाली पराबैगनी किरणों का बड़ा नुकसान भुगतना पड़ेगा आज कम बारिश तथा ज्यादा अकाल पड़ने से पेड़-पोधो की हरियाली समाप्त हो जायगी
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