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Sunday, December 7, 2014

डाॅ. अम्बेडकर दलित वर्ग के ही नहीं, समरूप भारत के मसीहा थे-परिहार

बाड़मेर. भीम विद्या मंदिर उच्च प्राथमिक विद्यालय नेहरू नगर बाड़मेर में डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के 59वें महापरिनिर्माण दिवस पर श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित कर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई। इस अवसर पर विद्यालय प्रंबध निदेशक प्रेम परिहार ने कहा कि बाबा साहब की वैचारिक क्रान्ति केवल मात्र दलित वर्ग तक ही सीमित नहीं थे, अपितु उन्होंने तो एक सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक समरूप भारत का स्वप्न देखा था जहां भारत देश के सभी नागरिक चाहे वह किसी धर्म, जाति, मजहब या वर्ग का ही एक समान जीवन जीवें। राष्ट्रीयता की इस उत्कृष्ट परिभाषा एवं दूर दृष्टि के साथ देश के संविधान का निर्माण किया। इस अवसर पर संस्था प्रधान सालूराम सेजू ने डाॅ. अम्बेडकर की जीवनी पर प्रकाश डाला।
श्रद्धाजंलि सभा के प्रभारी राजूराम परिहार ने बताया कि डाॅ. भीमाराव अम्बेडकर ने हमेशा देश हित के लिए कार्य किया। अध्यापक उदयराज परिहार ने अम्बेडकर के बताये मार्ग पर चलने की बात कही। वहीं अध्यापक ललित देवपाल ने डाॅ. अम्बेडकर के तीन सिद्धातों शिक्षित बनो, संगठित रहो, एवं संर्घष करो की बात कही। कार्यक्रम में छात्रा गीता, राजनन्दनी, बिलाल हुसैन, आरसु तमन्ना, हरेन्द्र कुमार, कैलाश गर्ग, ओमप्रकाश व नन्दनी ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर अध्यापक राजूराम परिहार, उदयराज परिहार, ललित देवपाल, मुकेशापाल, पार्वती नामा सहित विद्यालय स्टाॅफ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन दा़ जसराज मेघवाल ने किया।
                                                       

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