हाळी अमावस्या पर्व पर देखे जमाने के शगुन
परंपरागत तरीके से मनाया पर्व, लोक रवायतों का किया निर्वाहन
बालोतरा
उपखंड
में हाळी अमस्वस्या का पर्व हर्षोउल्लास व् लोक रवायतों के निर्वाहन के
साथ मनाया गया। गावो में दिन भर सभाओ व् प्रेमसभाओ का दौर जारी रहा साथ ही
ग्रामीण परिवेश में बड़े पर्व के रूप में जाने जानी वाली हाळी अमावस्या के
पर्व पर आने वाले जमाने व् भविष्य के शगुन देखे गए। दिन भर धर्म पुण्य का
भी दौर लगा रहा।
देखे जमाने के शगुन-
हाळी
अमावस्या पर बुधवार को माली समाज द्वारा परम्परागत तरिके से आने वाले
मानसून के शगुन देखनें की परम्परा का निर्वहन किया गया। माली समाज भवन व
गांधीपुरा में स्थित रामाजी की वाड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के
प्रबुद्धजनों व बुजुर्गों सहित बड़ी संख्या में युवाओं ने भी भाग लिया।
समाज के बुजुर्गों के अनुसार सदियों से चली आ रही इस परम्परा को वे आगे
बढ़ा रहे है और आगे आने वाली पीढ़ी भी इसमें रूचि ले रही है जो इसको जिन्दा
रखने में मददगार साबित होगी। आधुनिक विज्ञान के दौर में आज भी हाळी
अमावस्या व आखातीज पर इस पौराणिक रिती-रिवाज से आने वाले मानसून की सटीक
भविष्यवाणी की उम्मीद की जाती है। इस बार के कार्यक्रम में भी अच्छे मानसून
की उम्मीद दिखाई दी है। इस अवसर पर सभापति रतन खत्री,उप सभापति राधेश्याम
माली,पूर्व सभापति महेश बी चौहान,पार्षद चंपालाल सुंदेशा,नेनाराम
सुंदेशा,मानवेंद्र परिहार,धनराज घांची,नेमीचंद माली,कुंपाराम
पंवार,प्रभुराम माली,समाजसेवी उदाराम चौहान,मोहनलाल गहलोत,धनराज
टांक,मंगलाराम टांंक,मोहनलाल कच्छवाह,चंपालाल परिहार,गोविंद
कच्छवाह,जवाराराम सुंदेशा, पूर्व पार्षद सुरेश पंवार,सुजाराम चौहान,माणकचंद
गहलोत,डूंगरचंद पंवार,भीमाराम चौहान,प्रेम चौहान सहित बड़ी संख्या में
माली समाज के मौजिज लोग उपस्थित थे।
ऐसे देखते है शगुन की परम्परा को -
प्रबुद्धजन
एक प्रेम सभा के रूप में उपस्थित होते है। उसके बाद एक बाजोट पर 5 प्रकार
के मिट्टी के कुल्हड़ लेकर उसमें पानी भरते है। इन मिट्टी के कुल्हड़ को 4
भागों में हिंदू माह असाड़,श्रावण,भाद्रपद्र व आसोज माह के आधार बांटा जाता
है। और इसमें पांचवे कुल्हड को थम्ब कहा जाता है ये अगर इन पांच महिनों के
पहले फूट जाता है तो उस महिने में बारिश ज्यादा होती है। उसके सामने कई
प्रकार के धान जैसे गेहूं,बाजरी आदि को रखा जाता है। इन सब की विधि विधान
से पूजा अर्चना कर पानी के कुल्हड़ में ऊन के धागों को रखा जाता है। उसके
पश्चात ये कुल्हड़ एक-एक करके फूटने लगते है तो उस महिने में बारिश का
अनुमान निकाला जाता है। और मानसून में कौनसे माह में कैसी बारिश होगी इसका
संकेत निकाला जाता है।
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