किसी भी कीमत पर खेती का पानी नहीं बिकने देंगे-नामा
बालोतरा
बिठूजा क्षेत्र में लूणी नदी के किनारे पिछले 10 वर्षो से डार्क जोन में प्रसाशन की मिली भगत से कृषि कुओ से अवैध व् अंधाधुन जल दोहन कर टेक्सटाइल इकाइयों को बेचकर जल कारोबारी किसानो की हितो पर कुठाराघात कर रहे है, पिने व् खेती के लिए पानी नहीं है और जल कारोबारी टेक्सटाइल इकाइयों को पानी बेच कर चांदी काट रहे और प्रसाशन कास्तकार अधिनियम की आड़ में लूणी नदी की सेहत से खिलवाड़ करने वाले जल कारोबारियों का सरक्षक बना हुआ है। यह कहना है बिठूजा के किसानो व् ग्रामीणों का। हाल ही में बिठूजा में जल दोहन को रुकवाने के लिए लोकायुक्त में अपील करने वाले भेरूलाल नामा ने विशेष बातचीत में कहा कि बिठूजा के ग्रामीण पिछले दस वर्षो से खेती के पानी को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे है पर अवैध जल दोहन में प्रसाशन की मौन स्विकृति होने के कारण किसानो की आवाज को दबा दिया गया। कुछ समय पहले किसानो ने अपनी समस्या को लेकर प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति ने संपर्क किया तो समिति ने लोकायुक्त की शरण लेने की सलाह दी। जिस पर लोकायुक्त महोदय ने किसानो को पीड़ा को समझते हुए बिठूजा के डार्क जोन में हो रहा जल दोहन को तुरंत बंद करने के आदेश दिये है। पर स्थानीय प्रसाशन लोकायुक्त के आदेश में लीपापोती कर कास्तकार अधिनियम की आड़ में लूणी नदी में पाइप लाइने डालकर सीधे ही औद्योगिक इकाइयों को पानी बेचने वाले जल कारोबारियों को बचाने का प्रयास कर रहा है। नामा ने बताया की यह सही है कि बलोतरा में संचालित टेक्सटाइल उद्योग पूर्णत पानी पर आधारीत है पर पिछले 10 से अधिक वर्षो से जल दोहन करने वाले टेक्सटाइल उद्योग ने मरूगंगा की खोखली होती जा रही कोख में जल के पुनर्भरण के लिए क्या किया है? इसका जवाब भी टेक्सटाइल उद्योग किसानो को दे। नामा ने कहा कि जब किसान एक नलकूप खोदने के अनुमति के लिए सरकार से दरख़्वास्त करता है तो उसे जल के पुनर्भरण के लिए सरकार हजार प्रकार से पाबंद करती है। लेकिन क्या पुनर्भरण के कायदे कानून केवल किसानो के लिए ही लागु होते है? नामा ने बताया कि अब किसान बिठूजा में जल दोहन को रुकवाने के लिए आर पर की लड़ाई लड़ने का मानस बना चुके है और बिठूजा से किसी भी सूरत में जल दोहन नहीं होने देंगे और प्रसाशन द्वारा उचित कार्यवाही नहीं किये जाने पर आन्दोलन किया जायेगा।
बालोतरा
बिठूजा क्षेत्र में लूणी नदी के किनारे पिछले 10 वर्षो से डार्क जोन में प्रसाशन की मिली भगत से कृषि कुओ से अवैध व् अंधाधुन जल दोहन कर टेक्सटाइल इकाइयों को बेचकर जल कारोबारी किसानो की हितो पर कुठाराघात कर रहे है, पिने व् खेती के लिए पानी नहीं है और जल कारोबारी टेक्सटाइल इकाइयों को पानी बेच कर चांदी काट रहे और प्रसाशन कास्तकार अधिनियम की आड़ में लूणी नदी की सेहत से खिलवाड़ करने वाले जल कारोबारियों का सरक्षक बना हुआ है। यह कहना है बिठूजा के किसानो व् ग्रामीणों का। हाल ही में बिठूजा में जल दोहन को रुकवाने के लिए लोकायुक्त में अपील करने वाले भेरूलाल नामा ने विशेष बातचीत में कहा कि बिठूजा के ग्रामीण पिछले दस वर्षो से खेती के पानी को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे है पर अवैध जल दोहन में प्रसाशन की मौन स्विकृति होने के कारण किसानो की आवाज को दबा दिया गया। कुछ समय पहले किसानो ने अपनी समस्या को लेकर प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति ने संपर्क किया तो समिति ने लोकायुक्त की शरण लेने की सलाह दी। जिस पर लोकायुक्त महोदय ने किसानो को पीड़ा को समझते हुए बिठूजा के डार्क जोन में हो रहा जल दोहन को तुरंत बंद करने के आदेश दिये है। पर स्थानीय प्रसाशन लोकायुक्त के आदेश में लीपापोती कर कास्तकार अधिनियम की आड़ में लूणी नदी में पाइप लाइने डालकर सीधे ही औद्योगिक इकाइयों को पानी बेचने वाले जल कारोबारियों को बचाने का प्रयास कर रहा है। नामा ने बताया की यह सही है कि बलोतरा में संचालित टेक्सटाइल उद्योग पूर्णत पानी पर आधारीत है पर पिछले 10 से अधिक वर्षो से जल दोहन करने वाले टेक्सटाइल उद्योग ने मरूगंगा की खोखली होती जा रही कोख में जल के पुनर्भरण के लिए क्या किया है? इसका जवाब भी टेक्सटाइल उद्योग किसानो को दे। नामा ने कहा कि जब किसान एक नलकूप खोदने के अनुमति के लिए सरकार से दरख़्वास्त करता है तो उसे जल के पुनर्भरण के लिए सरकार हजार प्रकार से पाबंद करती है। लेकिन क्या पुनर्भरण के कायदे कानून केवल किसानो के लिए ही लागु होते है? नामा ने बताया कि अब किसान बिठूजा में जल दोहन को रुकवाने के लिए आर पर की लड़ाई लड़ने का मानस बना चुके है और बिठूजा से किसी भी सूरत में जल दोहन नहीं होने देंगे और प्रसाशन द्वारा उचित कार्यवाही नहीं किये जाने पर आन्दोलन किया जायेगा।
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