रिफायनरी लगने के बाद क्या होगा नमक की खानो व् नमक उद्योग का ?
हजारो श्रमिको की रोजी रोटी पर आ सकता है संकट
ओमप्रकाश सोनी
बालोतरा
पचपदरा में रिफायनरी का एमओयू होने के बाद से समूचे जिले में खुशी की लहर है पर रिफायनरी की घोषणा के बाद से पचपदरा में नमक उत्पादन कर पीढ़ियों से रोजी रोटी प्राप्त करने वाले नमक उत्पादको में मायूसी झलक रही है। कारण यह कि जिस भूमि पर रिफायनरी प्रस्तावित है वो भूमि अंग्रेजो के जमाने से नमक की खानो के रूप में जानी जाती है। अभी भी साल्ट क्षेत्र में अनेक खानो से नमक का उत्पादन हो रहा है जिससे खारवाल समाज के कई परिवार पिढियो से रोजी रोटी प्राप्त् कर रहे है। पचपदरा व् साल्ट क्षेत्र के लंबे विशाल भू भाग में उस स्थान पर ही रिफायनरी लगने जा रही है जहा अभी वर्तमान में नमक उत्पादन हो रहा है और जो क्षेत्र नमक उत्पादन के लिए संरक्षित है। रिफायनरी का निर्माण होने पर नमक की खाने बंद हो जायेगी और अंग्रेजो की रानी विक्टोरिया की रसोई का स्वाद बढ़ाने वाले पचपदरा के नमक उद्योग का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। अपनी रोजीरोटी पर आ रहे संकट से नमक उत्पादक परेशानी में है।
अभी नमक की खानो पर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं-
अभी रिफायनरी के एमओयू होने के बाद भी रिफायनरी की जद में आने वाली नमक की खानो के बारे में सरकार का रुख खुलकर सामने नहीं आ रहा है जो नमक उत्पादकों के लिए चिंता का कारण है। नमक उत्पादकों की मांग है कि सरकार नमक उत्पादकों के पुनर्वास पर भी शीघ्र फैसला ले।
मुख्य मंत्री को लिखा पत्र-
रिफाइनरी लगने पर उसके क्षैत्र मे नमक की खाने बीचो बीच मे आने पर खारवाल समाज पचपदरा ने मुख्य मंत्री को पत्र भेजा है।
पचपदरा के खारवाल समाज, श्री सांभरा आशापुरा नमक उत्पादन क्षेत्र विकास समिति पचपदरा द्वारा मुख्यमंत्री वसुन्धराराजे के नाम पत्र भेजा गया है। पत्र में बताया गया कि पचपदरा नमक उत्पादन क्षैत्र मे प्रस्तावित तेल रिफाइनरी में नमक उत्पादको के हितो का भी ध्यान रखा जाये। पत्र में बताया कि नमक उत्पादन क्षेत्र 3234 वर्गमील मे फेला है और यहाँ सदियो से खारवाल जाति पचपदरा के लोगो द्वारा पीढी दर पीढी नमक उत्पादन कर रहे है। उक्त क्षेत्र मे पूर्ववर्ती काग्रेस सरकार ने आनन फानन मे नमक उत्पादको के हितो का उल्लघंन करते हुये रिफाइनरी का शिलान्यास कर दिया था जिसका खारवाल समाज ने उसी समय विरोध जताया जताया था । खारवाल समाज ने मजबूरन न्यायालय की शरण भी ली है। वर्तमान मे उक्त सम्बन्ध मे माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मे मामला लम्बित है।
करेंगे धरना प्रदर्शन-
श्रीसांभरा आशापुरा नमक उत्पादन क्षेत्र विकास समिति के अध्यक्ष पारस खारवाल में बताया कि सरकार में नमक उत्पादकों के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की तो आने वाले समय में नमक उत्पादक आंदोलन कर धरना प्रदर्शन करेंगे।
इनका कहना है-
कई वर्षो पूर्व माननिय सुप्रीम कोर्ट ने एक समझोते में खारवाल समाज को नमक की खानो का मालिकाना हक़ दिया है साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के समझोते के बिंदु क्रमांक 16 के तहत यह शर्त लगाई गयी है कि सरकार जब भी विकास के लिये नमक उत्पादकों को खानो की भूमि ले तो उनके पुनर्वास की व्यवस्था को जिम्मेवारी सरकार की होगी। कोर्ट के उक्त फैसले के आधार पर न्यायिक कार्यवाही की जॉएगी।
महेश खारवाल, एडवोकेट।
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रिफायनरी से हजारो लोगो को रोजगार देने की बात सरकार कह रही है पर नमक की खानो के बन्द होने से जो हजारो लोग बेरोजगार होने उनके बारे में सरकार कुछ नहीं कर रही है। नमक उत्पादकों के हक़ के लिए कानूनी संघर्ष किया जायेगा।
पारसमल खारवाल, अध्यक्ष आशापुरा नमक उत्पादक संघ।
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