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Monday, February 20, 2017

राष्ट्रीय हरित अधिकरण से की मरू गंगा में रासायनिक प्रदुषण के रोकथाम की मांग

राष्ट्रीय हरित अधिकरण से की  मरू गंगा में रासायनिक प्रदुषण के रोकथाम की मांग
बालोतरा
बिठूजा के ग्रामीणों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण की दिल्ली बेंच के न्यायधिपति को पत्र भेजकर मरू गंगा लूणी नदी में रासायनिक प्रदुषण की रोकथाम करवाकर नदी को बर्बाद होने से बचाने की मांग की है। पत्र में बीठूजा के ठाकुर नटवरसिंह, सरपंच पिता मंगलसिंह राजपुरोहित, बिठूजा दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति के अध्यक्ष हीराराम चोधरी, उपसरपंच उकड़राम आदि ग्रामीणों ने पत्र में बताया कि बालोतरा में टेक्सटाइल उद्योग की शुरुवात होने से पहले लूणी नदी इस क्षेत्र के लिए खुशहाली का प्रतिक थी। नदी से मिलने वाले मीठे पानी से क्षेत्र में बारह ही महीने खेती होती थी। बालोतरा उपखंड को खुशहाली प्रदान करने के कारण इसे मरूगंगा का दर्जा दिया जाकर नदी को पूजा जाता था। नदी समूचे उपखंड के लिए लाइफ लाइन थी। लेकिन जब से बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाले हानिकारक रासायनिक प्रदूषित पानी को बिना निस्तारित किये लूणी नदी में डाले जाने का सिलसिला शुरू हुआ है तब से मरूगंगा रासायनिक प्रदुषण का कहर झेलते झेलते एक प्रदूषित पानी का दरिया बनकर रह गयी है। बेरोकटोक लूणी नदी में डाले जाने वाले रासायनिक प्रदूषित पानी से मरूगंगा लूणी नदी की उपजाऊ कोख को बंजर कर दिया है। ग्रामीणों ने ज्ञापन में बताया कि किसान लंबे समय से प्रसाशन व् प्रदुषण नियंत्रण मंडल से लूणी नदी में रासायनिक प्रदुषण के रोकथाम की मांग कर रहे है पर दोनों ही विभाग अपने कर्तव्यों से मुह मोड़ रही है। रासायनिक प्रदुषण के कहर से लूणी नदी के आस पास स्तिथ दर्जनों गावो में खेती नष्ट हो गयी है और हजारो किसान बेरोजगार हो गए है। इस वर्ष लूणी नदी में भगवान की मेहरबानी से अच्छी आवक हुई लेकिन उस बरसाती पानी के आड़ में बालोतरा वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट के एचआरटीएस प्लांट से 10 अगस्त 2016 की अलसुबह व् 11 सितम्बर 2016 को दिन के समय बिठूजा सीईटीपी प्लांट से बड़ी तादाद में रासायनिक प्रदूषित पानी छोड़ दिया गया। नदी में रासायनिक प्रदुषण डाले जाने से कच्छ के रन तक नदी जहरीली हो गयी है। नदी में डाले गए प्रदूषित पानी से मछलिया भी मर गयी। सरकार ने बालोतरा व् बिठूजा में वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट बना दिए है लेकिन दोनों ही ट्रस्ट एनजीटी के आदेशो की पालना नहीं कर रहे है। बिठूजा में ट्रस्ट ने लूणी नदी के ही खसरा नंबर 84 में कच्चा तालाब बनाकर पानी भर दिया है। बालोतरा में भी लूणी नदी के किनारे कच्चा तालाब बनाया हुआ है जिससे रिसकर रासायनिक प्रदूषित पानी लूणी नदी में जा रहा है जो एनजीटी के आदेश को अवहेलना है। बालोतरा व् बिठूजा में संचालित एचारटीएस प्लांटों में किसी भी प्रकार का वृक्षारोपण नहीं है फिर भी प्रदुषण नियंत्रण मंडल ट्रस्ट के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। 14 जनवरी को उपखंड अधिकारी ने ग्रामीणों को शिकायत पर बिठूजा में सघन जांच की थी जिसमे टेक्सटाइल इकाइयों से लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषित पानी डाला जाता मिला था लेकिन प्रसाशन ने टेक्सटाइल इकाइयों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जिससे लगता है कि प्रसाशन की लूणी नदी में प्रदुषण के रोकथाम में कोई रूचि नहीं है। ग्रामीणों ने पत्र में बताया कि बिठूजा क्षेत्र में एक अनुमति की आड़ में दो सइ तीन इकाइयों का सञ्चालन हो रहा है जो अवैध है। ग्रामीणों ने एनजीटी से विशेष जांच दल गठित कर लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषण की रोकथाम करवाने की मांग की है।

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