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Sunday, March 18, 2018

मेले मेलजोल की रवायतो के प्रतीक-भूराराम महाराज

मेले ही हमारी संस्कृति को सहजने के साधन
आधुनिक पीढ़ी मेलो संस्कृति व रवायतो से हो रहे दूर
बालोतरा
मेले हमारे प्रदेश की मेलजोल की रवायत के प्रतीक है ओर मेलो के माध्यम से मेलजोल, भाई चारे व सोहार्द की भावना को बढ़ावा मिलता है। यह बात सड़ला नाड़ा धाम सुभद्रा माता मंदिर व मामाजी धाम के गादीपति भूराराम महाराज ने तिलवाड़ा मल्लिनाथ पशु मेले मे आयोजित धर्म सभा मे कही। समाज सेवी कानाराम साईं ने बताया कि गादीपति ने मल्लिनाथ के दर्शन कर क्षेत्र मे खुशहाली की कामना की। बाद मे मेला मैदान मे श्रद्धालुओं ने गादीपति के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गादीपति ने कहा कि मेले हमारी संस्कृति को संरक्षण प्रदान कर रहे है पर आधुनिकता की होड़ मे नई पीढ़ी हमारी संस्कृति व धरोहर, रीति-रिवाज को भूलती जा रही है जो चिंताजनक है। भूराराम महाराज ने प्रवचन मे कहा कि गाय को पूजने व घर पर पालने की संस्कृति भी खत्म होती जा रही है। उन्होंने कहा कि गौ वंश के संरक्षण की भी जरूरत है। गादीपति ने युवाओ से नशे की लत से दूर रहकर स्वस्थ समाज व स्वस्थ समाज के निर्माण मे भागीदार बनने का आव्हान किया।

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