रासायनिक प्रदुषण के रोकथाम की मांग
बालोतरा
प्रदुषण
निवारण एवम पर्यावरण संरक्षण समिति ने केंद्रीय प्रदुषण मंडल को ज्ञापन
भेजकर बालोतरा में रासायनिक प्रदुषण के रोकथाम की मांग की है। ज्ञापन में
बताया कि बालोतरा में पिछले चालीस वर्षो से संचालित टेक्सटाइल उद्योग ने
क्षेत्र की प्राकृटिक सम्पदा को नष्ट कर दिया है। टेक्सटाइल उद्योग से
निकलने वाला रासायनिक प्रदूषित पानी सीधे ही लूणी नदी में डाला जा रहा है
जिससे लूणी नदी पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है। किसानो द्वारा पिछले 20
वर्षो से भी अधिक समय से राज्य प्रदुषण नियंत्रण मंडल सहित जिला कलेक्टर व्
उपखंड अधिकारी सहित सरकार से लूणी नदी में रासायनिक प्रदुषण के रोकथाम की
मांग की जा रही है पर किसानो की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। टेक्सटाइल
प्रदुषण के कहर से मरूगंगा लूणी नदी बालोतरा से लेकर कच्छ तक रासायनिक
प्रदुषण का दरिया बन गयी है। किसान बार बार बालोतरा से लेकर जयपुर और
दिल्ली तक के चक्कर काट रहे है पर कोई अधिकारी लूणी नदी को बचाने के लिए
कार्यवाही नहीं कर रहे है। किनारे स्तिथ खेत रासायनिक प्रदुषण के कहर से
बंजर हो चूके है।
एनजीटी की कड़ी फटकार के बावजूद भी
बिठूजा, बालोतरा,जसोल और गांधीपुरा में प्रदुषण के हालातो में सुधार नहीं
हो रहा है। उद्यमियो द्वारा प्रदुषण के मानको को ताक पर रखकर घातक रासायनिक
प्रदूषित पानी खेतो व् लूणी नदी में डाला जा रहा है। बिठूजा में तो प्लांट
की और जाने वाली सीवरेज की साफ़ सफाई की आड़ में प्रदूषित पानी लूणी नदी में
डाला जा रहा है। पिछले चार वर्षो से सीईटीपी साफ सफाई का राग अलाप कर
रासायनिक प्रदूषित पानी लूणी नदी में डाल रहे है। वही प्रदुषण नियंत्रण
मंडल के अधिकारी भी साफ सफाई के बहाने की आड़ में सीईटीपी प्लांट को क्लीन
चिट दे रहे है। भले ही सफाई के नाम पर लूणी नदी में प्रदूषित पानी छोड़ा जा
रहा है पर आखिर यह है तो एनजीटी के आदेशो की अवहेलना। पर प्रदुषण नियंत्रण
मंडल के अधिकारियो का संरक्षण के चलते टेक्सटाइल उद्यमी बेलगाम होकर लूणी
नदी में रासायनिक प्रदूषित पानी डालकर मरूगंगा लूणी नदी को बर्बाद कर रहे
है।
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