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Tuesday, June 20, 2017

सीईटीपी बालोतरा के खिलाफ कार्यवाही की मांग

सीईटीपी बालोतरा के खिलाफ कार्यवाही की मांग
बालोतरा
सीईटीपी बालोतरा द्वारा संचालित एचारटीएस प्लांट के बार बार टूटकर लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषित पानी के जाने पर माननीय एनजीटी के आदेश की अवहेलना करने पर बालोतरा वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट के खिलाफ प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षणसमिति ने कड़ी कार्यवाही की मांग की है। समिति ने राज्य प्रदुषण नियंत्रण मंडल की चेयरमैन को ज्ञापन भेजा है। समिति अध्यक्ष तुलसाराम चोधरी ने बताया कि 
 वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट द्वारा लूणी नदी के किनारे संचालित एचारटीएस प्लांट को पूर्ण रूप से कच्चा रखा गया है। प्लांट में भरे घातक रासायनिक प्रदूषित पानी का वषवीकरण नहीं होने से प्लांट में भरा रासायनिक प्रदूषित पानी खाली नहीं हो रहा है। प्लांट के कच्चा होने की आड़ में वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट द्वारा जानबूझ कर प्लांट के फूटने के बहाने लूणी नदी में रसायनीक प्रदूषित पानी डाला जा रहा है। प्लांट के फूटने का कारन भले ही कुछ भी ट्रस्ट द्वारा बताया जाये पर प्लांट से लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषित पानी जाने पर एनजीटी के आदेशो  की  अवहेलना हो रही है। हमारी समिति द्वारा समय पर बालोतरा वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट के पदाधिकारियो व् बालोतरा में नियुक्त प्रदुषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियो से 25 जनवरी 2016 को प्लांट पर मोके पर बुलाकर प्लांट के कच्चा होने से इसके टूटने व् इस प्लांट से रिसकर लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषित पानी के जाने की जानकारी दी थी। जिस पर सहायक अभियंता राकेश धींगड़ा ने सीईटीपी प्लांट के इंजीनियर को प्लांट को सही करवाने के लिखित में निर्देश दिए थे। समिति ने बालोतरा एचारटीएस प्लांट की लूणी नदी की तरफ की दिवार के निचे प्लास्टिक की परत बनाने का भी निवेदन किया था ताकि दिवार ढहे नहीं। बावजूद इसके लंबा समय गुजर जाने के बाद भी प्लांट के निचे प्लास्टिक नहीं लगाया गया है जिस कारन प्लांट 25 जनवरी 2016 से लेकर आज तक 12 बार फुट चूका है। इससे साफ जाहिर होता है कि सीईटीपी द्वारा जानबूझकर  प्लांट में भरे रासायनिक प्रदूषित पानी को लूणी नदी में खाली करने के लिए ही प्लांट के फर्श को पक्का नहीं बनाया जा रहा है और न ही पॉलीथिन की लाइनिंग की जा रही है। पिछले एक वर्ष में प्लांट 12 बार फुट चूका है(न्यूज़ पेपर की कटिंग सलग्न है)। समिति का निवेदन है कि आखिर प्रदुषण नियंत्रण मंडल द्वारा क्यों वाटर पॉल्युशन कंट्रोल ट्रस्ट द्वारा लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषित पानी डाला जाकर माननीय एनजीटी के लूणी नदी में किसी भी प्रकार के रासायनिक प्रदूषित पानी नहीं डाले जाने के आदेश की पालना नहीं करने पर भी ट्रस्ट के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है। ऐसे में प्रदुषण नियंत्रण मंडल पर भी सवाल उठना लाजमी है। इस बार प्लांट के फूटने से लूणी नदी में इतना रसायनिक प्रदूषित पानी आ गया है कि नदी में 50 किलोमीटर तक तेजाबी पानी फेला नजर आ रहा है। नदी में आये तेजाबी पानी से किसानो की खेती खराब हो रही है और पानी जहर के समान हो गया है।

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