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Friday, June 9, 2017


पुलिस विभाग मोर्थ को भेजेगा प्रस्ताव 
500 मीटर के बजाय 2 किलोमीटर दायरे को माना जाए ब्लैक स्पॉट

जयपुर, 9 जून। सड़क दुर्घटनाओं में कमी के एक उपाय के रूप में ब्लैक स्पॉट निर्धारण के लिए दुर्घटना स्थल के 500 मीटर के दायरे के बजाय कम से कम दो किलोमीटर के स्टर््ेच को आधार बनाया जाना चाहिए क्याेंकि कई बार पास-पास दुर्घटनाएं होने के बावजूद वह सम्पूर्ण जगह तकनीकी रूप से ब्लैक स्पॅाट की श्रेणी में शामिल नहीं होतीं और वहां दुर्घटना के वे कारण बने रहते हैं। इस बारे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्राालय को प्रस्ताव भेजकर अनुरोध किया जाएगा।

चित्तौड़गढ के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कार्यालय में शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक यातायात, जयपुर मुख्यालय श्रीमती एस.परिमाला की अध्यक्षता में परिवहन विभाग के सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ एवं विभिन्न रोड ओनिंग एजेंसी के प्रतिनिधियों की बैठक में यह निर्णय किया गया। बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा कमेटी के निर्देशानुसार पुलिस द्वारा ब्लैक स्पॉट के निर्धारण के बाद पुलिस, सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ एवं सड़क निर्माता एजेंसी द्वारा उस स्थल का एक संयक्ुत निरीक्षण किया जाएगा। ब्लैक स्पॉट की इस प्री ऑडिट के बाद सयुंक्त निरीक्षण की सिफारिशों के आधार पर ब्लैंक स्पॉट पर सुधार कार्य कराए जाएंगे एवं इसके बाद उस ब्लैक स्पॉट का पोस्ट वर्क ऑडिट कर देखा जाएगा कि इससे दुर्धटनाओं में कितनी कमी आई।

          श्रीमती परिमाला ने कहा कि एनएचएआई एवं पुलिस द्वारा निर्धारित ब्लैक स्पॉट का मिलान किया जाएगा। उन्होंने सड़क के निर्माण के साथ ही सड़क सुरक्षा की दृष्टि से उसकी लगातार मॉनिटरिंग एवं रोड फर्नीचर, साइनेज, अवैध कट्स की रोकथाम को एक नियमित प्रकिया बनाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एन.एच. या एस.एच. सड़क पर अवैध पार्किंग के खिलाफ लगातार अभियान चलाकर इसकी रोकथाम की जानी चाहिए। ऎसे वाहनों के लाइसेंस हर हाल में निलम्बित किए जाने चाहिए। इसके लिए मय दिनांक वाहन का फोटोग्राफ लेकर कार्यवाही की जाए।

          परिवहन उपायुक्त एवं प्रभारी सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ श्रीमती निधि सिंह ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में लगातार कमी का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले चित्तौड़गढ़ जिले में सड़क दुर्घटनाआें में मौतों का बढ़ना गंभीरता से सोचने का विषय है। उन्होंने सभी हितधारक विभागों के प्रतिनिधियों को सुप्रीम कोट की सड़क सुरक्षा कमेटी की अपेक्षाओं की जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में 10 प्रतिशत कमी का लक्ष्य है। उन्होेंने यथा स्थान स्पीड लिमिट एवं अन्य संकेतक लगाने, एनएच पर एसएच एवं अन्य सड़कों के जंक्शन पर रम्बल स्पीड ब्रेकर बनाने, रोड फर्नीचर की कमी दूर करने, वाहनो पर रिफलेक्टर टेप लगाने एवं पदयात्रिायों के लिए पर्याप्त सुविधाएं विकसित करने जैसे उपाय युद्धस्तर पर किए जाने की बात कही। 

          बैठक में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, चित्तौड़गढ़ श्रीमती कुसुम राठौड़ सहित आरएसआरडीसी के अधिकारी शामिल थे।

ब्लैक स्पॉट की वर्तमान परिभाषा
         मोर्थ द्वारा निर्धारित ब्लैक स्पॉट की वर्तमान परिभाषा के अनुसार 500 मीटर का वह स्थान जहां लगातार तीन वर्ष में ़पांच सड़क दुर्घटनाएं हुई हों जिनमें लोगों की मौत हुई हो या गंभीर घायल हुए हों या जहां लगातार तीन वर्ष में सड़क दुर्घटना में 10 लोगों की जान गई होे। वर्ष 2017 में राज्य में 963 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। 

स्ांयुक्त दल ने लिया ब्लैक स्पॉट्स का जायजा

     पुुलिस विभाग, परिवहन विभाग के सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ, चित्तौड़ के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों, एनएचएआई, आरएसआरडीसी एवं अन्य हितधारक विभागों के अधिकारियों ने शुक्रवार सुबह 6.30 बजे से चित्तौड़गढ़ में करीब आधा दर्जन ब्लैक स्पॉट एवं संभावित ब्लैक स्पॉट्स का निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान कई जगह पर रोड फर्नीचर, रम्बल स्पीड ब्रेकर्स, स्पीड लिमिट एवं अन्य आवश्यक साइनेज की कमी नजर आई जिसके लिए साथ चल रहे सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया गया। कई स्थानों पर सड़क पर झाड़ियों के कारण दृश्यता में बाधा हो रही थी तो कहीं पर दुर्घटना टालने के लिए मीडियन को बढाए जाने की आवश्यकता नजर आई, अवैध कट बंद करने, एसएच एवं अन्य सड़कों के एनएच पर जंक्शन के सुधार एवं अतिक्रमण हटाए जाने की भी आवश्यकता नजर आर्ई। औद्योगिक क्षेत्रा में सड़क पर पार्किंग की समस्या प्रमुख दिखाई दी। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया।


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