बालोतरा। माहेश्वरी समाज भवन के पास देवासी समाज भवन में समस्त शहरवासियों के सहयोग से महंत वीरमनाथ महाराज के सानिध्य में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा मैं बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने मधुर वाणी से भक्त गणों को श्रवण करवाया। वहीं बुधवार को कथा के अंतिम दिन बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने भक्तों को कृष्ण रूकमणी विवाह तथा कृष्ण सुदामा की मित्रता का परिचय देते हुए कहा कि सुदामा कई बार भगवान कृष्ण के द्वार पर आए, लेकिन द्वारपालों ने उन्हें अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। जब भगवान कृष्ण को पता चला कि उसका परम मित्र सुदामा द्वार पर खडा है तो बिना रूके दौडते हुए जाकर सुदामा को गले से लगा दिया। बाल साध्वी ने ऐसी मित्रता को जीवन में अपनाने की बात कही। उन्होने महिलाओं को निंदा से दुर रहने की बात कही। वहीं युवाओं को नशे जैसी प्रवृति में लिप्त नही होने की बात कही। उन्होने नशा मुकित पर जोर देते हुए कहा कि जो लोग नशा करते है वे नरक को प्राप्त होते है।
झांकियों ने मन मोहा-
कथा के दौरान बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने कृष्ण एवं सुदामा सहित कई वृतांतों का वर्णन किया । उस दौरान सजी हुई विभिन्न झांकियों ने श्रद्धालुओं का मन मोहा ।
उमडी श्रृद्धालुओं की भीड-
कथा की पूर्णाहूति मैं बालोतरा सहित आस पास गांवों से भारी संख्या में श्रृद्धालुओं ने कथा श्रवण किया। कथा के दौरान पुरा पांडाल में भक्तों की भारी भीड उमडी। श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहूति पर महाआरती का आयोजन हुआ।
संतों का हुआ जोरदार स्वागत-
कथा के अंतिम दिन बालोतरावासियों ने संत वीरमनाथ महाराज व बाल साध्वी प्रेम बाईसा का ढोल नगाडों के साथ कलश यात्रा निकालकर उनका स्वागत किया। वहीं हुकमाराम भुंकर, हरिराम भुतडा, भीयांराम बेनिवाल, जगदीश खत्री, रणछोड घांची, हनुमान देवासी, अचलदास, दौलत प्रजापत, पीरसिंह राजपूत, हनुमान बोराणा सहित बडी संख्या में समाज सेवको द्वारा कथा के दौरान सहयोग करने पर बहुमान किया गया।
झांकियों ने मन मोहा-
कथा के दौरान बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने कृष्ण एवं सुदामा सहित कई वृतांतों का वर्णन किया । उस दौरान सजी हुई विभिन्न झांकियों ने श्रद्धालुओं का मन मोहा ।
उमडी श्रृद्धालुओं की भीड-
कथा की पूर्णाहूति मैं बालोतरा सहित आस पास गांवों से भारी संख्या में श्रृद्धालुओं ने कथा श्रवण किया। कथा के दौरान पुरा पांडाल में भक्तों की भारी भीड उमडी। श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहूति पर महाआरती का आयोजन हुआ।
संतों का हुआ जोरदार स्वागत-
कथा के अंतिम दिन बालोतरावासियों ने संत वीरमनाथ महाराज व बाल साध्वी प्रेम बाईसा का ढोल नगाडों के साथ कलश यात्रा निकालकर उनका स्वागत किया। वहीं हुकमाराम भुंकर, हरिराम भुतडा, भीयांराम बेनिवाल, जगदीश खत्री, रणछोड घांची, हनुमान देवासी, अचलदास, दौलत प्रजापत, पीरसिंह राजपूत, हनुमान बोराणा सहित बडी संख्या में समाज सेवको द्वारा कथा के दौरान सहयोग करने पर बहुमान किया गया।
No comments:
Post a Comment