लू-तापघात रोगियों के लिए अस्पतालों में विशेष व्यवस्था
जयपुर,
प्रदेश में बढ़ती गर्मी के कारण लू-तापघात के रोगियों को बेहतर
उपचार की सेवाएं सभी राजकीय चिकित्सा केन्द्रों में उपलब्ध हैं। विभाग की
प्रमुख शासन सचिव श्रीमती वीनू गुप्ता के स्तर पर मौसमी बीमारियों के
नियंत्रण एवं उपचार सेवाओं की सीधी मॉनीटरिंग की जा रही है।
निदेशक
जनस्वास्थ्य डॉ. वी.के.माथुर ने लू-तापघात से बचाव संबंधी सावधानियां
बरतने की जानकारी देते हुए बताया कि घर-कार्य स्थलों की खिड़कियों पर
एल्यूमिनियम की पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढ़ककर रखना चाहिए ताकि गर्मी से
बचाव हो सके। उन्होंने बताया कि जहां तक संभव हो सके सीधे सूर्य के सम्पर्क
में आने से बचें, संतुलित एवं हल्का भोजन करें, घर से बाहर निकलते समय सिर
को कपड़े या टोपी से ढ़ककर रखें। उन्होंने बताया कि स्थानीय मौसम के
पूर्वानुमान के समय और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सतर्क
रहें।
डॉ. माथुर ने बताया कि लू व तापघात की
स्थिति में होने पर सिर में भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व थकावट, जी
मचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान तेजी से बढ़ना व पसीना आना बंद होना,
मुंह का लाल होना व त्वचा में सूखापन, बेहोशी जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
ऎसी स्थिति में सतर्कता बरतकर अविलंब नजदीकी राजकीय चिकित्सा में दिखाना
आवश्यक है। लू-तापघात से बचाव के लिए थोड़े अंतराल के पश्चात ठंडे पानी,
शीतल पेय, छाछ, ताजा फलों का रस का सेवन करने, तेज धूप में छाते का उपयोग
अथवा कपड़े से सिर व बदन को ढ़ककर रखने एवं श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया
एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखना आवश्यक है।
निदेशक
ने बताया कि लू-तापघात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे स्थान पर
लिटाया जाये एवं रोगी की त्वचा को गीले कपड़े से करने के साथ ही रोगी के
कपड़ों को ढीला कर दिया जायेे। रोगी को ठंडे पेय पदार्थ दिया जाये एवं रोगी
को तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में उपचार हेतु ले जाया जाये।
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