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Monday, April 14, 2014

क्षमा व सहनशीलता के सिद्धान्त से राष्ट्र का उत्थान करें : मुनि विमल कुमार

बालोतरा। संगीत एक ऐसी कला है कि व्यक्ति तन्मय बन अपने आराध्य की आराधना करता है। तो वह स्वयं भी आराध्य पद को प्राप्त कर सकता है। महावीर का जीवन साधना से ओत प्रोत था। उन्होने अपने आप को साधने के लिए तन्मय  बन ध्यान साधना, कष्ट, सहिष्णुता को अपनाया और वितरागता पद को न्राप्त कर लिया। उपरोक्त विचार सिानीय तेरापंथ भवन में आचार्य महाश्रमण मोर्ग में रात्रि को ‘एक शाम महावीर के नाम‘ कार्यक्रम के दौरान शासन श्री मुनि विमल कुमार ने कहें।
मुनि अक्षय कुमार ने महापीर के जीवन दर्शन को दर्शाती हुई गीतिका ‘यह कानी महावरी भगवान की, सारे जग में जगाई ज्योति ज्ञान की‘ से जनमेदनी को मंत्र मुग्ध कर दिया। तेयुप पूर्व अध्यक्ष मोतीलाल सालेचा ने भगवान महावीर के क्षमा, सहनशीलता के सिद्धान्तो को अपनाकर परिवार, समाज, राष्ट्र के उत्थान की बात कही। इा दौश्रान प्रकाश श्रीश्रीमाल ने ‘जय बोलो महावीर की‘, जवेरीलाल सालेचा‘वीर महायोगी तेरी किरणो ने राह दिखाई‘ संगीता बोंथरा ने‘ इण दुनिया में जादु करग्यो, दीपिका सालेचा, मनोज औस्तवाल, वर्षा बालड, शैफाली चौपडा ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांधे रखा। अणुव्रत समिति के मंत्री स्वरूपचन्द दांती ने मंच का संचालन किया। 

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