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Monday, April 27, 2015

पत्नी की हत्या का आरोपी आरएएस अधिकारी 3 दिन के रिमाण्ड पर

बाड़मेर। अय्याश आशिकी पसन्द अधिकारी प्रदीप बालाच अपनी पत्नी की हत्या को स्वीकार करने के बाद सोमवार दोपहर बाड़मेर में सिविल न्यायाधीश एवम न्यायिक मजिस्ट्रेट कौर्ट में पेश किया गया। जहां पुलिस ने 4 दिन की पीसी रिमांड मांगी लेकिन कोर्ट ने जिरह सुनने के बाद 3 दिन के रिमांड आदेश दिए हैं। बालाच के द्वारा हत्या में प्रयुक्त सामान कपड़े समेत कई सबूत पुलिस रिमांड अवधि के दौरान बरामद करने में जुट गई हैं। गौरतलब हैं कि 23 अप्रैल 2015 को आरएएस और जिला आबकारी अधिकारी जोधपुर प्रदीप बालाच ने अपनी पत्नी की मौत जैसिंधर के पास कार से गिरने के कारण होना बताया था और तुरंत फुरंत में बिना पोस्टमॉर्टम करवाए अंतिम संस्कार भी करवा दिया था, लेकिन मृतका के पीहर पक्ष ने इसे हत्या बताते हुए मुकदमा दर्ज करवा दिया।पुलिस अधीक्षक देशमुख परिस अनिल ने प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए इसकी जांच तेज कर दी। साथ ही दो दिन तक चली पूछताछ में आरोपी प्रदीप बलाच ने हत्या करना स्वीकार कर दिया हैं।

अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुआ आरएएस आरोपी प्रदीप बालाच की जिंदगी में जहां कई उतार-चढ़ाव रहे और उसकी जिंदगी काफी रंगीन रही, वहीं हत्या से सीखचों के पीछे जाने तक वो गिरगिट की तरह रंग बदलता रहा और जब जेल में जाना तय हो गया तो वह बचाव की मुद्रा में आ गया और अपने बचाव के लिए कुछ भी करने को तैयार हो गया। लेकिन अफसरों ने इस ऑफर को ठुकरा कर अपनी जिम्मेवारी, ड्यूटी, फर्ज और इंसानियत को तरजीह दी और आखिरकार उसे सीखचों के पीछे धकेल दिया।आरएएस अधिकारी प्रदीप ने एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत अपनी पत्नी की हत्या की। हत्या के बाद वह जब शव को अस्पताल लेकर आया तो वहां पत्नी से लिपटकर ऐसे रोने का उपक्रम करता रहा जैसे वाकई में एक हादसे में उसकी मौत हुई है और पत्नी से बिछड़ने का उसे बहुत गम है। बाद में षडयंत्र के तहत उसने बिना पोस्टमार्टम के अपनी पत्नी शव अपने पैतृक गांव में दफना दिया। अपने रिश्तेदारों और करीबी मित्रों में वह लगातार ऐसा प्रदर्शन करता रहा जैसे उसे अपनी पत्नी की मौत का बेहद अफसोस है।
इसी तरह जब शुरूआती दौर में पुलिस ने उसे तलब किया और जब अधिकारी उससे पूछताछ कर रहे थे तो वह अपने अधिकारी होने का हवाला देकर मदद की गुहार कर रहा था, लेकिन जब निचले तबके के पुलिसकर्मी उससे पूछताछ करते तो वह अपने अफसरी का रौब गांठता। इस दौरान एक राजनेता और एक वरिष्ठ अधिकारी उसकी मदद के लिए लगातार कोशिश करते रहे। अपनी गिरफ्तारी पुख्ता होते ही प्रदीप ने एक और रंग बदला और वह एक याचक की तरह प्रदर्शन करने लगा।इस मामले में जैसलमेर के पुलिस कप्तान परिस देशमुख, चौहटन के पुलिस उप अधीक्षक नीरज पाठक और उनकी पूरी टीम की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।

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