आदर्श विद्या मंदिर में अभिभावक सम्मेलन सम्पन्नबालोतरा। शिशु की शिक्षा मां के गर्भ से ही प्रारम्भ हो जाती है शिक्षा संस्कारक्षम होनी चाहिए जिससे एक शिशु आदर्श नागरिक बन सके। ये विचार आदर्श विद्या मन्दिर बालोतरा में शनिवार को आयोजित अभिभावक सम्मेलन में पचपदरा संकुल प्रमुख सतीश व्यास ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि विद्या भारती के इन सम्मेलनो के आयोजन का उद्देश्य बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए होता हैं। शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए एक माता ही सक्षम होती हैं। हमारे यहां तो शास्त्रों में भी गर्भवती मां के आचार विचार के नियम दिए गये है। कॉन्वेट कल्चर को नकारते हुए उन्होने कहा कि आज की शिक्षा मात्र पैकेजों के लिए ही हो रही है आधुनिक शिक्षा साक्षर तो बना सकती है लेकिन अगर इसमें संस्कार नही हो तो वे साक्षर राक्षस बन जाते है मातृभाषा शिक्षण ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षण का माध्यम है भारत को यदि पुन: विश्व गुरू के रूप में बनाने में मातृ शक्ति ही समर्थ हैं।
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अभिभावक सम्मेलन के कार्यक्रम में मंचासिन अतिथि। |
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वन्दना से हुई। उन्होनें माताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मां बच्चों को अच्छे संस्कार दे, माताएं तो देवी है वे अपने बच्चों को बड़ों का आदर करने के साथ कई और संस्कार देने में सक्षम है। मुख्य अतिथि पूर्व प्रधान बालोतरा श्री नैनाराम चौधरी ने कहा कि मां यदि चाहे तो सब कुछ संभव है विद्या भारती शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र है।
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सम्मेलन के दौरान उपस्थित अभिभावक व महिलाएं। |
कार्यक्रम में बहिन राशि ने कविता पाठ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अध्यक्षता स्थानीय समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती उषा पुंगलिया ने की। स्वागत परिचय बालिका माध्यमिक की प्रधानाचार्या श्रीमती प्रमिता अरोड़ा तथा बालिका प्राथमिक नीलम शर्मा ने विद्यालय का वृत्त प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय व्यवस्थापक भरत मोदी किया। इस अवसर पर जिला समिति व्यस्थापक ओमप्रकाश सुराणा, प्राथमिक प्रधानाचार्य विकास व्यास, समिति सदस्य मोहनलाल गहलोत, राजेन्द्र गुप्ता, नीतू बाहेती, राजकुमारी मानधना, यशोदा राठौड़ व बडी संख्या में माताएं, विद्यालय के आचार्य, आचार्या, व बालिकाएं उपस्थित रही। कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन आचार्या नीलम राजावत ने किया।
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