शहर के कई मौहल्ले आज भी पानी,सडक़,सफाई,नाली व रोड़ लाईट की सुविधा से है वंचित
भगाराम पंवार (9887119003)
बालोतरा। औद्योगिक नगरी में स्वच्छता अभियान की हवा निकली हुई है जगह-जगह कचरे के ढ़ेर लगे हुए। देश के प्रधानमंत्री ने जोर शोर से स्वच्छता अभियान का आगाज किया था लेकिन नगर परिषद को इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। लाखों रूपये इस योजना में पानी की तरह बहाएं जा रहे है परंतु सफाई व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। आयुक्त व नगर परिषद सभापति द्वारा बार इस योजना को लेकर महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाएं जाने से एवं जिम्मेदार कार्मिकों की वजह से शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। शहर के विभिन्न स्थानों पर कचरा संग्र्रहण समय पर नहीं होने से गंदगी पसरी रहती है जिससे संक्रमण का भी खतरा बना रहता है। शहर के पुराना बस स्टैण्ड,पचपदरा रोड़,खेड़ रोड़,गांधीपुरा,नेहरू कॉलोनी,नाहटा अस्पताल रोड़,सब्जी मंडी के सामने आदि क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था लडख़ड़ाई हुई है। यहा इन मौहल्लों में जगह-जगह कचरे के अंबार लगे रहते है लेकिन नगर परिषद के कार्मिक कचरे को उठाने की जहमत तक नहीं उठाते है। शहर में सडक़े कम और गढ्डे ज्यादा है बिगड़ी हुई नगर परिषद की कार्यप्रणाली की कौन सुध लेगा इसका कोई धणी धोरी नहीं है। नगर परिषद क्षेत्र में कई जगहों पर पॉलिथिन पर पुख्ता रोकथाम नहीं होने से भी पशु उन प्लास्टिक की थैलियों को खाते नजर आते है। आज भी नगर परिषद क्षेत्र के अधिन आने वाले कई मौहल्लों के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। आखिर नगर परिषद की ये बेरूखी क्यों है अगर कोई राजनेता का दबाव हो तो उस मौहल्ले में रातों रात सडक़े बन जाती है पानी की पाईप लाईन बिछा दी जाती है और तो और रोड़ लाईट वगैरह कई सुविधाएं तक उपलब्ध हो जाती हैं। शहर में कई मौहल्लों में सडक़,पानी की पाईप लाईन,नाली व रोड़ लाईट तक नहीं ऐसे में उनकों ये सुविधाएं कौन देगा इसका जवाब देने वाले जनप्रतिनिधि भी अब अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे है। जब वोट आते है तो आम जनता के सामने हाथ पांव तक जोड़ते है मिन्नते करते है फरियाद करते है बड़े-बड़े वादे करते है और कहते है कि हमें वोट देना हम विकास की गंगा बहाएंगे और जीत जाने के बाद आम जन को अपना चेहरा तक नहीं दिखा पाते है। ऐसा क्यों है हमारे सिस्टम में इसे कौन सुधारेगा इसका इलाज अब मात्र लोगों के लिए न्यायालय हीं रह गया है।
आखिर योजनाएं क्यो हो जाती है फैल?
आखिर सफाई व्यवस्था क्यो सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है इसका जवाब तो नगर परिषद के जिम्मेदारों के पास भी नहीं है। नगर परिषद सभापति रतन खत्री व आयुक्त शिवपालसिंह राजपुरोहित सबसे बड़े ओहदे पर बैठे है इनकी जवाबदेहीं बनती है कि वे नगर परिषद क्षेत्र में सफाई व्यवस्था दुरस्त रखें एवं इसके लिए सफाई निरिक्षक को प्रतिदिन तलब करें और रिपोर्ट मांगे की कहां सफाई हुई,कितने कार्मिक सफाई करने के लिए आए है और किन मौहल्लों से घर-घर कचरा संग्रहण किया गया है तथा कचरा संग्रहण के काम में आने वाले वाहन प्रतिदिन कितना किलोमीटर चले है इसका रिपोर्ट के अनुसार ये पता चल सकता है कि वाहन इतने दौड़े है तो कचरा क्यों नहीं उठा। कार्मिकों की लापरवाहीं से गंदगी का दंश आम नागरिकों को उठाना पड़ रहा है।
नगर परिषद अपने अधिकारों से क्यों दूर भागती है?
राज्य के नगर परिषद के संशोधित अधिनियम 2009 के अनुसार नगर परिषद को प्रत्येक आबादी क्षेत्र में सडक़,शुद्ध पेयजल के पानी की पाईप लाईन,रोड़ लाईट एवं सफाई व्यवस्था करवाने के बाध्य है। लेकिन यहां नगर परिषद के ढुलमुल रवैये के कारण आज भी कई मौहल्लों में न तो सडक़ है,न पानी की पाईप न,नालियां और न हीं सफाई व्यवस्था। नगर परिषद की इस कार्यप्रणाली से शहर के वासिंदे काफी खफा है और कहते है कि इस शहर का तो अब राम हीं रखवाला है।
आम नागरिक का अधिकार है सडक़,पानी,बिजली और सफाई
नगर परिषद के आबादी क्षेत्र में नगर परिषद द्वारा पट्टा दिया जाता है उसके अधिन नगरिय भूमि निष्पादन अधिनियम के अन्र्तगत पट्टाकर्ता को नगर परिषद की ओर से सडक़,पानी के लिए पाईप लाईन,गंदे पानी की निकासी के लिए नाली का निर्माण,रोड़ लाईट मुहैया करवाने का प्रावधान होता है। परंतु नगर परिषद की ओर कई क्षेत्रों में इस तरह की कोई सुविधाएं नहीं दी जाती है ये आम आदमी के अधिकारों का हनन भी है। इसके लिए कोई व्यक्ति ज्यादा आवाज उठाता है तो नगर परिषद द्वारा थोड़ा बहुत कार्य करवा दिया जाता है। लेकिन पूरे नगर परिषद क्षेत्र में ऐसे हीं हालात है उनको कब पूरा किया जाएगा इसका जवाब तो आयुक्त व सभापति हीं दे सकते है।
भगाराम पंवार (9887119003)
बालोतरा। औद्योगिक नगरी में स्वच्छता अभियान की हवा निकली हुई है जगह-जगह कचरे के ढ़ेर लगे हुए। देश के प्रधानमंत्री ने जोर शोर से स्वच्छता अभियान का आगाज किया था लेकिन नगर परिषद को इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। लाखों रूपये इस योजना में पानी की तरह बहाएं जा रहे है परंतु सफाई व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। आयुक्त व नगर परिषद सभापति द्वारा बार इस योजना को लेकर महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाएं जाने से एवं जिम्मेदार कार्मिकों की वजह से शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। शहर के विभिन्न स्थानों पर कचरा संग्र्रहण समय पर नहीं होने से गंदगी पसरी रहती है जिससे संक्रमण का भी खतरा बना रहता है। शहर के पुराना बस स्टैण्ड,पचपदरा रोड़,खेड़ रोड़,गांधीपुरा,नेहरू कॉलोनी,नाहटा अस्पताल रोड़,सब्जी मंडी के सामने आदि क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था लडख़ड़ाई हुई है। यहा इन मौहल्लों में जगह-जगह कचरे के अंबार लगे रहते है लेकिन नगर परिषद के कार्मिक कचरे को उठाने की जहमत तक नहीं उठाते है। शहर में सडक़े कम और गढ्डे ज्यादा है बिगड़ी हुई नगर परिषद की कार्यप्रणाली की कौन सुध लेगा इसका कोई धणी धोरी नहीं है। नगर परिषद क्षेत्र में कई जगहों पर पॉलिथिन पर पुख्ता रोकथाम नहीं होने से भी पशु उन प्लास्टिक की थैलियों को खाते नजर आते है। आज भी नगर परिषद क्षेत्र के अधिन आने वाले कई मौहल्लों के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। आखिर नगर परिषद की ये बेरूखी क्यों है अगर कोई राजनेता का दबाव हो तो उस मौहल्ले में रातों रात सडक़े बन जाती है पानी की पाईप लाईन बिछा दी जाती है और तो और रोड़ लाईट वगैरह कई सुविधाएं तक उपलब्ध हो जाती हैं। शहर में कई मौहल्लों में सडक़,पानी की पाईप लाईन,नाली व रोड़ लाईट तक नहीं ऐसे में उनकों ये सुविधाएं कौन देगा इसका जवाब देने वाले जनप्रतिनिधि भी अब अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे है। जब वोट आते है तो आम जनता के सामने हाथ पांव तक जोड़ते है मिन्नते करते है फरियाद करते है बड़े-बड़े वादे करते है और कहते है कि हमें वोट देना हम विकास की गंगा बहाएंगे और जीत जाने के बाद आम जन को अपना चेहरा तक नहीं दिखा पाते है। ऐसा क्यों है हमारे सिस्टम में इसे कौन सुधारेगा इसका इलाज अब मात्र लोगों के लिए न्यायालय हीं रह गया है।
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पॉलिथिन को खाते हुए आवारा पशु। |
आखिर योजनाएं क्यो हो जाती है फैल?
आखिर सफाई व्यवस्था क्यो सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है इसका जवाब तो नगर परिषद के जिम्मेदारों के पास भी नहीं है। नगर परिषद सभापति रतन खत्री व आयुक्त शिवपालसिंह राजपुरोहित सबसे बड़े ओहदे पर बैठे है इनकी जवाबदेहीं बनती है कि वे नगर परिषद क्षेत्र में सफाई व्यवस्था दुरस्त रखें एवं इसके लिए सफाई निरिक्षक को प्रतिदिन तलब करें और रिपोर्ट मांगे की कहां सफाई हुई,कितने कार्मिक सफाई करने के लिए आए है और किन मौहल्लों से घर-घर कचरा संग्रहण किया गया है तथा कचरा संग्रहण के काम में आने वाले वाहन प्रतिदिन कितना किलोमीटर चले है इसका रिपोर्ट के अनुसार ये पता चल सकता है कि वाहन इतने दौड़े है तो कचरा क्यों नहीं उठा। कार्मिकों की लापरवाहीं से गंदगी का दंश आम नागरिकों को उठाना पड़ रहा है।
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नेहरू कॉलोनी के बीच रास्ते में पड़ा कचरा। |
राज्य के नगर परिषद के संशोधित अधिनियम 2009 के अनुसार नगर परिषद को प्रत्येक आबादी क्षेत्र में सडक़,शुद्ध पेयजल के पानी की पाईप लाईन,रोड़ लाईट एवं सफाई व्यवस्था करवाने के बाध्य है। लेकिन यहां नगर परिषद के ढुलमुल रवैये के कारण आज भी कई मौहल्लों में न तो सडक़ है,न पानी की पाईप न,नालियां और न हीं सफाई व्यवस्था। नगर परिषद की इस कार्यप्रणाली से शहर के वासिंदे काफी खफा है और कहते है कि इस शहर का तो अब राम हीं रखवाला है।
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नाहटा अस्पताल रोड़ पर बीच सडक़ में बना हुआ गढ्डा। |
नगर परिषद के आबादी क्षेत्र में नगर परिषद द्वारा पट्टा दिया जाता है उसके अधिन नगरिय भूमि निष्पादन अधिनियम के अन्र्तगत पट्टाकर्ता को नगर परिषद की ओर से सडक़,पानी के लिए पाईप लाईन,गंदे पानी की निकासी के लिए नाली का निर्माण,रोड़ लाईट मुहैया करवाने का प्रावधान होता है। परंतु नगर परिषद की ओर कई क्षेत्रों में इस तरह की कोई सुविधाएं नहीं दी जाती है ये आम आदमी के अधिकारों का हनन भी है। इसके लिए कोई व्यक्ति ज्यादा आवाज उठाता है तो नगर परिषद द्वारा थोड़ा बहुत कार्य करवा दिया जाता है। लेकिन पूरे नगर परिषद क्षेत्र में ऐसे हीं हालात है उनको कब पूरा किया जाएगा इसका जवाब तो आयुक्त व सभापति हीं दे सकते है।
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