ढूंढ़ोत्सव की तैयारियां जोरों पर, हुआ सभाओं का दौर शुरू, ग्रामीण क्षेत्रों में गूंज रहे हैं फाल्गुनी गीत
बालोतरा। होली की रंगत ग्रामीण क्षेत्रों में सिर चढकऱ बोल रही है। जगह-जगह फाल्गुनी गीत बजने के साथ ही देर शाम तक चंग पर महिलाएं लूर लेती दिखने लगी है। होली पर्व आयोजन में अभी कुछ ही दिन बाकी है लेकिन होली की मस्ती ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से नजर आने लगी है। देर शाम तक ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली हथाइयों में भी पर्व के आयोजन की तैयारियों को लेकर ही चर्चाएं हो रही है। होली के दिन ढूंढ़ आयोजन को लेकर सभाओं का दौर शुरू हो गया है। जिन घरों में ढूंढ़ोत्सव आयोजित होगा, उन घरों में महिलाओं द्वारा सांझी गीत भी गाए जा रहे हैं।
चंग की थाप पर एकत्रित होते ग्रामीण
रंगों के त्यौहार होली की मस्ती ग्रामीण क्षेत्रों में चरम पर है। ग्रामीण क्षेत्रों में देर शाम से चंग की थाप गूंजने लग जाती है। दिन भर के कामकाज के बाद महिलाएं भी थकान को भूलकर चंग की थाप पर लूर लेती नजर आ रही है। निकटवर्ती पचपदरा, आसोतरा, बिठूजा, सराणा, नेवरी, थोब, अराबा, तिरसिंगड़ी, खेड़, टापरा, असाड़ा, कनाना, पारलू, जेठंतरी, कुड़ी, भांडियावास, पटाऊ, सरवड़ी, चारलाई, रेवाड़ा सहित कई गांवों में शाम ढलते ही चंग बजने शुरू हो जाते हैं। युवक व युवतियां चंग की थाप पर देर शाम तक नाच गाकर पर्व का आनंद ले रहे हैं। चंग की थाप पर जीणा-जीणा घूंघटा, कोई मोती चमके, हालो रे गेरियों थाने सरपंच सा बुलावे रे, फाग में फरमायो सेला,चंग रो धमीणों भंवरजी मेहला बैठी सुणियों रे आदि होली गीतों पर महिलाएं लूर ले रही है।
ढूंढ़ोत्सव की खरीदारी जोरों पर
होली के दिन ग्रामीण व उपखंड मुख्यालय पर आयोजित होने वाले ढूंढ़ोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। जिन घरों में ढूंढ़ का आयोजन होना है उन घरों की महिलाएं बाजारों में कपड़ों की खरीद में जुटी है। गौर का चौक स्थित मारवाड़ी सूटों की दुकान के संचालक गोपालसिंह राजपुरोहित बताते हैं कि कि होली का पर्व शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा महत्व रखता है। इन दिनों होली पर होने वाली ढूंढ़ को लेकर खरीदारी का दौर जोरों पर चल रहा है।
फागण गीतों की आई बहार
इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में फागण गीतों की बहार आई हुई है। टेप रिकॉर्डर व सीडी प्लेयर पर फागण के गीत जोरजी चोंपावत घुड़ला बाजारों में खडिय़ा रे, रुपयो देऊं रोकड़ो, मेहंदी वाळो खेत प्यारो लागो रे, पहलो नाम लेइजो सूंडालो गणपति देव रो, म्हारो हिवड़ो वियो बैचेन फागण सहित कई गीत बज रहे हैं। इन गीतों को सुनकर बच्चे-बूढ़े सभी लुत्फ उठा रहे हैं। शहर में स्थित विभिन्न दुकानों पर भी इन दिनों फागण के गीत ही बज रहे हैं।
सभाओं का दौर हुआ शुरू
जिन घरों में होली के दिन ढूंढ़ का आयोजन होना है उन घरों में ग्रामीणों की सभाओं का दौर शुरू हो गया है। सभाओं के दौरान अतिथियों के अलावा ग्रामीण लोग एक जगह इक_ा होकर चर्चा करने के बाद सामूहिक भोज का लुत्फ उठा रहे हैं। रात में इन घरों में सांझी के गीत गाए जा रहे हैं।
बालोतरा। होली की रंगत ग्रामीण क्षेत्रों में सिर चढकऱ बोल रही है। जगह-जगह फाल्गुनी गीत बजने के साथ ही देर शाम तक चंग पर महिलाएं लूर लेती दिखने लगी है। होली पर्व आयोजन में अभी कुछ ही दिन बाकी है लेकिन होली की मस्ती ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से नजर आने लगी है। देर शाम तक ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली हथाइयों में भी पर्व के आयोजन की तैयारियों को लेकर ही चर्चाएं हो रही है। होली के दिन ढूंढ़ आयोजन को लेकर सभाओं का दौर शुरू हो गया है। जिन घरों में ढूंढ़ोत्सव आयोजित होगा, उन घरों में महिलाओं द्वारा सांझी गीत भी गाए जा रहे हैं।
चंग की थाप पर एकत्रित होते ग्रामीण
रंगों के त्यौहार होली की मस्ती ग्रामीण क्षेत्रों में चरम पर है। ग्रामीण क्षेत्रों में देर शाम से चंग की थाप गूंजने लग जाती है। दिन भर के कामकाज के बाद महिलाएं भी थकान को भूलकर चंग की थाप पर लूर लेती नजर आ रही है। निकटवर्ती पचपदरा, आसोतरा, बिठूजा, सराणा, नेवरी, थोब, अराबा, तिरसिंगड़ी, खेड़, टापरा, असाड़ा, कनाना, पारलू, जेठंतरी, कुड़ी, भांडियावास, पटाऊ, सरवड़ी, चारलाई, रेवाड़ा सहित कई गांवों में शाम ढलते ही चंग बजने शुरू हो जाते हैं। युवक व युवतियां चंग की थाप पर देर शाम तक नाच गाकर पर्व का आनंद ले रहे हैं। चंग की थाप पर जीणा-जीणा घूंघटा, कोई मोती चमके, हालो रे गेरियों थाने सरपंच सा बुलावे रे, फाग में फरमायो सेला,चंग रो धमीणों भंवरजी मेहला बैठी सुणियों रे आदि होली गीतों पर महिलाएं लूर ले रही है।
ढूंढ़ोत्सव की खरीदारी जोरों पर
होली के दिन ग्रामीण व उपखंड मुख्यालय पर आयोजित होने वाले ढूंढ़ोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। जिन घरों में ढूंढ़ का आयोजन होना है उन घरों की महिलाएं बाजारों में कपड़ों की खरीद में जुटी है। गौर का चौक स्थित मारवाड़ी सूटों की दुकान के संचालक गोपालसिंह राजपुरोहित बताते हैं कि कि होली का पर्व शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा महत्व रखता है। इन दिनों होली पर होने वाली ढूंढ़ को लेकर खरीदारी का दौर जोरों पर चल रहा है।
फागण गीतों की आई बहार
इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में फागण गीतों की बहार आई हुई है। टेप रिकॉर्डर व सीडी प्लेयर पर फागण के गीत जोरजी चोंपावत घुड़ला बाजारों में खडिय़ा रे, रुपयो देऊं रोकड़ो, मेहंदी वाळो खेत प्यारो लागो रे, पहलो नाम लेइजो सूंडालो गणपति देव रो, म्हारो हिवड़ो वियो बैचेन फागण सहित कई गीत बज रहे हैं। इन गीतों को सुनकर बच्चे-बूढ़े सभी लुत्फ उठा रहे हैं। शहर में स्थित विभिन्न दुकानों पर भी इन दिनों फागण के गीत ही बज रहे हैं।
सभाओं का दौर हुआ शुरू
जिन घरों में होली के दिन ढूंढ़ का आयोजन होना है उन घरों में ग्रामीणों की सभाओं का दौर शुरू हो गया है। सभाओं के दौरान अतिथियों के अलावा ग्रामीण लोग एक जगह इक_ा होकर चर्चा करने के बाद सामूहिक भोज का लुत्फ उठा रहे हैं। रात में इन घरों में सांझी के गीत गाए जा रहे हैं।
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