बालोतरा। स्थानिय निकाय चुनावों को लेकर अब औद्योगिक नगरी में हलचल तेज हो गई और नेता अपने-अपने वार्डों में जाकर सक्रिय हो गए है। निकाय चुनावों में इस बार भाजपा का गणित बिगड़ता नजर आ रहा है तो वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं के चेहरों पर खुशी साफ नजर आ रही है। हालिया हुए विधानसभा उप चुनावों में मिली जीत के बाद से कांग्रेस के पदाधिकारी कह रहे है कि इस बालोतरा में भी पिछले 20 वर्षों से जारी भाजपानीत बोर्ड की कड़ी को तोडक़र कांग्रेस का बोर्ड बनेगा। कांग्रेस में सभापति की दौड़ में पार्टी के वरिष्ठ नेता मंगलाराम टांक सबसे आगे है और इस पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की भी सहमति बनी हुई है इसके अलावा प्रतिपक्ष नेता रतन खत्री भी दौड़ में शामिल है लेकिन इनके नाम पर अभी सहमति नजर नहीं आ रहीं है। मंगलाराम टांक पार्टी में विभिन्न पदों पर और अभी बिठूजा ट्रीटमेंट प्लांट के अध्यक्ष है। टांक ने राजनीति में रहते हुए उन्होंने जनता के हित को ध्यान में रखते हुए कई विकास कार्य करवाएं और उन वार्डों को चमन कर दिया है। उन्होंने सभी को एक समान समझा और पार्टी में भी कार्यकर्ताओं से डोर बांधे रखी।
मंगलाराम टांक अभी गांधीपुरा क्षेत्र के वार्ड संख्या 28 से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे है एवं इस वार्ड से उनकी जीत पक्की मानी जा रही है और नगर परिषद क्षेत्र में भी कांग्रेस की स्थिति भी मजबूत मानी जा रहीं है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा में अभी भी स्थिति साफ नजर नहीं आ रही है पार्षद व सभापति के दावेदार कई है और वे आपस में हीं उलझे हुए जिससे असंजस की स्थिति बनी हुई है। भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के बड़े नेताओं से है कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार भाजपा को हार का मुहं देखना देखना पड़ सकता है अगर समय रहते कार्यकर्ताओं तवज्जों नहीं मिली तो परिणाम विपरित सामने आ सकते है।
मंगलाराम टांक अभी गांधीपुरा क्षेत्र के वार्ड संख्या 28 से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे है एवं इस वार्ड से उनकी जीत पक्की मानी जा रही है और नगर परिषद क्षेत्र में भी कांग्रेस की स्थिति भी मजबूत मानी जा रहीं है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा में अभी भी स्थिति साफ नजर नहीं आ रही है पार्षद व सभापति के दावेदार कई है और वे आपस में हीं उलझे हुए जिससे असंजस की स्थिति बनी हुई है। भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के बड़े नेताओं से है कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार भाजपा को हार का मुहं देखना देखना पड़ सकता है अगर समय रहते कार्यकर्ताओं तवज्जों नहीं मिली तो परिणाम विपरित सामने आ सकते है।
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