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Monday, October 6, 2014

आपसी सौहार्द व भाईचारें के साथ मनाया ईद-उल-जुहां

उपखंड़ क्षेत्र में अकीदत व एहतराम से मनाया ईद का पर्व,मुस्लिम भाईयों ने एक दूसरे के गले मिलकर दी मुबारकबाद,खुदाह की बारगाह में किया सजदा
बालोतरा। खुदा की राह में कुर्बानी की याद दिलाने वाला पर्व ईद-उल-जुहां (बकरीद) सोमवार को पूरे उपखंड में आपसी सौहार्द व भाईचारें के साथ मनाया गया। वहीं ईदुलजुहा पर्व आसम पास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। मुस्लिम भाईयों ने मौलाना अबुल कलाम आजाद स्कूल में सामूहिक नमाज अदा करने के बाद एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। इस अवसर पर मौलाना अबुल कलाम आजाद विद्यालय के प्रांगण में हजारों मुस्लिम भाईयों ने ईद की मुख्य नमाज अदा कर देश में अमन चैन व खुशहाली की दुआएं मांगी। नमाज अदा करने के पश्चात एक दूसरे ने गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। सोमवार प्रात: शहर के सदर बाजार स्थित जामा मस्जिद में सभी मुस्लिम भाई एकत्रित होकर जूलूस के रूप में रवाना होकर गौर का चौक,शास्त्री चौक,पुराना बस स्टेंड व प्रथम रेल्वे क्रासिंग होते हुए मौलान अबुल कलाम आजाद विद्यालय पहुंचे जहां पर उलमाओं द्वारा तकरीरे पेश की गई,जिसमें ईद-उल-जुहां पर्व का महत्व बताया गया। वहीं मुख्य नमाज मौलान पेश इमाम वसीम अकरम ने अदा कराई। नमाज के बाद एक दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। नमाज के पश्चात कौमी एकता को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें उपखंड अधिकारी उदयभानू चारण,पूर्व विधायक मदन प्रजापत,पुलिस उप अधिक्षक अमृत जीनगर,पुलिस थानाधिकारी सुखराम विश्रोई,समाजसेवी ओम बांठिया ने मुस्लिम भाईयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए कौमी एकता पर प्रकाश डाला। वहीं मुस्लिम समाज अध्यक्ष फैय्याज भाई ने अगन्तुक मेहमानों का समाज की ओर से शुक्रिया अदा कर ईद की मुबारकबाद दी। इस अवसर पर पार्षद नरसिंग प्रजापत,भूराराम चौधरी,जीतमल सुथार,पारस तीरगर,गोविंद जीनगर,राधेश्याम माली,दुर्र्गा देवी सोनी सहित मुस्लिम समाज सचिव मेहबूब खां सिंधी,सफी मोहम्मद मोयल,मोहम्मद युसुफ भांतगर,हनीफ खां मोयला,गफार कुरैशी,गुलाम रसूल टांक,अलाबक्स तेली,इम्तियाज अली,साबिर नियारियां,बाबू खां कलर,हाजी मूसे खां,असलम छीपा सहित मुस्लिम समाज के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
मोहब्बत का पैगाम दिया 
हर ओर अकीदत और उल्लास का माहौल रहा। हर शख्स के मन में खुदा की इबादत और जरूरतमंदों को चीजें बांटने की खुशी रही। बकरीद जैसी खुशी न किसी खास मौके पर मिली, न ही शब-ए-बरात पर। इसी सोच के साथ नमाज अदायगी के बाद अकीदतमंदों ने खुशी का इजहार किया। सभी ने एक-दूसरे को गले लगाकर मोहब्बत का पैगाम दिया।
इसलिए देते हैं कुर्बानी 
मौलाना के अनुसार हजरत इब्राहिम से ख्वाब में खुदा ने सबसे अजीज चीज की कुर्बानी मांगी। वे अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। कुर्बानी देने जाते समय रास्ते में आए शैतान ने बच्चे को भटकाया, लेकिन सच्चा अकीदत मंद बच्चा नहीं भटका। वो अपने वालिद के कहने पर कुर्बानी के लिए तैयार रहा। आंखों पर पट्टी बांधे हजरत इब्राहिम ने कुर्बानी देने के लिए छुरी निकाली तो अल्लाह ने कुर्बानी के जज्बे से खुश होकर बच्चे को बचा लिया और उसकी जगह दुंबा (भेड़) भेज दिया। उसी दिन और वाकये को याद करते हुए ईद उल अजहा मनाई और कुर्बानी दी जाती है। खुदा की राह में रोड़ा बना शैतान हर मुस्लिम का दुश्मन माना जाता है। ऐसे में मक्का में बनाए गए शैतान के तीन पुतलों पर बकरीद के मौके पर पत्थर मारे जाते हैं।

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