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Wednesday, March 19, 2014

लोक कला व संस्कृति के संगम है गेर मेले : चौधरी

लाखेटा गेर मेले में बिखरी लोक कला की रंगत
बालोतरा। लोक कला संस्कृति एवं लोक संगीत की स्वर लहरियों के साथ जिस उत्साह एवं उमंग से गेर नृतकों ने चंग की थाप, ढोल थाली की टंकार के साथ नृत्य की जो छटा बिखेरी है वो भारतीय संस्कृति को कायम रखने में सहायक है। यह बात बुधवार को समदडी के समीप लाखेटा ग्राम में ग्राम पंचायत कोटडी के सहयोग से आयोजित लोक नृत्य गेर मेला समारोह में मुख्य अतिथि पद से पचपदरा विधायक अमराराम चौधरी ने कही। समारोह के अध्यक्ष शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह ने कहा कि इस तरह के मेले के आयोजन से पुरानी संस्कृति को बढ़ावा मिलता है तथा लोगों का मेले-जोल भी बढ़ता है। समारोह के विशिष्ट अतिथि बायतु विधायक कैलाश चौधरी ने कहा कि इस तरह के मेलो के आयोजन से आपसी भाईचारे व लोक संस्कृति को जीवंत रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। आज पुरानी संस्कृति ग्रामीणों के भरोसे ही जीवित है। सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल ने कहा कि पुरानी संस्कृति को जीवित रखने के लिए सरकार से हर संभव मदद दिलाने का प्रयास किया जाएगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में महिलावास सरपंच भीखी देवी माली भी समारोह में उपस्थित थी। मेला कमेटी अध्यक्ष पूर्व विधायक कानसिंह कोटडी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कई वर्षो से ग्राम पंचायत के सहयोग से संतोष भारती की समाधि स्थल पर गेर मेले का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि संतोष भारती की समाधि स्थल पर पूजा-अर्चना करने से सर्पदंश व कुता काटने वाले व्यक्ति ठीक हो जाते है। इस अवसर पर उपखण्ड अधिकारी गौमती देवी, पुलिस उप अधीक्षक अमृत जीनगर, तहसीलदार बद्रीदान, सरपंच बाबुलाल परिहार, कंवली देवी, पूराराम चौधरी, बुधाराम चौधरी, वगताराम चौधरी, पदमसिंह देवड़ा, मांगीलाल रांकावत सहित सैकड़ों की संख्या में मेलार्थी उपस्थित थे।

संतोष भारती की समाधि पर की पूजा अर्चना
अतिथियों सहित मेलार्थियों ने लाखेटा तालाब के समीप स्थित संत संतोष भारतीजी की समाधि स्थल पर पूजा अर्चना कर क्षेत्र में अमन चैन खुशहाली की कामना की।
मेला स्थल पर लगा हाट बाजार
लाखेटा मेला स्थल पर प्रसादी की दुकानों के साथ हाट बाजार लगाया गया। जिस पर ग्रामीण महिलाओं को जमकर खरीददारी करते देखा गया। मेला स्थल पर बच्चों के मनोरंजन के लिए हवाई झूल्ले भी लगाये गए।
आंगी-बांगी गेर नृत्य पर झूमें गेरियें
फागुण की मस्ती का आलम लाखेटा गेर मेले में छाया हुआ था। इस बार अच्छा जमाना होने के साथ तेज धूप में भी सफलता के साथ किसानों के जत्थे पर जत्थे भाव विभोर होकर अपनी परम्परागत वेशभूषाओं में वाद्य यंत्रों के संग मनोहारी लोक नृत्यों की प्रस्तुति देकर सभी को मोहित कर रहे थे। रोमांचित कर देने वाले गेर नृत्य के इस मेले का आयोजन ग्राम पंचायत कोटडी द्वारा किया गया। मेले का आयोजन सिवाना तहसील के अम्बो का वाडा से लाखेटा तालाब के समीप संतोष भारती की समाधि स्थल के पास किया गया।
बुधवार को भोर होने के साथ ग्रामीण आंचलो से गेर नृतक अपने दल-बल के साथ मेला स्थल पर पहुंचकर अपने नृत्य स्थल पर खुटिये गाडकर घेरा बना लिया। ग्रामीण युवतियां, बच्चे, नौजवान एवं बुजुर्ग उमंग के साथ मेले में रंगीन परिधानों, आभूषणों से लटालूम होकर पहुंचे। महिलाएं गहरे लाल, गुलाबी, केसरिया रंग की चुनड़ी ओढी और छींट के घाघरो, चांदी-सोने के आभूषणों के साथ अपनी मदमस्त चाल ठिठोलिया के साथ अपने टोलो में मस्त होकर मेले में घूमते हुए नैसर्गिक, सौन्दर्य और चौधरियों के नौजवानों को भी कमान संभालकर लोक संस्कृति की अक्षणु बनाने देते दिखाई दे रहे थे। गेर की धमक ने आज गेर नृतकों के साथ-साथ दर्शकों के पांवों में भी रिझ डाल दी। मेले में चहुं ओर नृत्य का नशा परवान पर था। बच्चो की गेर हो या जवानो की सभी मस्ती से नृत्य की प्रस्तुति दे रहे थे। स्वामी, आंगीगेर ने गोल घेरे में नृतक एक-दूसरे के डांडियों की टक-टक से ढोल की ढमक पर ठुमक-ठुमक कर झूम-झूम कर शुतुरमुर्गा की तेज चाल के साथ नृत्य पेश किए। लाखेटा का यह गेर मेला भोर होने से लेकर दोपहर तक पूरे यौवन पर था। 

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