सफलता की कहानी
जयपुर,
राजस्व लोक अदालत ‘‘न्याय आपके द्वार 2017‘‘ अभियान के तहत
भरतपुर जिले की पंचायत समिति डीग की ग्राम पंचायत खोह के अटल सेवा केन्द्र
पर आयोजित शिविर में वाद सं0 39/07 के परिवादी भूधर वगैराह बनाम डालचंद
वगै. को गहन समझाईश के पश्चात 20 वर्ष से चले आ रहे एक परिवाद का निस्तारण
मौके पर कर राहत दी गयी।
शिविर प्रभारी एवं
उपखण्ड अधिकारी श्री दुलीचंद मीणा ने बताया कि नगला खोह निवासी पक्षकारन
डालचन्द, महावीर, भूधर, गिर्राज पिसरान बतका एवं सोनदेई बेवा किशन ने
विवादित आराजी खसरा नंबर 3935 एवं 3936 को जरिए रजिस्टर्ड विक्रय पत्र
द्वारा 5 नवम्बर 1996 से क्रय किया। जिसमें सभी की बराबर हिस्सेदारी थी
लेकिन नामान्तरकरण संख्या 388 दिनांक 21 मई, 1997 में सभी क्रेताओं के नाम
में से भूधर का नाम का अंकन होने से रह गया तथा जमाबन्दी सम्वत् 2060-2063
में भी भूधर का नाम अंकन नहीं हुआ। राजस्व रिकार्ड में सभी वादीगणों के नाम
का अंकन नहीं होने से विवाद की शुरूआत हुई। वादीगण भूधर एवं गिर्राज ने जब
अपने भाईयों से राजस्व रिकार्ड मेें अपना नाम चढ़वाने के लिए अन्य वादियाें
से कहा तो प्रतिवादीगणों ने कोई रुचि नहीं दिखायी। उनके विपरीत रुख को
देखते लेकर सभी भाईयों में मन ममुटाव शुरू हो गया और आपसी वैमनस्य इतना बढ़ा
कि एक दूसरे पारिवारिक कार्यक्रमों में भी आना जाना बन्द हो गया। अन्त में
जमीन क्रय के लगभग 10 साल बाद मजबूर होकर वादीगणों ने न्यायालय उपखण्ड डीग
में वाद संख्या 39/07 भूधर वगै. बनाम डालचन्द वगै. दायर किया।
शिविर स्थल पर पीठासीन अधिकारी, राजस्व विभाग की टीम एवं उपस्थित
ग्रामवासियों ने प्रतिवादीगणों को समझाया तथा रजिस्टर्ड वयनामा,
नामन्तरकरण, जमाबन्दियों एवं राजस्व नियमों के बारे में पक्षकारान से
बार-बार समझाईश की गयी तो प्रतिवादीगणों ने वयनामा के आधार पर वादीगणों के
पक्ष में बराबर हिस्सेदारी दर्ज करने हेतु अपनी सहमति दे दी। जिससे सभी भाई
मन मुटाव को भुलाते हुए भविष्य में मिलजुलकर कार्य करने के लिए राजी हो
गये तथा सभी भाईयों ने गले मिलकर पूर्व की वैमनस्यता को दूर किया।
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