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Friday, May 13, 2016

सिलोर गांव में पुराधरोहर संरक्षण को मोहताज,चोरी हो रही है जमीन से निकली अतिप्राचीन मुर्तियां

पुरातत्व विभाग व प्रशाशन कुंभकर्णी नींद में
रिपोर्टर ओमप्रकाश सोनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट 
बालोतरा। सिवाना उपखंड में समदड़ी तहसिल क्षेत्र के सिलोर ओर आस पास के आधा दर्जन गांवो में हजारो वर्षो पुरानी पूरा धरोहरे ओर प्राचीन शिलालेख धूल¬-गर्त ओर हवाओ के थपेड़ें सहते हुये बर्बादी पर आंसु बहा रहे है। साथ ही पिछले कुछ वर्षो में अनेक पुरानी मुर्तियां सिलोर गांव से चोरी हो चुकी है। पुरातत्व विभाग ओर प्रशासन की उदासिनता से पुरा धरोहर व पोराणिक महत्व वाली सम्पदा लावारिश हाल में है। बालोतरा से समदड़ी जाने वाले स्टेट हाईवे पर समदड़ी से करीब आठ किलोमीटर पहले स्थित है सिलोर गांव । यु तो यह गांव भी दूसरे गांवो की तरह ही एक छोटा से गांव है।
पर यहां पर निर्माण कार्यो के लिये खुदाई किये जाने पर
जमीन में से निकलने वाली प्राचीन मुर्तियां, शिलालेख ओर मजबूत ईटे इस गांव को अन्य गांवो से अलग बना रही हैं। गांव के लोग बताते है कि गावं में होने वाले निर्माण कार्यो मे जमीन से ही निकली निर्माण सामग्री का ही
इस्तेमाल हुआ है। इतिहासकारो के अनुसार सिलोर गांव किसी पोराणिक समृद्ध नगर के उपर बसा हुआ है। गावं के ही रहने वाले इतिहासकार राजेन्द्रसिंह सोढा बताते है कि सिलोर गांव के चारो ओर मजबूत बीस-बाईस फीट उंचा परकोटा भी बना हुआ है जो लुणी नदी में बाढ आने से रेत के हटने के कारण दिखा है। खुदाई के दोरान निकली मुर्तियां तो गांव के अनेक चोराहो ओर गलियो में देखी जा सकती है।
साथ ही हर दो चार कदम पर खुदाई में निकलने वाली पुरानी दीवारे भी इस बात का संकेत है कि सिलोर गांव के नीचे कुछ पोराणिक राज जरूर है। राजेन्द्रसिह सोढा बताते है कि सिलोर ओर आस पास के ईलाके में मिले शिलालेख कूटीला लिपी के है, जो करीब पांचवी ओर छठी सदी के आस पास चलन में थी। यहां खुदाई में मिलने वाली मुर्तियां भी पांचवी ओर छठी सदी में निर्मीत होना माना जा रहा है। राजेन्द्रसिंह सोढा ने बताया कि गांव में कूषाण राजा कनिष्क के शासन काल का भी सिक्का मिला है। वे बताते है कि कुषाण राजा कनिष्क का शासनकाल इस्वी सन 1969 से 1976 तक का होना माना जाता हैं। इस कारण से सिलोर के नीचे मिलने वाली मुर्तियां ओर अन्य निर्माण सामग्री भी पांचवी ओर छठी सदी के आप पास की हो सकती है।

अनेक र्मुिर्तयां हुई चोरी 
सिलोर ओर आस पास के ईलाको में जमीन से निकली मुर्तियो ओर शिलालेखो सहित अन्य सामग्री को प्रशासन ओर पुरातत्व विभाग का संरक्षण नही मिलने से वे खूले में ही लावारिश पड़ी है। तस्करी ओर विदेशो में पूरानी मुर्तियो की कीमत लाखो में होने के कारण सिलोर तक भी तस्कर ओर चोर पहुच गये है। राजेन्द्रसिंह सोढा बताते है कि पिछले 20 वर्षो में दर्जनो मुर्तियां गांव  से गायब हो गई है। कुछ वर्षो पहले जयपुर से व्यापारी बनकर आये लोगो ने भी गावं वालो से मिलकर नाम मात्र की कीमत पर अनेक मुर्तियां पार कर ली।
पुरातत्व विभाग ओर प्रशाशन बने मूकदर्शक 
इतिहासकार राजेन्द्रसिंह सोढा ने बताया कि उन्होने स्वंय ने अनके बार पुरातत्व विभाग को लिखीत में मुर्तियो ओर अन्य सामग्री के सरंक्षण के लिये मंाग की भी पर कोई सुनवाई नही हुई जिस कारण आज भी पूरा धरोहरे खतरे में है। वे बताते है कि एक बार पुर्व सासंद मानवेन्द्रसिंह ने जरूर सिलोर में प्रवास के दोरान म्युजियम बनवाने की घोषणा की थी पर योजना सिरे नही चढ पाई। आज हालात यह है कि अनेक स्थानो पर बिखरी पुरा सम्पदा अभी भी लावारिश हालातो में है ओर चोरी हो रही है। सिलोर ओर आस पास की प्राचीन सम्पदा को संरक्षण की दरकार है पर संरक्षण का सपना तब  साकार हो पायेगा जब सरकार, प्रशासन ओर पूरातत्व विभाग की कुंभकर्णी नींद खुलेगी।

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