अर्थ और समृद्धि देती हैं माता कात्यायनी
नवरात्र की षष्ठी तिथि की प्रमुख देवी मां कात्यायनी हैं। कात्यायनी दुर्गा का अवतार हैं लेकिन उनका ये स्वरूप लक्ष्मी और समृद्धि प्रदान करने वाला है। माता भय से मुक्ति देती हैं। इसमें हर प्रकार का भय शामिल है, जैसे दरिद्रता से भय, मृत्यु से भय, शत्रुओं से भय आदि। लक्ष्य साधना में धन की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण है। धन के अभाव में मानसिक त्रास और असुरक्षा का भाव होता है। माता कहती हैं कि जब किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अग्रसर हो तो अर्थ शक्ति भी आवश्यक होती है। माता का ये रूप बहुत ही वैभव वाला है। वे भक्तों को अपने इस रूप से वैभव और समृद्धि प्रदान करती हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं।
मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। इनका स्वरूप बहुत वैभवशाली दिव्य और भव्य है। देवी कात्यायनी का वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। माताजी की दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बायी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है।
महत्व
माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वयमेव प्राप्त हो जाती हैं। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग शोक संताप भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।
ध्यान मंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
नवरात्र की षष्ठी तिथि की प्रमुख देवी मां कात्यायनी हैं। कात्यायनी दुर्गा का अवतार हैं लेकिन उनका ये स्वरूप लक्ष्मी और समृद्धि प्रदान करने वाला है। माता भय से मुक्ति देती हैं। इसमें हर प्रकार का भय शामिल है, जैसे दरिद्रता से भय, मृत्यु से भय, शत्रुओं से भय आदि। लक्ष्य साधना में धन की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण है। धन के अभाव में मानसिक त्रास और असुरक्षा का भाव होता है। माता कहती हैं कि जब किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अग्रसर हो तो अर्थ शक्ति भी आवश्यक होती है। माता का ये रूप बहुत ही वैभव वाला है। वे भक्तों को अपने इस रूप से वैभव और समृद्धि प्रदान करती हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं।
मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। इनका स्वरूप बहुत वैभवशाली दिव्य और भव्य है। देवी कात्यायनी का वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। माताजी की दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बायी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है।
महत्व
माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वयमेव प्राप्त हो जाती हैं। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग शोक संताप भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।
ध्यान मंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
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