सरकारी नियमों के आगे अधिकारियों की हठमर्धिता हावी
भगाराम पंवार
बालोतरा। जलदाय विभाग बालोतरा के खण्ड कार्यालय में कार्यरत वाहन चालक नारायणसिंह पिछले कई वर्षो से अपने ही विभाग में अपने हक को तरस रहा है। जानकारीनुसार नारायणसिंह जलदाय विभाग में 1986 से नियमित वाहन चालक के पद पर कार्यरत है पर पिछले कई वर्षो से अपने ही विभाग में अधिकारियों व कर्मचारी नेताओं की प्रताडऩा का शिकार होना पड़ रहा है क्योकि उनसे किसी की चापलूसी नही होती किसी को कमीशन नही देते है ना खुद खाते है । कर्मचारी नेताओं और अधिकारियों को शायद ये रास नही आ रहा इसलिये अब तक वाहन चालक के नियमों को ताक पर रख के अनगिनत आदेश निकाल दिये गये और ये सिलसिला आज भी जारी है। अधिकारी व कर्मचारी नेता नित नये हथकण्डे अपनाकर वाहन चालक को प्रताडित कर रहें है पर कहीं से भी न्याय की उम्मीद नजर नही आ रही । आशंका यह भी है कि कुछ भ््राष्टाचार के मामलो की जानकारी वाहन चालक को है वे उजागर ना हो जाये इसलिए दबाव बनाने के लिये ऐसा किया जा रहा है। अधिकारियों द्धारा नियमित वाहन चालक होते हुए भी हैल्पर से वाहन चलवाया जा रहा है ताकि अपने निजी स्वार्थो की पूर्ती कर सके। अधिकारियों ने विभाग की चालू हालत सरकारी जीप जो नारायणसिंह वाहन चालक पहले चला रहा था उसको अकारण नकारा घोषित करवा दिया ताकि अपने चहेते कर्मचारी की निजी जीप अनुबंध पर लगा के उसका उपयोग स्वयं व अपने चहेते कर्मचारीयों के निजी कार्यो में ले सके। इतना ही नही सरकारी जीप के नकारा होने की सूचना ना उच्च अधिकारियों को ना ही नारायणसिंह वाहन चालक को दी गयी सरकारी जीप के नकारा घोषित होने के 1 वर्ष बाद तक जीप का संचालन होता रहा जिससे विभाग को लाखों का चूना लगाया। जीप के नकारा घोषित होने के आदेशो की कॉपी वाहन चालक को 1 वर्ष बाद दी गयी। सरकारी जीप के नकारा होने के बाद नारायणसिंह वाहन चालक जो की नियमित वाहन चालक है उसने उच्च अधिकारियों से लिखित निवेदन किया की उसके आदेश विभागीय ट्रक पर किये जाये पर अधिकारियों ने बेलदार और हैल्पर के आदेश कर दिये पर 1 वर्ष बाद भी नारायणसिंह वाहन चालक को उसका हक नही मिला है। जानकारी यह भी है कि विभागीय ट्रक पर पहले के किसी फर्जीवाड़े की पोल ना खुल जाये इसलिये नारायणसिंह वाहन चालक के आदेश विभागीय ट्रक पर नही किये जा रहें और एक अधिकारी के राजनीतिक परिवार से जुड़े होने के कारण वह अपना प्रभाव दिखा रहे है। इससे अधिकारियों पर कई सवाल खडे होते है ऐसी क्या मजबूरी या डर था के सारे सरकारी नियमो से परे ऐसा करना पडा या फिर अधिकारी किसी भ्रष्टाचार के मामले को दबाने की कोशिश में है। वाहन चालक के पुत्र द्वारा मुख्यमंत्री, मानवाधिकार आयोग,एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो को भी पत्र भेजा गया है पर कोई कारवाई नही हुई है।
भगाराम पंवार
बालोतरा। जलदाय विभाग बालोतरा के खण्ड कार्यालय में कार्यरत वाहन चालक नारायणसिंह पिछले कई वर्षो से अपने ही विभाग में अपने हक को तरस रहा है। जानकारीनुसार नारायणसिंह जलदाय विभाग में 1986 से नियमित वाहन चालक के पद पर कार्यरत है पर पिछले कई वर्षो से अपने ही विभाग में अधिकारियों व कर्मचारी नेताओं की प्रताडऩा का शिकार होना पड़ रहा है क्योकि उनसे किसी की चापलूसी नही होती किसी को कमीशन नही देते है ना खुद खाते है । कर्मचारी नेताओं और अधिकारियों को शायद ये रास नही आ रहा इसलिये अब तक वाहन चालक के नियमों को ताक पर रख के अनगिनत आदेश निकाल दिये गये और ये सिलसिला आज भी जारी है। अधिकारी व कर्मचारी नेता नित नये हथकण्डे अपनाकर वाहन चालक को प्रताडित कर रहें है पर कहीं से भी न्याय की उम्मीद नजर नही आ रही । आशंका यह भी है कि कुछ भ््राष्टाचार के मामलो की जानकारी वाहन चालक को है वे उजागर ना हो जाये इसलिए दबाव बनाने के लिये ऐसा किया जा रहा है। अधिकारियों द्धारा नियमित वाहन चालक होते हुए भी हैल्पर से वाहन चलवाया जा रहा है ताकि अपने निजी स्वार्थो की पूर्ती कर सके। अधिकारियों ने विभाग की चालू हालत सरकारी जीप जो नारायणसिंह वाहन चालक पहले चला रहा था उसको अकारण नकारा घोषित करवा दिया ताकि अपने चहेते कर्मचारी की निजी जीप अनुबंध पर लगा के उसका उपयोग स्वयं व अपने चहेते कर्मचारीयों के निजी कार्यो में ले सके। इतना ही नही सरकारी जीप के नकारा होने की सूचना ना उच्च अधिकारियों को ना ही नारायणसिंह वाहन चालक को दी गयी सरकारी जीप के नकारा घोषित होने के 1 वर्ष बाद तक जीप का संचालन होता रहा जिससे विभाग को लाखों का चूना लगाया। जीप के नकारा घोषित होने के आदेशो की कॉपी वाहन चालक को 1 वर्ष बाद दी गयी। सरकारी जीप के नकारा होने के बाद नारायणसिंह वाहन चालक जो की नियमित वाहन चालक है उसने उच्च अधिकारियों से लिखित निवेदन किया की उसके आदेश विभागीय ट्रक पर किये जाये पर अधिकारियों ने बेलदार और हैल्पर के आदेश कर दिये पर 1 वर्ष बाद भी नारायणसिंह वाहन चालक को उसका हक नही मिला है। जानकारी यह भी है कि विभागीय ट्रक पर पहले के किसी फर्जीवाड़े की पोल ना खुल जाये इसलिये नारायणसिंह वाहन चालक के आदेश विभागीय ट्रक पर नही किये जा रहें और एक अधिकारी के राजनीतिक परिवार से जुड़े होने के कारण वह अपना प्रभाव दिखा रहे है। इससे अधिकारियों पर कई सवाल खडे होते है ऐसी क्या मजबूरी या डर था के सारे सरकारी नियमो से परे ऐसा करना पडा या फिर अधिकारी किसी भ्रष्टाचार के मामले को दबाने की कोशिश में है। वाहन चालक के पुत्र द्वारा मुख्यमंत्री, मानवाधिकार आयोग,एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो को भी पत्र भेजा गया है पर कोई कारवाई नही हुई है।
No comments:
Post a Comment