बालोतरा। क्षेत्र में तेज पड़ रही गर्मी के साथ ही बालोतरा शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लडख़ड़ाई पेयजल आपूर्ति पर ग्रामीणों व पशुपालकों की दिक्कतें बढ़ गई है। तालाब-नाडियों में पानी सूखने के साथ जलदाय विभाग की ओर से की जाने वाली जलापूर्ति के गड़बड़ाने से ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के मोहताज हो गए हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर टैंकरों से की जाने वाली जलापूर्ति ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। परेशान ग्रामीण जलदाय विभाग के अधिकारियों को समस्या से अवगत करवाते-करवाते थक चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
क्षेत्र में तेज गर्मी के साथ लडख़ड़ाई पेयजल आपूर्ति से ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों हाहाकार मच गया है। सप्ताह से दस दिनों के अंतराल में की जाने वाली जलापूर्ति पर ग्रामीणों को एक दिन जितना भी पानी नसीब नहीं हो रहा है। इस पर तालाब-नाडियों मे बरसाती पानी के सूखने पर ग्रामीण पानी को मोहताज हो गए है। समदड़ी,सिवाना,कनाना,जानियाना,मूंगड़ा,तिलवाड़ा,मोकलसर आदि गांवों के तालाबों का पानी भी सूख चुका है। प्रशासन की ओर से भिजवाए जा रहे टैंकर दो दिन की जरूरत जितने भी मुनासिब नहीं होते हैं। खासकर पशुपालकों की परेशानियां बढ़ गई है। शहर व गांवों में ग्रामीण 800 रूपए चुकाकर पानी की टंकी डलवाते हैं।
क्षेत्र में तेज गर्मी के साथ लडख़ड़ाई पेयजल आपूर्ति से ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों हाहाकार मच गया है। सप्ताह से दस दिनों के अंतराल में की जाने वाली जलापूर्ति पर ग्रामीणों को एक दिन जितना भी पानी नसीब नहीं हो रहा है। इस पर तालाब-नाडियों मे बरसाती पानी के सूखने पर ग्रामीण पानी को मोहताज हो गए है। समदड़ी,सिवाना,कनाना,जानियाना,मूंगड़ा,तिलवाड़ा,मोकलसर आदि गांवों के तालाबों का पानी भी सूख चुका है। प्रशासन की ओर से भिजवाए जा रहे टैंकर दो दिन की जरूरत जितने भी मुनासिब नहीं होते हैं। खासकर पशुपालकों की परेशानियां बढ़ गई है। शहर व गांवों में ग्रामीण 800 रूपए चुकाकर पानी की टंकी डलवाते हैं।
No comments:
Post a Comment