स्मारक पर शाम को छलकते है जाम,दुकानदार करते है अतिक्रमण
भगाराम पंवार (9887119003)
बालोतरा। शहीद की चिताओं पर हर बरस मेले तो लगते है और राजनेता अपनी राजनीति को चमकानें के लिए एक दिन भाषण देकर अपनी संवेदना प्रकट कर चले जाते है,लेकिन वर्ष के 364 दिन तक उस स्मारक की कोई सुध तक नहीं लेता है,सिवाय परिवार जनों के अलावा। ऐसा ही बालोतरा का एक शहीद स्मारक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। शहर के खेड़ रोड़ स्थित शहीद मदनलाल बारूपाल का शहीद स्मारक बना हुआ है जो आज भी उपेक्षा का शिकार है,यहा पर शाम को असामाजिक तत्वा जाम छलकाते नजर आते है तो कई लोग अपनी दुकान का सामान उसके अंदर व बाहर सजा देते है। परिजनों का कहना है नगर परिषद इसकी सुध ले और अतिक्रमण मुक्त करवाकर इसका रंग रोगन करवाकर फिर से एक आर्दश स्मारक बनाया जाएं।
सजा देते है दुकानों का सामान
शहीद स्मारक के पास में ही बाईक रिपेयर करने वालों की दुकानें है। इन दुकानों के मालिक व मिस्त्री अपनी दुकानों का सामान स्मारक के अंदर व बाहर सजा देते है और शहीद स्मारक के ठीक सामने अवैध रूप से अतिक्रमण कर मोटरसाईकिलें भी रख देते है जिससे स्मारक के अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है। वहीं कुछ दुकानदार बाईकें भी इसके उपर चढ़ाकर रिपेयर करते है तथा इसकी चारदीवारी पर सीटें वगैरह अन्य सामान रख देते है। इस प्रकार अतिक्रमण करने व उपेक्षा की वजह से शहीद के परिजन भी दुखी है उनका कहना है कि इस तरह शहीद स्मारक का अपमान करना ठीक नही है।
शाम होते ही छलकते है जाम
शाम होते ही शहीद स्मारक पर असामाजिक तत्व जाम छलकाते हुए नजर आते है। देश की खातिर अपनी जान न्यौशावर करने वाले जवान के शहीद स्मारक का इतना बुरा हाल है कि अंदर शराब की बोतले बिखरी हुई पड़ी है एवं शराबी शाम होते ही इसे अपना अड्डा बना लेते है और जाम छलकाते है।
इंमरजेंसी के दौरान हुआ था शहीद
शहीद मदनलाल बारूपाल 1971 में इमरजेंसी के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध के दौरान दुश्मनों की गोली लगने से शहीद हुआ था। उसने अपने देश की खातिर हंसते-हंसते अपनी जान दे दी। शहीद की याद में स्मारक तो बना दिया लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नही है।
भगाराम पंवार (9887119003)
बालोतरा। शहीद की चिताओं पर हर बरस मेले तो लगते है और राजनेता अपनी राजनीति को चमकानें के लिए एक दिन भाषण देकर अपनी संवेदना प्रकट कर चले जाते है,लेकिन वर्ष के 364 दिन तक उस स्मारक की कोई सुध तक नहीं लेता है,सिवाय परिवार जनों के अलावा। ऐसा ही बालोतरा का एक शहीद स्मारक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। शहर के खेड़ रोड़ स्थित शहीद मदनलाल बारूपाल का शहीद स्मारक बना हुआ है जो आज भी उपेक्षा का शिकार है,यहा पर शाम को असामाजिक तत्वा जाम छलकाते नजर आते है तो कई लोग अपनी दुकान का सामान उसके अंदर व बाहर सजा देते है। परिजनों का कहना है नगर परिषद इसकी सुध ले और अतिक्रमण मुक्त करवाकर इसका रंग रोगन करवाकर फिर से एक आर्दश स्मारक बनाया जाएं।
सजा देते है दुकानों का सामान
शहीद स्मारक के पास में ही बाईक रिपेयर करने वालों की दुकानें है। इन दुकानों के मालिक व मिस्त्री अपनी दुकानों का सामान स्मारक के अंदर व बाहर सजा देते है और शहीद स्मारक के ठीक सामने अवैध रूप से अतिक्रमण कर मोटरसाईकिलें भी रख देते है जिससे स्मारक के अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है। वहीं कुछ दुकानदार बाईकें भी इसके उपर चढ़ाकर रिपेयर करते है तथा इसकी चारदीवारी पर सीटें वगैरह अन्य सामान रख देते है। इस प्रकार अतिक्रमण करने व उपेक्षा की वजह से शहीद के परिजन भी दुखी है उनका कहना है कि इस तरह शहीद स्मारक का अपमान करना ठीक नही है।
शाम होते ही छलकते है जाम
शाम होते ही शहीद स्मारक पर असामाजिक तत्व जाम छलकाते हुए नजर आते है। देश की खातिर अपनी जान न्यौशावर करने वाले जवान के शहीद स्मारक का इतना बुरा हाल है कि अंदर शराब की बोतले बिखरी हुई पड़ी है एवं शराबी शाम होते ही इसे अपना अड्डा बना लेते है और जाम छलकाते है।
इंमरजेंसी के दौरान हुआ था शहीद
शहीद मदनलाल बारूपाल 1971 में इमरजेंसी के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध के दौरान दुश्मनों की गोली लगने से शहीद हुआ था। उसने अपने देश की खातिर हंसते-हंसते अपनी जान दे दी। शहीद की याद में स्मारक तो बना दिया लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नही है।
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