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Wednesday, January 15, 2014

'कांग्रेस के इशारे पर चलने वाले केजरीवाल हैं घमंडी और तानशाह' विनोद कुमार बिन्नी

नई दिल्ली, कल तक अरविंद केजरीवाल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले विनोद कुमार बिन्नी ऐसे बागी हुए कि अपने साथी को घमंडी और तानाशाह तक कह दिया. गुरुवार को AAP की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई. बागी हुए बिन्नी ने अपनी ही सरकार और उसके मुखिया केजरीवाल पर जमकर हमला बोला. बिन्नी ने आरोप लगाया कि AAP की सरकार ने हर मुद्दे पर दिल्ली की जनता के साथ वादाखिलाफी की. चाहे वह पानी और बिजली बिल में कटौती का मुद्दा हो या फिर जनलोकपाल या भ्रष्टाचार का. पार्टी के नेता सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं. इशारे कांग्रेस दे रही है और नाम के लिए AAP की सरकार चल रही है.

आम आदमी पार्टी की करनी और कथनी में फर्क आ गया 
आम आदमी पार्टी का गठन किसी को मुख्यमंत्री, विधायक और सांसद बनाने के लिए नहीं हुआ था. लोग भ्रष्टाचार और उत्पीड़न से परेशान थे. फिर अन्ना का आंदोलन हुआ. जिसके बाद आम आदमी पार्टी का गठन हुआ. शायद इन्हीं सिद्धांतों के कारण पार्टी को दिल्ली चुनाव में अच्छे नतीजे मिले है. पर अचानक ही सबकुछ बदल गया है. सरकार में आते ही करनी-कथनी में बहुत फर्क आ गया है.

मुफ्त पानी का मुद्दा
'चुनाव प्रचार में हमने कहा था कि हर परिवार को 700 लीटर साफ पानी मुफ्त दिया जाएगा. पर अचानक ही सरकार ने ऐसा फैसला किया जो चौंकाने वाला था. 701 लीटर से ज्यादा पानी इस्तेमाल करने वालों के लिए सरचार्ज के साथ बिल देने का फैसला कर दिया. यह तो जनता के साथ धोखा है.'

बिल नहीं भरने वाले 10 लाख 52 हजार लोगों का क्या हुआ?
आप सभी को याद होगा कि दिल्ली सरकार के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुंदर नगरी इलाके में अनशन किया था. मुद्दा था पानी और बिजली बिल में भ्रष्टाचार का. लोग ज्यादा बिल आने से परेशान थे. केजरीवाल ने इस दौरान लोगों से बिल नहीं देने की अपील की थी. कइयों ने ऐसा ही किया. करीबन 10 लाख 52 हजार लोगों ने एक अप्लीकेशन पर साइन करके अपना विरोध दर्ज कराया था. केजरीवाल ने वादा किया था कि जब हम सत्ता में आएंगे सारे बिल माफ कर दिए जाएंगे. किसी पर कानूनी कार्रवाई नहीं होगी. पर आज सरकार बने हुए 15 दिन से ज्यादा बीत गए पर उन 10 लाख 52 हजार लोगों के साथ किये वादे का क्या हुआ. किसी को नहीं पता. हजारों लोगों के ऊपर चोरी के केस बने हुए हैं. लाखों रुपये का बकाया है. यहां भी कथनी और करनी में फर्क है.

बिजली दर में कटौती पर भी पलटे
जब हम चुनाव लड़ रहे थे तो हर जगह यही वादा करते थे. बिजली दर में 50 फीसदी की कटौती कर दी जाएगी. यानी 1 लाख रुपये का बिजली बिल देने वाले को 50 हजार का बिल देना पड़ेगा. उसमें 400 यूनिट वाला कंडिशन नहीं लगा था. कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, घरेलू और झुग्गी-झोपड़ी में बिजली इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए अलग-अलग दरें होंगी, ये बात हमने कभी नहीं कही. पर सरकार ने वही किया. चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए हड़बड़ी में सब्सिडी का खेल किया गया इस कारण से दिल्ली की 90 फीसदी जनता छला हुआ महसूस कर रही है. सच तो ये है कि सरकार को अपने दफ्तर में मौज काट रही है पर मुझ जैसे विधायक को जनता का सामना करना पड़ता है.

सरकार बने 19 दिन हो गए, जनलोकपाल बिल कहां?
जनलोकपाल बिल पार्टी के गठन का एक अहम मुद्दा था. पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में यह वादा किया था कि सरकार बनने के 15 दिन के अंदर लोकपाल बिल पास किया जाएगा यानी 29 दिसंबर को. सरकार 28 दिसंबर को बनी, आज 19 दिन बीत चुके हैं. पर लोकपाल बिल पर कोई चर्चा नहीं है. यह तो जनता के साथ धोखा है. आपने तो 15 दिन का वादा किया था. इनकी मंशा साफ है. किसी तरह से दो महीने बीत जाएं. फिर लोकसभा चुनाव की वजह से आचार संहिता लागू हो जाएगी. हम सत्ता का सुख भोगेंगे.

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर क्या हुआ?
महिला सुरक्षा का विषय सबसे अहम है. आज हर अखबार में नई दिल्ली स्टेशन के पास डेनमार्क की महिला के साथ गैंगरेप की खबर छपी है. चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार के एक मंत्री का इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं है. अगर दिल्ली में किसी दूसरी पार्टी सरकार होती तो आम आदमी पार्टी विरोध प्रदर्शन करके मुद्दा खड़ा कर देती. पर सरकार में आ गए तो महिला सुरक्षा का मुद्दा गौन हो गया. महिला कमांडो फोर्स के गठन की बात थी पर एक सर्कुलर तक नहीं जारी किया गया.

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शीला दीक्षित और उनके मंत्रियों पर
ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया है. पार्टी जब चुनाव लड़ रही थी तब तो यही कहा जाता था कि जैसे ही हम सरकार बनाएंगे तो शीला दीक्षित और उनके भ्रष्टाचारी मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. पर हुआ क्या? कार्रवाई तो छोड़िए जांच के लिए एक आदेश तक नहीं दिए गए. सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब विधानसभा में केजरीवाल ने डॉ. हर्षवर्धन से कहा कि आप शीला और उनके मंत्रियों के खिलाफ सबूत महैया कराएं. सवाल यह है कि जब आपके सबूत नहीं थे तो सार्वजनिक मंच से इतने गंभीर आरोप क्यों लगा रहे थे.

केजरीवाल तानाशाह और घमंडी हैं
अरविंद केजरीवाल तानाशाह किस्म के हैं. वे अपने सामने किसी दूसरों की नहीं सुनते. अगर आप उनसे सहमत हैं तो उनके साथ हैं वरना आप चुप रहे तो बेहतर है. जब वे गुस्सा होते हैं उनकी आंखें लाल हो जाती हैं. पार्टी के सारे फैसले 4-5 लोग बंद कमरे में करते हैं. सारे फैसले केजरीवाल करते हैं और बाकी लोग हां में हां मिलाते हैं. अगर आप केजरीवाल के फैसले से असहमत होते हैं तो वे पहले समझाते हैं और फिर गुस्सा हो जाते हैं. आम आदमी पार्टी ने अन्ना हजारे, बाबा रामदेव और किरण बेदी का इस्तेमाल किया. मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और कुमार विश्वास पुराने साथी हैं. सत्ता में आने के बाद केजरीवाल घमंडी हो गए हैं. वे तानाशाह की तरह बर्ताव करते हैं.

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