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Wednesday, January 29, 2014

अब टीवी पर भी दिखाई जा सकती हैं एडल्‍ट फिल्‍में

चेन्नई. सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) चाहता है कि एडल्‍ट फिल्‍में बिना काट-छांट के टीवी पर दिखाई जाएं। इसके लिए वे देर रात में अलग से स्‍लॉट तय किए जाने के पक्ष में हैं। बोर्ड के सदस्‍यों ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव बिमल जुल्‍का से मिल कर यह प्रस्‍ताव दिया है। 
वर्तमान प्रसारण व्यवस्था
व्यस्क फिल्मों को टीवी प्रसारण का अधिकार देने से पहले उसके कंटेट में बदलाव कर  की जगह यूए या यूसर्टिफाइड किया जाता है। सर्टिफिकेशन के दौरान ये तय होता है कि फिल्म से व्यस्क कंटेंट को हटा दिया गया है और अब फिल्म को प्रसारित किया जा सकता है।
 
देर रात का वक्‍त एडल्‍ट फिल्‍मों के प्रसारण के लिए तय करने के बोर्ड के प्रस्‍ताव पर अमल की प्रक्रिया काफी लंबी है। इसके लिए सभी संबंधित पक्षों से बात करनी होगी। उनके रुख के मुताबिक ही इस दिशा में आगे बढ़ना संभव है।
 
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) की प्रवक्ता अंजुम राजाबाली के मुताबिक बोर्ड ने 1952 के फिल्म प्रसारण एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव भी रखा है। सीबीएफसी की चेयरपर्सन लीला सैमसंग के मुताबिक फिल्म के सर्टिफिकेशन की निर्धारित प्रकिया में सर्टिफिकेशन प्रक्रिया से पहले फिल्‍म देखने वाले एडवाइजरी कमेटी के दो-तिहाई सदस्य  फिल्म के कंटेट को लेकर बोर्ड के अधिकारियों और अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट भेजते हैं। अगर वे रिपोर्ट में बताते हैं कि फिल्म के प्रसारण में कोई समस्या नहीं है, तभी प्रसारण संभव होता है। 

अभी क्‍या है सर्टिफिकेशन की व्‍यवस्‍था
 
अभी फिल्मों को तीन तरह के सर्टिफिकेट दिए जाते हैं- 
 
यू-सभी लोगों के लिए मनोरंजन और पारिवारिक फिल्म
 
यूए- फिल्म कुछ व्यस्क कंटेट (जो सीमित मात्रा में हो) के साथ प्रसारित हो सकती है
 
ए-केवल व्यस्कों के लिए
 
सीबीएफसी ने दो और कैटोगरी जारी करने के प्रस्‍ताव को दोहराया है
 
यू-12: बारह साल से ऊपर के बच्चों के लिए
 
यू-15: पंद्रह साल की उम्र से ऊपर के लोगों के लिए
क्या है सेंसर बोर्ड की व्यवस्था
बोर्ड की वर्तमान व्यवस्था में उन लोगों को शामिल किया जाता है जो सिनेमा और उसकी समीक्षा करते हैं। 
 
कमल हासन ने उठाए थे सवाल
दिसंबर 2013 के दौरान चेन्नई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मशहूर फिल्म अभिनेता कमल हासन ने फिल्म सेंसर बोर्ड में शामिल अधिकारियों के पैनल पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सीबीएफसी( सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन) को सेंसर बोर्ड में शामिल अधिकारियों और लोगों के चयन की प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता बरतनी चाहिए।

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