भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व महाराजा गजसिंह,पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंतसिंह,विधायक मानवेंद्रसिंह,ठाकुर नाहरसिंह को करवाया अवगत
बालोतरा। जसोल स्थित माता राणी भटियाणी मंदिर संस्थान को लेकर सहायक मंत्री प्रोफेसर आनंदसिंह ने संचालक रावल किशनसिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए भारी गड़बडिय़ों का खुलासा किया है। प्रोफेसर आनंदसिंह ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि मालाणी क्षेत्र की इस तपोभूमि जसोल पर बने आस्था के सबसे बड़े माजीसा के मंदिर में कई विसंगतिया है,इसके संचालक,कर्मचारी व मुलाजिम सब जमकर भ्रष्टाचार कर रहे,मंदिर में अव्यवस्था हावीं है जिसे जल्द सुधारा जाना चाहिए। ये तथाकथित ट्रस्ट 14 दिसंबर 1984 में बनाया गया था,इसके बार में परिवार के ज्यादातर सदस्यों को मालूम तक नहीं था। इस मंदिर संस्थान का कार्यभार रावल किशनसिंह संभाल रहे है उस समय से आज तक न तो कोई बैठक का आयोजन किया गया है और नहीं किसी भी लेखा-जोखा का हिसाब दिया गया। इस मंदिर संस्थान के ट्रस्ट को बनाते समय मुझे(प्रोफेसर आनंदसिंह) सहमंत्री बनाया गया था जो कि मुझे मालूम तक नहीं था। इसके उपरांत ये मंदिर संस्थान को जागीर कमिश्नर जयपुर ने जागीर पुनर्र्ग्रहण अधिनियम की धारा 23 के अन्र्तगत स्व.राव बहादुर रावल जोरावरसिंह की निजी संपति माना है। इसमें इनकी सहमति के बीना किसी भी ट्रस्ट का निर्माण संभव नहीं हो सकता है। उसके बाद से हीं रावल किशनसिंह इस मंदिर ट्रस्ट का संचालन कर रहा है एवं मंदिर ट्रस्ट के नाम पर आने वाले रूपयों व लेन देन में भारी गड़बडि़य़ां की जा रहीं है। प्रोफेसर आनंदसिंह ने कहा कि आज मैं ये आरोप लगा रहा हूं तो मेरे हीं परिवार की बदनामी हो रही है वो मुझे अच्छी तरह मालूम है लेकिन इस पाप को होने रोकना होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर में हो रहीं गड़बडिय़ों को लेकर मैने पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंतसिंह जसोल,जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह,ठाकुर नाहरसिंह व विधायक मानवेंद्रसिंह के सामने भी गत दिसंबर माह में अवगत करवाया था। इनको अवगत करवाने के बाद इनकी प्रतिक्रिया भी सामने आई जिसमें इन्होंने पत्र के माध्यम से इस बात को स्वीकार किया कि जसोल माता राणी भटियाणी मंदिर की तथाकथित संस्थान में भारी विसंगतिया है जिसमें सुधार किया जाना चाहिए उपरांत ये ट्रस्ट रजिस्टर्ड भी नहीं है।
आनंदसिंह ने मंदिर परिसर को लिया अपने अधीन
प्रोफेसर आनंदसिंह ने मंदिर ट्रस्ट में गड़बडिय़ों को लेकर खुद पिछले पंद्रह दिन से जोधपुर से आकर जसोल में रह रहै है एवं मंदिर परिसर को अपने कब्जे में ले रखा। उन्होंने दान पात्र,जरूरी कागजात सहित संपूर्ण तिजौरियों को अपने कब्जे में लेकर उसे सीज कर दिया है। उनका कहना है कि इस संस्थान के तथाकथित संचालक रावल किशनसिंह को मंदिर में बुलाया गया लेकिन वे नहीं आ रहे है एवं और न हीं कोई हिसाब किताब दे रहे अब मैं मंदिर संस्थान को पैसा अपने जेब से दे रहा हू कि जब तक इसकी कोई ऑडिट या जांच नहीं हो जाती। उन्होंने सरकारी जांच एजेंसिंयों सहित सीबीआई से इसकी जांच करवाने की बात करते हुए एक नया ट्रस्ट बनाने की मांग की है जिसमें छत्तीस कौम के लोग शामिल हो और वे मिलकर इस संस्थान को चलाए जिसमें पारदर्शिता रहे और आने जाने वाले श्रद्धालुओं को भी राहत मिले।
मां भी करवा चुकी है किशनसिंह पर मामला दर्ज
तथाकथित संस्थान के संचालक रावल किशनसिंह पर उनकी माताजी जड़ाव कंवर ने भी घेरलू हिंसा सहित मामला दर्ज करवाया है जिसकी सीआर संख्या 72/ 13 फरवरी 2015 है। इनकी माताजी ने भी मंदिर में कर्मचारियों व ट्रस्ट के तथाकथित पदाधिकारियों पर लापरवाहीं,भ्रष्टाचार,अनुशासनहीनता व अव्यवस्थाएं हावीं होने का आरोप लगाया है और जब तक नई कमेटी का गठन नहीं हो जाता तब तक उन्होंने उनके देवर प्रोफेसर आनंदसिंह को मंदिर संभालने का जिम्मा सौंपा है।
फोटो केप्सन---27बीएलटी01 और 02। पत्रकार वार्ता के दौरान दस्तावेज दिखाते हुए प्रोफेसर आनंदसिंह।
बालोतरा। जसोल स्थित माता राणी भटियाणी मंदिर संस्थान को लेकर सहायक मंत्री प्रोफेसर आनंदसिंह ने संचालक रावल किशनसिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए भारी गड़बडिय़ों का खुलासा किया है। प्रोफेसर आनंदसिंह ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि मालाणी क्षेत्र की इस तपोभूमि जसोल पर बने आस्था के सबसे बड़े माजीसा के मंदिर में कई विसंगतिया है,इसके संचालक,कर्मचारी व मुलाजिम सब जमकर भ्रष्टाचार कर रहे,मंदिर में अव्यवस्था हावीं है जिसे जल्द सुधारा जाना चाहिए। ये तथाकथित ट्रस्ट 14 दिसंबर 1984 में बनाया गया था,इसके बार में परिवार के ज्यादातर सदस्यों को मालूम तक नहीं था। इस मंदिर संस्थान का कार्यभार रावल किशनसिंह संभाल रहे है उस समय से आज तक न तो कोई बैठक का आयोजन किया गया है और नहीं किसी भी लेखा-जोखा का हिसाब दिया गया। इस मंदिर संस्थान के ट्रस्ट को बनाते समय मुझे(प्रोफेसर आनंदसिंह) सहमंत्री बनाया गया था जो कि मुझे मालूम तक नहीं था। इसके उपरांत ये मंदिर संस्थान को जागीर कमिश्नर जयपुर ने जागीर पुनर्र्ग्रहण अधिनियम की धारा 23 के अन्र्तगत स्व.राव बहादुर रावल जोरावरसिंह की निजी संपति माना है। इसमें इनकी सहमति के बीना किसी भी ट्रस्ट का निर्माण संभव नहीं हो सकता है। उसके बाद से हीं रावल किशनसिंह इस मंदिर ट्रस्ट का संचालन कर रहा है एवं मंदिर ट्रस्ट के नाम पर आने वाले रूपयों व लेन देन में भारी गड़बडि़य़ां की जा रहीं है। प्रोफेसर आनंदसिंह ने कहा कि आज मैं ये आरोप लगा रहा हूं तो मेरे हीं परिवार की बदनामी हो रही है वो मुझे अच्छी तरह मालूम है लेकिन इस पाप को होने रोकना होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर में हो रहीं गड़बडिय़ों को लेकर मैने पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंतसिंह जसोल,जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह,ठाकुर नाहरसिंह व विधायक मानवेंद्रसिंह के सामने भी गत दिसंबर माह में अवगत करवाया था। इनको अवगत करवाने के बाद इनकी प्रतिक्रिया भी सामने आई जिसमें इन्होंने पत्र के माध्यम से इस बात को स्वीकार किया कि जसोल माता राणी भटियाणी मंदिर की तथाकथित संस्थान में भारी विसंगतिया है जिसमें सुधार किया जाना चाहिए उपरांत ये ट्रस्ट रजिस्टर्ड भी नहीं है।
आनंदसिंह ने मंदिर परिसर को लिया अपने अधीन
प्रोफेसर आनंदसिंह ने मंदिर ट्रस्ट में गड़बडिय़ों को लेकर खुद पिछले पंद्रह दिन से जोधपुर से आकर जसोल में रह रहै है एवं मंदिर परिसर को अपने कब्जे में ले रखा। उन्होंने दान पात्र,जरूरी कागजात सहित संपूर्ण तिजौरियों को अपने कब्जे में लेकर उसे सीज कर दिया है। उनका कहना है कि इस संस्थान के तथाकथित संचालक रावल किशनसिंह को मंदिर में बुलाया गया लेकिन वे नहीं आ रहे है एवं और न हीं कोई हिसाब किताब दे रहे अब मैं मंदिर संस्थान को पैसा अपने जेब से दे रहा हू कि जब तक इसकी कोई ऑडिट या जांच नहीं हो जाती। उन्होंने सरकारी जांच एजेंसिंयों सहित सीबीआई से इसकी जांच करवाने की बात करते हुए एक नया ट्रस्ट बनाने की मांग की है जिसमें छत्तीस कौम के लोग शामिल हो और वे मिलकर इस संस्थान को चलाए जिसमें पारदर्शिता रहे और आने जाने वाले श्रद्धालुओं को भी राहत मिले।
मां भी करवा चुकी है किशनसिंह पर मामला दर्ज
तथाकथित संस्थान के संचालक रावल किशनसिंह पर उनकी माताजी जड़ाव कंवर ने भी घेरलू हिंसा सहित मामला दर्ज करवाया है जिसकी सीआर संख्या 72/ 13 फरवरी 2015 है। इनकी माताजी ने भी मंदिर में कर्मचारियों व ट्रस्ट के तथाकथित पदाधिकारियों पर लापरवाहीं,भ्रष्टाचार,अनुशासनहीनता व अव्यवस्थाएं हावीं होने का आरोप लगाया है और जब तक नई कमेटी का गठन नहीं हो जाता तब तक उन्होंने उनके देवर प्रोफेसर आनंदसिंह को मंदिर संभालने का जिम्मा सौंपा है।
फोटो केप्सन---27बीएलटी01 और 02। पत्रकार वार्ता के दौरान दस्तावेज दिखाते हुए प्रोफेसर आनंदसिंह।
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