बालोतरा। शहर में यातायात नियमों को लेकर ना तो जन जागरूक है और ना ही यातायात पुलिस सर्तक। शहर में दुपहिया वाहन चलाते समय मोबाइल पर बतियाने और तीन सवारी बिठाकर दुपहिया वाहन दौडाने जैसे नजारे रोजाना देखने को मिलते है। शहर में यातायात नियमों का इस तरह मखौल उडना अब आम बात हो गई है। यातायात नियमों की पालना को लेकर कोई गंभीर नहीं है। इस कारण दुपहिया वाहन चालकों को वाहन चलाते समय मोबाइल पर बतियाने में कतई हिचकिचाहट नहीं होती। उन्हें गिरने या चालान काटने का भय भी नहीं रहा है। कई दुपहिया व चार पहिया वाहन बिना नम्बर प्लेट के ही दौड़ते दिखते है। साइड लेते समय इंडिकेटर का इस्तेमाल करने जैसा नियमों मानो यहां के वाहन चालकों को पता ही नहीं।
खासतौर से युवाओं में यातायात नियतों की जानबूझ कर अवहेलना करना आदत में शुमार होती जा रही है। यातायात नियमों की पालना करने के लिए गंभीरता से नहीं लेने के कारण सडक़ दुर्घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। कई नन्हें बच्चे बेखौफ होकर सडकों पर वाहन दौडाते है। वहीं सीट बैल्टका उपयोग नजदीक समय में संभव नहीं लग रहा। इतना ही नहीं यातायात पुलिस द्वारा कभी कभार किसी गाड़ी को रूकवाकर पुछने की कोशिश करने करने पर किसी नेताओं को बात करवाकर वे निकल जाते है। और पुलिस कोई कोर्रवाही नहीं कर पाती है।
खासतौर से युवाओं में यातायात नियतों की जानबूझ कर अवहेलना करना आदत में शुमार होती जा रही है। यातायात नियमों की पालना करने के लिए गंभीरता से नहीं लेने के कारण सडक़ दुर्घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। कई नन्हें बच्चे बेखौफ होकर सडकों पर वाहन दौडाते है। वहीं सीट बैल्टका उपयोग नजदीक समय में संभव नहीं लग रहा। इतना ही नहीं यातायात पुलिस द्वारा कभी कभार किसी गाड़ी को रूकवाकर पुछने की कोशिश करने करने पर किसी नेताओं को बात करवाकर वे निकल जाते है। और पुलिस कोई कोर्रवाही नहीं कर पाती है।
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