बालोतरा। स्थानीय घांची समाज भवन में चल रहे भागवत कथा कार्यक्रम के चैथे दिन रामस्नेही सम्प्र्रदाय के डॉ. रामस्वरूप शास्त्री महाराज ने भगवान श्री कृष्ण का दिव्य प्रसंग सुना श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होने कहा कि परमात्मा जन्म नही लेता है बल्कि प्रकट होंता है। जन्म मरण तो प्राणियों में कर्मवश होता है। यह एक प्राधिन व्यवस्था है जो कि परम्परागत चलती है भगवान कृष्ण मथुरा नगरी में कंस के कारागृह में वासुदेव देवकी के सामने चतुर्भुज के रूप में संघ-चक्र आदि धारण किए स्वयं प्रकट हुए थे। किन्तु मध्यरात्रि को ही वासुदेव के द्वारा गोकुल की धरती में बाबा नंद के घर पहुंचा दिए गए थे।
बाबा नंद ने उसको जन्म के रूप में स्वीकारा था इसलिए भगवान के जन्म शब्द का प्रयोग किया गया न कि यह जन्म था। क्योंकि जन्म शब्द भगवान के लिए आरोपित है। परमात्मा अन्योनित है। भक्तों की रक्षा हेतु, विद्यर्मी लोगो को दण्ड देेने के लिए ईश्वर समय-समय पर अवतार लेते है। वृंदावन की धरती पर भगवान ने जो लीलाएं की है वो भी अलौकिक एवं अद्वितीय है। पुरे पांडाल भगवान के जै कारो से गुंज उठा। इस दौरान बडी संख्या में भीड उपस्थित थी कई समाजसेवी भी अपनी सेवाएं दे रहे है।
बाबा नंद ने उसको जन्म के रूप में स्वीकारा था इसलिए भगवान के जन्म शब्द का प्रयोग किया गया न कि यह जन्म था। क्योंकि जन्म शब्द भगवान के लिए आरोपित है। परमात्मा अन्योनित है। भक्तों की रक्षा हेतु, विद्यर्मी लोगो को दण्ड देेने के लिए ईश्वर समय-समय पर अवतार लेते है। वृंदावन की धरती पर भगवान ने जो लीलाएं की है वो भी अलौकिक एवं अद्वितीय है। पुरे पांडाल भगवान के जै कारो से गुंज उठा। इस दौरान बडी संख्या में भीड उपस्थित थी कई समाजसेवी भी अपनी सेवाएं दे रहे है।
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