स्टे हटाने से किया इंकार, विज्ञापन प्रचार पर लगाई रोक
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटी संचलकों द्वारा पूर्व मे बैंकिंग व्यवसाय न करने संबंधित जारी स्थगन आदेष मे संषोधन से इंकार करे हुए शुक्रवार को साफ कर दिया कि वह आमजन से जमायें लेने एवं उन्हें लुभाने संबंधित किसी तरह के विज्ञापन भी जारी नही करे। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी एवं न्यायमूर्ति बनवारीलाल शर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई दौरान प्रदेष भर मेे फैले क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटियों के जाल, उनके द्वारा जमाएं प्राप्त करने के लिए चलाई जाने वाली इनामी स्कीमों एवं सदस्य बनाने की कथित प्रक्रिया पर तीखी टिप्पणियां करते हुए कहा कि यह तमाम गतिविधियां बैंकिंग श्रेणी मे आती हैं। याचिकाकर्ता सज्जनसिंह भाटी की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को और भी कईं मौखिक टिप्पणियां करते हुए बैैंकिंग व्यवसाय पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेष दिये। याचिककर्ता की ओर से एडवोकेट एस.पी.शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड ने पैरवी की। जबकि विपक्षी सोसायटियों की ओर से वरिष्ट अधिवक्ता महेन्द्रसिंह सिंघवी, महेष बोड़ा, विकास बालिया सहित कईं अधिवक्ताओं ने दलीलें देकर सोसायटियों को सदस्यों के बीच वितीय लेन देन की छूट देने की मांग की लेकिन हाईकोर्ट ने सभी को अनदेखा किया। याचिकाकाकर्ता की ओर से एडवोकेट दलपतसिंह राठौड़ ने बताया कि विपक्षी सोसायटियों की ओर से वरिष्ठ अधिवकओं ने हाईकोर्ट द्वारा क्रेडिट कोअॅापरेटिव सोसायटियांें द्वारा कथित तौर पर किए जा रहे बैंकिंग कारोबार पर रोक लगाने संबंधित 19 नवंबर 14 को जारी किए गये स्थगन आदेष मे संषोधन का प्रार्थना पत्र पेष किया था। इसी तरह पुष्टिकर क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटी की पक्षकर बनाये जाने की याचिका पर भी कोई निर्णय ही दिया। राठौड़ के मुताबिक शुक्रवार को रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया की ओर से भी जवाब दाखिल कर बताया गया कि बैंकिंग रेग्यूलेषन एक्ट 1949 के तहत क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटियों द्वारा बिना रिजर्व बैंक के लाईसेन्स के किए जा रहा बैंकिंग कारोबार अनुचित एवं गलत हैं। हालांकि क्रेडिट सोसायटियों के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि सोसायटियां अपने सदस्यों के बीच ही वितीय लेनदेन कर रही हैं लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी दलीलांें को खारिज करते हुए सदस्य बनाने की प्रक्रिया पर कईं सवाल खड़े किए।
हाईकोर्ट ने सिस्टम पर जताई नाराजगी
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताआंें ने कहा कि ये सोसायटियां मोटरसाईकिल, कार जैसे मंहगे उपहार देकर बैंकों से अधिक ब्याज दरों पर जमाएं स्वीकार कर रहे हैं तथा इन जमाओं की कोई गारंटी नही हंैं न सुरक्षा। इस बात को हाईकोर्ट ने आॅन रिकाॅर्ड देखने पर गंभीरता दिखाई और कहा कि इस तरह से प्राप्त की जाने वाली जमाआंें की सुरक्षा कैसे होगी। हाईकोर्ट ने सोसायटियों द्वारा जारी किए जाने वाले विज्ञापनों पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेष भी दिये।
पहले सदस्य बना कर देखें!
जब सोसायटियों के अधिवक्ताओं ने कहा कि वे सदस्यों के बीच ही लेनदेन कर रहे हैं तो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले साल दो साल सदस्य बनाओ और उनके बीच दूसरी सेवायें दो तब आपको पता चलेगा कि कितने सदस्य बनते हैं और लेनदन होता हैं। मुख्य न्यायाधीष ने सोसायटियांें के मौजूदा कामकाज को पूरी तरह से बैंकिंग भी बताया।
स्हकारिता रजिस्ट्रार ने रखा पक्ष
सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार की ओर से बताया गया कि उन्होनें सभी सोसायटियों को निर्देष दिये हैं कि वे किसी तरह से बैंकिंग कारोबार नही करें अन्यथा आपके विरूद्व कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। इस पर मुख्य न्यायाधीष ने रिजर्व बैंक को क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटियांें की सूची भेजने एवं आंकड़ों की पड़ताल करवाने के मौखिक निर्देेष दिये। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई दौरान सख्ती दिखाते हुए कहा कि ऐसी सोसायटियां कथित सदस्य बनाये जाकर बैंकिग कारोबार करन की कार्यवाही पूर्णया बंद करें और रजिस्ट्रार को भी आदेष दिये। सुनवाई दौरान सहकारिता विभाग के अधिकारी एवं सोसायटियांें के पदधिकारी भी न्यायालय मे मौजूद थे। हाईकोर्ट ने पूर्व मे जारी स्थगन आदेष मे संषोधन से साफ इंकार कर दिया। अब इस मामले मे आगामी सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटी संचलकों द्वारा पूर्व मे बैंकिंग व्यवसाय न करने संबंधित जारी स्थगन आदेष मे संषोधन से इंकार करे हुए शुक्रवार को साफ कर दिया कि वह आमजन से जमायें लेने एवं उन्हें लुभाने संबंधित किसी तरह के विज्ञापन भी जारी नही करे। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी एवं न्यायमूर्ति बनवारीलाल शर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई दौरान प्रदेष भर मेे फैले क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटियों के जाल, उनके द्वारा जमाएं प्राप्त करने के लिए चलाई जाने वाली इनामी स्कीमों एवं सदस्य बनाने की कथित प्रक्रिया पर तीखी टिप्पणियां करते हुए कहा कि यह तमाम गतिविधियां बैंकिंग श्रेणी मे आती हैं। याचिकाकर्ता सज्जनसिंह भाटी की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को और भी कईं मौखिक टिप्पणियां करते हुए बैैंकिंग व्यवसाय पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेष दिये। याचिककर्ता की ओर से एडवोकेट एस.पी.शर्मा एवं दलपतसिंह राठौड ने पैरवी की। जबकि विपक्षी सोसायटियों की ओर से वरिष्ट अधिवक्ता महेन्द्रसिंह सिंघवी, महेष बोड़ा, विकास बालिया सहित कईं अधिवक्ताओं ने दलीलें देकर सोसायटियों को सदस्यों के बीच वितीय लेन देन की छूट देने की मांग की लेकिन हाईकोर्ट ने सभी को अनदेखा किया। याचिकाकाकर्ता की ओर से एडवोकेट दलपतसिंह राठौड़ ने बताया कि विपक्षी सोसायटियों की ओर से वरिष्ठ अधिवकओं ने हाईकोर्ट द्वारा क्रेडिट कोअॅापरेटिव सोसायटियांें द्वारा कथित तौर पर किए जा रहे बैंकिंग कारोबार पर रोक लगाने संबंधित 19 नवंबर 14 को जारी किए गये स्थगन आदेष मे संषोधन का प्रार्थना पत्र पेष किया था। इसी तरह पुष्टिकर क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटी की पक्षकर बनाये जाने की याचिका पर भी कोई निर्णय ही दिया। राठौड़ के मुताबिक शुक्रवार को रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया की ओर से भी जवाब दाखिल कर बताया गया कि बैंकिंग रेग्यूलेषन एक्ट 1949 के तहत क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटियों द्वारा बिना रिजर्व बैंक के लाईसेन्स के किए जा रहा बैंकिंग कारोबार अनुचित एवं गलत हैं। हालांकि क्रेडिट सोसायटियों के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि सोसायटियां अपने सदस्यों के बीच ही वितीय लेनदेन कर रही हैं लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी दलीलांें को खारिज करते हुए सदस्य बनाने की प्रक्रिया पर कईं सवाल खड़े किए।
हाईकोर्ट ने सिस्टम पर जताई नाराजगी
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताआंें ने कहा कि ये सोसायटियां मोटरसाईकिल, कार जैसे मंहगे उपहार देकर बैंकों से अधिक ब्याज दरों पर जमाएं स्वीकार कर रहे हैं तथा इन जमाओं की कोई गारंटी नही हंैं न सुरक्षा। इस बात को हाईकोर्ट ने आॅन रिकाॅर्ड देखने पर गंभीरता दिखाई और कहा कि इस तरह से प्राप्त की जाने वाली जमाआंें की सुरक्षा कैसे होगी। हाईकोर्ट ने सोसायटियों द्वारा जारी किए जाने वाले विज्ञापनों पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेष भी दिये।
पहले सदस्य बना कर देखें!
जब सोसायटियों के अधिवक्ताओं ने कहा कि वे सदस्यों के बीच ही लेनदेन कर रहे हैं तो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष सुनील अम्बवानी ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले साल दो साल सदस्य बनाओ और उनके बीच दूसरी सेवायें दो तब आपको पता चलेगा कि कितने सदस्य बनते हैं और लेनदन होता हैं। मुख्य न्यायाधीष ने सोसायटियांें के मौजूदा कामकाज को पूरी तरह से बैंकिंग भी बताया।
स्हकारिता रजिस्ट्रार ने रखा पक्ष
सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार की ओर से बताया गया कि उन्होनें सभी सोसायटियों को निर्देष दिये हैं कि वे किसी तरह से बैंकिंग कारोबार नही करें अन्यथा आपके विरूद्व कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। इस पर मुख्य न्यायाधीष ने रिजर्व बैंक को क्रेडिट कोआॅपरेटिव सोसायटियांें की सूची भेजने एवं आंकड़ों की पड़ताल करवाने के मौखिक निर्देेष दिये। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई दौरान सख्ती दिखाते हुए कहा कि ऐसी सोसायटियां कथित सदस्य बनाये जाकर बैंकिग कारोबार करन की कार्यवाही पूर्णया बंद करें और रजिस्ट्रार को भी आदेष दिये। सुनवाई दौरान सहकारिता विभाग के अधिकारी एवं सोसायटियांें के पदधिकारी भी न्यायालय मे मौजूद थे। हाईकोर्ट ने पूर्व मे जारी स्थगन आदेष मे संषोधन से साफ इंकार कर दिया। अब इस मामले मे आगामी सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
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