Followers

Sunday, September 23, 2018

केयर्न की सामाजिक पहल-15 छोटे तालाबो का हुआ पुनरुद्धार, छाई हरियाली,मिल रहा पानी

केयर्न की पहल:15 छोटे तालाबो के पुनरुद्धार से हो रहा जल संचय

मूक पशुओं को मिल रहा पीने का पानी

तेल क्षेत्रों में छा रही हरीतिमा


वर्षा की कमी वाले क्षेत्रों में भी जल स्त्रोत देंगे वन्य जीवोंको सहारा


परंपरागत कौशल और नवाचारों का मेल ला रहा सुखद बदलाव

बाड़मेर

 वर्षा जल संरक्षण के लिए थाररेगिस्तान में अपनाए जाने वाले परंपरागत तरीकों औरग्रामीणों के साथ नई तकनीक को अपना कर किए जा रहेनवाचारों के चलते बाड़मेर के तेल-गैस उत्पादन क्षेत्रों मेंहरियाली की चादर छा रही है। जिले में इस वर्ष कमजोरमानसून के चलते जहाँ किसानों और पशुपालकों के माथे परचिंता की लकीरें छाई हुई हैं, वहीं नवाचारों से सम्बंधित इनक्षेत्रों में पुनर्जीवित नाड़ियां और खडीन वन्य जीवों कोजीवनदायी सहारा देंगे। 

बाड़मेर जिले की साढ़े छह सौ से अधिक वर्षा जल संचय औरसंभरण संरचनाओं को पुनर्जीवित करने के प्रयासों का लाभन्यून वर्षा के बावजूद दृष्टिगोचर होने वाला है। एक या दोबारिश वाले क्षेतों में भी वर्षा जल की अमृत बूंदों को सहेजे येनाड़ियां वन्यजीवों के लिए सहारा साबित होंगी।

केयर्न ऑयल एंड गैस के सहयोग से ग्रम्मीणों ने जिले की 15 नाड़ियों का पुनरुद्धार किया है।  सामान्य वर्षा के वर्ष में इननाड़ियों की सहायता से 50 लाख घनमीटर जल का संचयसंभव हो सकेगा। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना मेंसहभागिता निभाते हुए बाप नाड़ी, उत्तरलाई नाड़ी के अलावाभाडखा-बोथिया और शिव में इन कार्यों को किया गया है।

जिन क्षेत्रों में भू-संरचना उपयुक्त है वहाँ खडीनों के माध्यम सेवाटर हार्वेस्टिंग कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा रहा है। इनकीसंख्या भाडखा, बोथिया और गुडा मालानी क्षेत्र में अधिक है।कुल 630 खडीन संरचनाओं को ग्रामीणों के साथ मिलकरसाकार किया गया है। सामान्य वर्षाकाल गुजरने के पश्चात्इनसे छह माह से अधिक तक इनका उपयोग हो सकेगा। 

थार के किसानों को कृषि नवाचारों से जोड़ कर उनके खेतों मेंहरियाली और परिवार में बढ़ी हुई आय को लाया जा रहा है।वाड़ी प्रोजेक्ट के तहत 1160 किसानों को लाभान्वित कियागया है। मृदा जाँच और उपलब्ध सीमित जल के अनुसार बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से उन्हें जोड़ा गया है।

आज इन खेतों में छाई हरीतिमा विकास की कहानी कह रहीहै। इन किसानों को बेर गोला, अनार और गूंदे एक लाख पौधेवितरित कर समय-समय पर उनके रख रखाव और बढ़ोतरी सेसम्बंधित प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इससे किसानों कीसालाना आय में चालीस हज़ार रूपए तक की बढ़ोतरी हुई है।

जीरो डिस्चार्ज लक्ष्य को पूरा करने वाले मंगला प्रोसेसिंगटर्मिनल के वाटर पॉइंट्स भी जैव-विविधता को बढ़ाने मेंमददगार साबित हो रहे हैं। इन जल क्षेत्रों के आसपासकिंगफिशर, कोयल, गौरैया, चील आदि का प्रवास देखा जासकता है। भाग्यम टर्मिनल के वाटर पॉइंट को 'भाग्यम बर्डसैंक्चुअरी" के नाम से विकसित किया जा रहा है।

एमजीएस विश्वविद्यालय बीकानेर में पर्यावरण विभाग के हैडडॉ अनिल कुमार छंगाणी ने प्रोजेक्ट शुरुआत से अब तकविभिन्न दौरों और सर्वेक्षण के बाद बाड़मेर के तेल क्षेत्रों में हुएपर्यावरण प्रयासों को 'आदर्श बेंचमार्क' की संज्ञा दी है।

ग्रीन बेल्ट विकास ने संक्रिया क्षेत्र के 33 प्रतिशत से अधिकक्षेत्र में हरियाली की चादर बिछा दी है। इन प्रयासों का असरआसपास के पर्यावरण पर भी सकारात्मक रूप में हुआ है।हाल ही में विभिन्न सरकारी एजेंसियों ने बाड़मेर तेल क्षेत्रों केपर्यावरण मापदंडों पर ऑडिट के पश्चात यहाँ की वायु और भूजल गुणवत्ता को सुरक्षित पाया।

आरजे ब्लॉक क्षेत्र में 300 से अधिक वनस्पतियों और जीवोंकी प्रजातियों के साथ समृद्ध जैव विविधता है। इन्हें संरक्षितकरने का प्रयास प्रयास बाड़मेर के "गंगाली वन क्षेत्र" में कियागया था और जमीन के पानी को टैप करने में सफल रहा।जंगली जानवरों के लिए पूरी तरह से पीने के पानी के भंडारणके लिए "गजलर" नामक एक छोटा पेयजल तालाब वन क्षेत्र मेंबोरवेल से लगभग 200 मीटर दूर विकसित किया जाता है।यह सुविधा बाड़मेर जिले में गंगाली के आरक्षित वन क्षेत्र मेंस्थित है। जून 2017 में वाटर पॉइंट की शुरुआत के बादजंगली जानवरों और पक्षी प्रजातियों को यहाँ पर स्पॉट कियाजा रहा है।

No comments:

Post a Comment

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

सर्व समाज ने दिया ज्ञापन

हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार को लेकर सर्व समाज द्वारा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन बालोतरा वफ्फ बिल के विरोध की आड़ में सुनिश्चित योजना...