भाई-बहनों ने समंदर हिलोर दिया सामाजिक समरसता का संदेश
-भाइयों ने बहनों को पानी पिला भेंट-पूजा अर्पित की।
आरटीपी@ब्यूरो सदाशिव सलुंदिया
बालोतरा।
निकटवर्ती जेठन्तरी गांव में देव झूलनी एकादशी के अवसर पर भाई-बहनों ने समंदर हिलोरने की परम्परा का निर्वहन किया। भाइयों ने बहनों को पानी पिलाकर भेंट-पूजा अर्पित की।
गुरुवार को जेठन्तरी में गांव के तालाब पर चौधरी समाज की ओर से सामाजिक समरसता के तहत् श्री सुभद्रा माताजी एवं मामाजी महाराज का धाम सड़लानाडा के गादीपति एवं खारवा महंत भुवनेश्वरपुरी महाराज के सानिध्य में समंदर हिलोरने का सामुहिक कार्यक्रम रखा गया। इस दौरान नववस्त्राभूषणों से सजे-धजे महिला-पुरूष ढोल की ढमक, थाली की टंकार व डीजे की सुमधुर स्वरलहरियों पर नाचते-गाते तालाब पहुंचे। सिर पर श्रंगारित मटका लेकर तालाब पर पहुंची नवविवाहित महिलाएं व उनके भाइयों ने पानी में मटके को हिलाया तथा एक-दूसरे को अपने हाथो से पानी पिला आशीर्वाद स्वरूप स्वस्थ जीवन व दीर्घायु की कामना की तथा भाइयों ने बहनों को भेंट-पूजा अर्पित कर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। यहां भाइयों ने बहिन को चुनरी ओढ़ाकर अपने हाथ से तालाब का पानी पिलाया।
इससे पूर्व महिलाओं ने विभिन्न परिधानों से सज-धज कर तालाब के चारों ओर परिक्रमा लगाते हुए परम्परागत लोक गीत गाये। उन्होंने ओ म्हारा सासूजी समंदरियों हिलोरा खाए..., जेठ-आषाढ़ वरिया-वरिया..., वीरा दल बादल उजले..., आदि गीत गा कर पुरानी परंपरा निभाई तथा व्रत रखा। इसके बाद अपने घर से सांकलियों से भरा मटका लेकर तालाब पर पहुंची। बुजुर्गों की ओर से तालाब पर प्रेम सभा का आयोजन किया गया। प्रसादी के रूप में गुड़, आटे व घी से बनी सकली और मातर कार्यक्रम में मौजूद लोगों मे वितरित की। इस अवसर पूराराम भोजोणी, पारसराम, घेवरराम, गोविन्दराम पारलू, फुसाराम कूकल, मनीष, वालाराम चौधरी मांगला, राजूराम, मांगीलाल रातडा़, रूपाराम चौधरी, मूलाराम धुणियां, सकाराम, राणाराम, भंवरलाल, मोहनराम सहित बडी़ संख्या में में लोग मौजूद थे।
ऐसी मान्यता है कि पुराने जमाने में लोगों के पास धन की कमी होने के साथ ही संसाधनों का भी अभाव था। ऐसे में बरसाती पानी सहजने के लिए स्त्रोत बनाने थे।जानकार लोगों ने गुरुवर की आज्ञा से यह प्रथा चलाई कि एक साल में 3 सौ 65 दिन होते है और हर एक महिला एक महिने में 3 सौ 65 तगारी मिट्टी खोदेगी तथा नाडी-तालाब का निर्माण करेगी। इस प्रकार हर गांव में हजारों महिलाओं ने असंख्य बरसाती पानी सहजने के लिए स्त्रोंतों को बनाकर खडा़ कर दिया जो आज हमारे समौमुख है। महिलाओं की ओर से किये गये श्रमदान के एवज में भाई अपनी बहनों को आज भी भेंट पूजा अर्पित कर उसके सुखमय जीवन की कामना करता है।
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