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Friday, September 8, 2017

सच्चाई की हुई जीत

आखिर सच्चाई की हुई जीत
बालोतरा
बिठूजा के सीईटीपी ट्रस्ट के तत्कालीन उपाध्यक्ष भोमाराम माली द्वारा  प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति अध्यक्ष तुलसाराम चौधरी के खिलाफ एचारटीएस प्लांट को तोड़ने का झूठा मुकदमा पुलिस थाना बलोत्रा में दर्ज करवाने के मामले में हाई कोर्ट ने तुलसाराम चौधरी को राहत दी है। हाई कोर्ट ने मुकदमे में अग्रिम अनुशंधान पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने अनुसंधान अधिकारी उप निरीक्षक शैतान सिंह द्वारा किये गए अनुसन्धान पर भी असंतोष व्यक्त करते हुए उनको कोर्ट में पेश होने के लिये तलब किया है।
उप निरीक्षक शैतान सिंह की भूमिका है संदिग्ध-
प्रदुषण निवारण एवम् पर्यावरण संरक्षण समिति अध्यक्ष तुलसाराम चोधरी के साथ प्लांट में ट्रस्ट पदाधिकारियो व् कुछ उद्यमियो ने मारपीट की थी। इसको लेकर चोधरी ने पुलिस ठाणे में मुक़दमा दर्ज करवाया था। उक्त मारपीट के फोटो स्वयं मारपीट करने वाले आरोपियों ने वायरल किये थे लेकिन उक्त सबूत को दरकिनार कर जाँच अधिकारी शैतान सिंह ने उक्त मुकदमे में आरिपियो से सांठ गांठ कर एफआर लगा दी थी। वही आरोपियों की और से एचारटीएस प्लांट को तोड़ने के मुकदमे में कोई सबूत नहीं होने पर भी समिति अध्यक्ष का चालान कर दिया था जिस पर समिति अध्यक्ष ने हाई कोर्ट की शरण ली थी।
गवाहों के बयानों पर नहीं किसी के दस्तखत-
आरोपियों के दबाव में उप निरीक्षक शैतान सिंह ने मनमर्जी से गवाहों के बयान लिखे है। पत्रावली में अंकित गवाहों के बयानों पर किसी गवाहों के हस्ताक्षर या अंगूठा आदि नहीं है। वास्तव में उप निरीक्षक ने साबित कर दिया है कि कानून अँधा होता है क्योकि फोटो में साफ दिख रहा है कि समिति अध्यक्ष के साथ मारपीट हो रही है जबकि न्याय को ताक पर रखकर उप निरीक्षक ने ईमान को बेच दिया।

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